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अध्ययनशील और गंभीर व्यक्तित्व के धनी है डॉ. शहाबुद्दीन शेख : हरेराम वाजपेयी


              
नागपुर। विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज के अध्यक्ष डॉ. शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे,महाराष्ट्र अध्ययनशील व गंभीर व्यक्तित्व के धनी है। इस आशय का प्रतिपादन हिंदी परिवार, इंदौर के संस्थापक - अध्यक्ष श्री हरेराम बाजपेयी ने किया। 

विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज के तत्वावधान में 'हिंदी के अनन्य सेवक : डॉ. शहाबुद्दीन शेख' विषय पर आयोजित राष्ट्रीय आभासी गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रुप में वे उद्बोधन दे रहे थे।

विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज,उत्तर प्रदेश के सचिव डॉ. गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी ने गोष्ठी की अध्यक्षता की। श्री बाजपेयी ने आगे कहा कि शहाबुद्दीन जी से मिलने पर आनंद की अनुभूति होती है। 

वक्ता डॉ सुमा टी रोडनवर, मंगलूर, कर्नाटक ने कहा कि डॉ. शहाबुद्दीन शेख हिंदी व नागरी लिपि प्रेमी, साहित्यकार और हिंदी और नागरी के सेनानी है। वे आजीवन नागरी लिपि और हिंदी भाषा की प्रगति में योगदान देते रहे है। वे भाषा और लिपि के सजग प्रहरी है।

विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज के उपाध्यक्ष ओम प्रकाश त्रिपाठी, सोनभद्र, उत्तर प्रदेश ने कहा कि पूरे भारत को एकता के सूत्र में बांधने के लिए शेख साहब द्वारा सफल प्रयास किया गया है। अंतः वे निरंतर वंदनीय व पूजनीय हैं। अध्यक्षता के मानक उनमें विद्ममान हैं। लेखनी की प्रखरता, सामाजिक समानता और राष्ट्रीयता का भाव उनमें पाया जाता है।

विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, बाल संसद राष्ट्रीय प्रभारी डॉ.रश्मि चौबे, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश ने कहा कि डॉ शहाबुद्दीन शेख का महान व्यक्तित्व शांत नदी व अथाह सागर जैसा है। 

बाल संसद महाराष्ट्र इकाई प्रभारी डॉ सुनीता प्रेमी यादव, औरंगाबाद, महाराष्ट्र ने कहा कि गुरुवर्य डॉ. शहाबुद्दीनजी के विचारों में भारतीय संस्कृति व परंपरा के दर्शन होते हैं।

डॉ. रुपाली दिलीप चौधरी, जलगांव, महाराष्ट्र ने कहा कि परम आदरणीय डॉ. शहाबुद्दीनजी आदर्श प्राचार्य, उत्तम वक्ता, मेधावी, सहिष्णुता के पुजारी, कर्तव्यनिष्ठ, भाषा वैज्ञानिक, हिंदी भाषा व देवनागरी लिपि के साधक, सहदयी व्यक्तित्व के धनी है। सादगी व सरलता उनके व्यक्तित्व का मुख्य पहलू है। 

इस अवसर पर श्रीमती पुष्प लता श्रीवास्तव शैली, रायबरेली, डा. अन्नपूर्णा श्रीवास्तव, पटना, बिहार, तथा डॉ. दीपिका सिसोदिया, गुवाहाटी असम द्वारा भी अपने विचार प्रस्तुत किए गए।

मनसुखलाल कोठारी नेशनल स्कूल की छात्रा कु. जिया खान ने अपने नानाजी के व्यक्तित्व पर आधारित कविता सुनाई। 

औरंगाबाद महाराष्ट्र के ऋषि ने  गीत, वेदांग कुलकर्णी द्वारा बांसुरी वादन, सुधांशु परलीकर ने तबला वादन, मानसी शर्मा द्वारा नृत्य की प्रस्तुति देकर समारोह की रौनक बढ़ायी।

विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान के अध्यक्ष डॉ. शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे महाराष्ट्र ने सभी मान्यवर अतिथियों व वक्ताओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए हिंदी व नागरी लिपि के विकास पर बल देने का अनुरोध किया। 

गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए संस्थान के सचिव डॉ गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी, प्रयागराज ने कहा कि डॉ. शेख के कार्यकाल में संस्थान ने काफी विकास साधा है। संस्थान मे उनके आगमन के बाद बहुत ही कम समय में वे संस्थान में विभिन्न पदों को विभूषित करते रहे।

प्रारंभ में महाराष्ट्र के प्रभारी ने डॉ. भरत शेणकर  ने कहा कि अपनापन गुरुवर्य डॉ. शेखजी के व्यक्तित्व का महत्वपूर्ण पहलू  है।

रश्मि श्रीवास्तव लहर, लखनऊ ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। डॉ. सरस्वती वर्मा, महासमुंद ने स्वागत भाषण दिया। समारोह का संचालन, संयोजन, नियंत्रण व संस्थान की छत्तीसगढ़ प्रभारी हिंदी सांसद डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक रायपुर ने किया। और डॉ.शेख साहब के व्यक्तित्व, कृतित्व को स्लाइड्स शो दर्शन से बताया कि हिंदी सेवी डॉ. शेख साहब बहुत ही सरल, सहज, बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं। धन्यवाद ज्ञापन  प्रा.रोहिणी डावरे ने कविता पाठ करते हुए किया।
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