प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'जीरो माइल फाउंडेशन' ने लिखा पत्र
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नागपुर। जनहित में कार्य करने वाली संस्था 'जीरो माइल फाउंडेशन' के अध्यक्ष आनंद शर्मा तथा कार्याध्यक्ष दीपक लालवानी ने जनहित के उद्देश्य से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर विनंती की है कि प्रातः भ्रमण के समय ही उद्यानों में स्वास्थ्य जांच संबंधी सुविधाएं उपलब्ध हो।
पत्र में लिखा है कि स्वस्थ सम्पन्न समाज ही एक स्वस्थ सम्पन्न राष्ट्र का निर्माण करता है। पर आज की हमारी इस आपाधापी की जिंदगी में तनाव, वातावरण में बढ़ता प्रदूषण हमारे स्वस्थ शरीर को नुकसान पहुंचाने में कोई कमी नहीं छोड़ते।
स्वास्थ्य के प्रति जागरुक नागरिक शुद्ध वायु में टहलते एवं व्यायाम करने अपने क्षेत्र के उद्यान में जाते हैं। वहां उन्हे पर्याप्त मात्रा में शरीर के लिए शुध्द हवा मिल जाती है। पर प्राथमिक उपचार के लिए उन्हें वहां से दूर किसी अस्पताल में ही जाना पड़ता है।
जरूरत इस बात की है कि जिन उद्यानों में, खुली जगह पर लोग सुबह की ताजगी से स्वास्थ्य लाभ लेने जाते हैं, उन स्थानों पर उन्हें स्वास्थ्य की जांच संबंधी प्राथमिक सुविधाएं मुहैया कराई जाएं।
कार्य की अधिकता के कारण लोग कई दिनों तक चिकित्सक से परामर्श लेने का समय नहीं निकाल पाते। जब कभी फुर्सत मिलती है, तब तक स्वास्थ्य अत्याधिक बिगड़ चुका होता है।
किसी को खाली पेट रक्त की जांच करानी हो, मल - मूत्र की जांच करानी हो, ब्लडप्रेशर चेक कराना हो, , प्लेन चेस्ट एक्स-रे लेना हो, या फिर ईसीजी कराना हो या बोन डेंसिटी चेकअप कराना हो तो वह अपनी व्यस्त जीवन शैली से समय नहीं निकाल पाता। ऐसे में यदि कोई ऐसी व्यवस्था विकसित की जा सके, जिससे लोगों को प्रातः भ्रमण के समय ही स्वास्थ्य जांच संबंधी प्राथमिक सुविधाएं उपलब्ध करायी जाएं, तो उससे कई प्रकार के फायदे हो सकते हैं।
स्वास्थ्य की जांच से कतराने वालों को भी सुबह की सैर के बहाने, समय रहते अपने स्वास्थ्य की जांच कराना आसान होगा। यह स्वास्थ्य केंद्र सुबह 6 से 10 बजे तक हों, ताकि किसी को खाली पेट शुगर चेक करानी हो, तो वह करा सकते है और डेढ़ घंटे बाद पोस्ट मील (खाना खाने के बाद) भी अपने समय पर शुगर चेक करा सकते है। भले ही रिपोर्ट दूसरे दिन मिले। जिससे वह अपने फैमिली डॉक्टर से संपर्क कर योग्य उपचार करा सकता है।
बेशक इन जांच के लिए उस व्यक्ति से आवश्यक शुल्क लिया जाए। कम से कम इस केंद्र पर जांच के नमूने तो एकत्र किये जा सकते हैं।
जिस क्षेत्र में उद्यान हो, उसी क्षेत्र की सामाजिक संस्थाएं, सांसद, विधायक, पार्षद मिलकर उस उद्यान में इस तरह के स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण कर सकते हैं तथा उसी क्षेत्र में रहने वाले चिकित्सक से आपसी तालमेल बनाकर समाज के प्रति जिम्मेदारी समझकर अपनी सेवाएं उपलब्ध करा सकते हैं।
जरुरत है तो सिर्फ स्थानीय सांसदों, विधायकों और पार्षदों को अपनी विकास निधि का इस दिशा में उपयोग करने की और स्वयंसेवी संस्थाओं एवं डॉक्टर्स के साथ खड़े होने की। क्योंकि एक स्वस्थ समाज से ही हम स्वस्थ राष्ट्र के निर्माण की तरफ बढ़ सकते हैं।