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कैसे भुलाएं ?


हम तुम्हें भुलाएं
तो, भुलाएं कैसे ?

वो बिखरी केशु की लटें
वो गालों पे टोल,
मदिरामय मुस्कान,
दिल को सम्हालें कैसे,
हम तुम्हें भुलाएं कैसे ?

वो शराबी नैन
चित्त करे बेचैन
दीवाना हुआ मन
इस पगले को समझाएं कैसे,
हम तुम्हें भुलाएं कैसे ?

विकल दिल नगमें गाए ,
होश हिरण हो जाए,
साज सूना है,
बिन तारों के तान छेड़ें कैसे, 
ओह,तुम्हें भुलाएं कैसे ?

वो अल्हड़ बतियां,
वो  बावरे  अंदाज, राहते-दिल लाए कहां से ?
बोलो
हम तुम्हें भुलाएं
तो
भुलाएं कैसे ?

- डॉ. शिवनारायण आचार्य, शिव
नागपुर (महाराष्ट्र)

काव्य 2952496269792837282
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