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भारत की संस्कृति में कड़वाहट का सिलसिला बंद हो!


भारतीय खानपान, पहनावा, भाषा का ध्रुवीकरण चिंता का विषय

नागपुर (आनंदमनोहर जोशी)। भारत देश सैकड़ों वर्ष से अपनी संस्कृति, अलग, अलग भाषा और पहनावे के साथ विविध संगीत, विविध खानपान के लिए विश्वविख्यात है। केवल भारत ही ऐसा देश है, जहां स्वयं हिंदी भाषा के साथ दूसरी अन्य विदेशी अंग्रेजी भाषा को भी महत्व दिया जा रहा है। विश्व के अनेक देशों में ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया अंग्रेजी भाषा को ही महत्व देते आए है। 

भारत के ही नेताओं ने देश की हिंदी भाषा को छोड़कर देश के संविधान की अंग्रेजी भाषा को मान्यता दी। आज भारत के अनेक राज्य ऐसे है जहां हिंदी भाषा को थर्ड लैंग्वेज का दर्जा दिया गया है। कर्नाटक,केरल,तमिलनाडु,तेलंगाना,आंध्रप्रदेश आदि राज्य में हिंदी भाषा को महत्व दिया जाना चाहिए। भारत ही ऐसा देश है जहां शहर,कस्बे,गांव गांव के अनुसार बोली, पहनावा, खानपान बदलता है। 

इसी की आड़ में हमारे कुछ नेता भेदभाव कर कई देशों का निर्माण कर चुके है। जबकि ब्रिटेन,अमेरिका,ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी,फ्रांस,चीन जैसे देश अपनी भाषा,अपने पहनावे पर अडिग है। आज आधुनिक भारत बनाने के बाद भारत के संविधान को अंग्रेजी भाषा का गुलाम बनाने के बाद कुछ नेता प्रश्नोत्तर काल के दौरान अंग्रेजी भाषा का प्रयोग करने की सलाह लोकसभा में दे रहे है। 

उल्लेखनीय हो कि भारत जैसे देश में राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, बंगाल, असम, पंजाब, मध्यप्रदेश, मेघालय, बिहार, कश्मीर, लद्धाख, मणिपुर, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा सहित अनेक राज्य है, जहां की भाषा, खानपान, पहनावा अलग अलग है। जबकि हमारे देश में दिल्ली और विदर्भ के अनेक स्थान ऐसे है जहां सभी भाषा, सभी धर्म के लोग निवास करते है। 

विदर्भ, दिल्ली, मध्यप्रदेश, बिहार, राजस्थान के निवासी हिंदी भाषा, भारतीय संस्कृति खानपान, भारतीय पहनावा को महत्त्व देते है। अनेकता में एकतावाले देश में चुनाव के समय पहनावा, पोशाक को चुनावी स्टंट बनाना चिंता का विषय है। आज भारत की पोशाक का स्थान पश्चिमी देशों की पोशाक ले रही है। बड़े व्यवसायिक प्रतिष्ठान में गांधी धोती, गांधी टोपी, गांधी कुर्ता लुप्त होते जा रहे है। यहां तक की पूजा, अनुष्ठान के समय पहनी जानेवाली पारंपरिक पोशाक भी बाजार में ढूंढना पड़ता है। भारतीय पहनावा, भाषा, पोशाक के ध्रुवीकरण से देश की पारंपरिक संस्कृति को खतरा बढ़ रहा है।
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