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‘भवसागर से पार उतरने के लिए राम नाम ही सेतु है’


अखिल विश्व सरयूपारीण ब्राह्मण महासभा की रामकथा का शुभारंभ

नागपुर। भवसागर ‘भवसागर से पार उतरने के लिए राम नाम ही सेतु है। यह उद्गार  विन्ध्यापीठाधीश्वर बालयोगी अंतरराष्ट्रीय संत संजय महाराज ने व्यक्त किए।

अखिल विश्व सरयूपारीण ब्राह्मण महासभा की ओर से अमृत भवन, उत्तर अंबाझरी मार्ग में आयोजित श्रीरामकथा के प्रथम दिन का पुष्प पिरोते हुए  संत संजय महाराज ने कहा कि - कल्याणानां निधानं कलिमतमथनं पावनं पावनानी, पाथेयं यनमुुमुक्षो: सपदि परपदप्राप्तये प्रस्थि तस्या’ अर्थात कलियुग में भवसागर से पार उतरने के लिए भगवान राम का नाम ही आधार है। हमारे लिए भक्ति शास्त्र की ऐसी मान्यता रही है कि भगवान के चार विग्रह हैं-नाम रूप, लीला और धाम। उसका अभिप्राय है कि नाम के रूप में भी ईश्वर हैं और आकृति के रूप में भी हैं। कथा तथा धाम के रूप में भी ईश्वर ही हैं। इन चारों में से किसी एक का भी आश्रय लेने वाला व्यक्ति जीवन में कृत-कृत्यता का अनुभवन कर सकता है।

कलियुग केवल हरिगुण गाहा।
गावत नर पावहिं भव थाहा।। सुबह कलशयात्रा सीताबर्डी स्थित हनुमान मंदिर से निकाली गई जिसमें 108 जिसमें कलशधारी महिलाएं शामिल हुईं। कलशयात्रा कथा स्थल पर पहुंची। कथा के मुख्य यजमान महासभा के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष रामनारायण मिश्र व सावित्री मिश्र, राजेश प्रसाद पांडेय व शशिकला पांडेय, रवींद्रकुमार पांडेय व अरुणा पांडेय है और रविवार के यजमान देवीप्रसाद शुक्ला, सुरेश शुक्ला थे।

रामकथा का समय प्रतिदिन दोपहर 3 से शाम 7 बजे तक रहेगा। 8 नवंबर को शिव विवाह और नारद मोह प्रसंग, 9 नवंबर को श्रीराम जन्मोत्सव, 10 नवंबर को सिया पिया मिलन, 11 नवंबर को भरत मिलाप, 12 नवंबर को हनुमान चरित्र व सुंदरकांड होगा। 13 नवंबर को कथा में श्रीराम राज्याभिषेक के बाद शाम 5 बजे पूर्णाहुति, रात 8 बजे महाप्रसाद होगा। सफलतार्थ महामंत्री राजेश पांडेय, ओमप्रकाश मिश्र, प्रेमशंकर चौबे, रत्नेश्वर तिवारी, केशवकांत तिवारी, शैलेश पांडेय, ब्रजेश मिश्र, अजय त्रिपाठी, मनोज पांडेय, जयराम दुबे, जीवन शुक्ला आदि प्रयासरत है।

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