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तपस्या ही जीवन का मूल है : संजय महाराज


अखिल विश्व सरयूपारीण ब्राह्मण महासभा की रामकथा

नागपुर।  तपस्या ही जीवन का मूल है। यह उद्गार  विन्ध्यापीठाधीश्वर बालयोगी अंतरराष्ट्रीय संत संजय महाराज ने व्यक्त किए। अखिल विश्व सरयूपारीण ब्राह्मण महासभा की ओर से अमृत भवन, उत्तर अंबाझरी मार्ग में आयोजित श्रीरामकथा के तृतीय दिन का पुष्प पिरोते हुए संत संजय महाराज ने कहा कि-‘जेहि िवधि होई नाथ िहत मोरा। करहू सो बेगि दास मै तोरा।।’ उन्होंने कहा कि मोह रूपी रात्रि में यह संसार सो रहा है। "मोह िनसा जग सोवनिहारा' तथा इस गति से जीव तब मुक्ति को प्राप्त करेगा जब भगवान श्री हरि की कृपा होगी। 


श्री गोस्वामिपाद कहते हैं िक -"मोह सकल व्याधन्ह कर मूला।' मोह ही समस्त बाधाओं का कारण है। इसलिए भगवान ने नारद के मोह का हरण िकया। सृष्टि के प्रथम स्त्री और पुरुष महाराज मनु और शतरूपा हैं और उन्होंने भी ब्रह्म की प्राप्ति तप द्वारा िकया। तपस्या ही जीवन का मूल है।

कथा के मुख्य यजमान महासभा के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष रामनारायण मिश्र व सावित्री मिश्र, राजेश प्रसाद पांडेय व शशिकला पांडेय, रवींद्रकुमार पांडेय व अरुणा पांडेय है। मंगलवार के यजमान रत्नेश्वर तिवारी तथा प्रेमप्रकाश दुबे थे। 

रामकथा का समय प्रतिदिन दोपहर 3 से शाम 7 बजे तक रहेगा। 8 नवंबर को शिव विवाह और नारद मोह प्रसंग, 9 नवंबर को श्रीराम जन्मोत्सव, 10 नवंबर को सिया पिया मिलन, 11 नवंबर को भरत मिलाप, 12 नवंबर को हनुमान चरित्र व सुंदरकांड होगा। 13 नवंबर को कथा में श्रीराम राज्याभिषेक के बाद शाम 5 बजे पूर्णाहुति, रात 8 बजे महाप्रसाद होगा। सफलतार्थ महामंत्री राजेश पांडेय, ओमप्रकाश मिश्र, प्रेमशंकर चौबे, रत्नेश्वर तिवारी, केशवकांत तिवारी, शैलेश पांडेय, ब्रजेश मिश्र, अजय त्रिपाठी, मनोज पांडेय, जयराम दुबे, जीवन शुक्ला आदि प्रयासरत है।
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