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तोता - मैना की चिट चैट : कहोगे गधा तो बढ़ जाएगा सम्मान


तोता आज बहुत खुश नजर आ रहा था लेकिन कुछ बोल नहीं रहा था, तब मैना ने पूछ लिया –‘ क्या बात है तोते राम, बड़े खुश दिख रहे हो, लगता है कि आज नहा धोकर आए हो?’ तोता बोला – ‘ अभी अभी मैं चीन पाकिस्तान की सीमा से उड़कर आया हूँ. थोड़ा सुस्ता लेने दो तो हालचाल कहें.’ मैना बोली –‘ सुस्ताने के लिए जब घर लौटे हो तो अपनी प्यारी से कुछ कहो कुछ सुनो तो दिल बहल जाएगा, सौतन थकान तुम्हें छोड़ चीन पाकिस्तान भाग जाएगी.

’तोता मुस्कराया और बोला –‘ जानती हो, मैं उड़ते उड़ते चीन पाकिस्तान के बॉर्डर पर पहुंच गया था. वहाँ जाकर जो नजारा देखा तो देखता ही रह गया!’ मैना ने कहा –‘ वह पहाड़ी इलाका है ही सुन्दर, शानदार जानदार, तुम क्या कोई भी उस इलाके में जाता है तो सम्मोहन में कैद हो जाता है.’ तोते ने कहा –‘ सही कहती हो मैना, वहाँ का वो नजारा देखकर मेरे मन में एक कविता ने जन्म लिया तो वही सुनाने के लिए उड़ता उड़ता तुम्हारे पास आ गया, 

सुनोगी वह कविता?’ मैना ने कहा –‘ तो क्या वह प्रयोग सफल हो गया जिसमें कहा गया था कि अब पुरुष भी बच्चों को जन्म देंगे?’ तोता चमक कर बोला –‘ तुम क्या बकती हो मैना, तुम क्या मुझे गधा समझती हो?’ मैना ने कहा – ‘ मैं क्यों तुम्हें गधा समझने लगी? तुम तो तोता हो, तोताराम ही रहो तो अच्छा है.’ तोता ने पंख फड़का कर कहा – ‘ वैसे मैना अब गधा वो नहीं रहा जैसा अभी तक उसे समझा गया है. खैर छोड़ो, और मेरी कविता सुनो!’ मैना ने कहा –‘ कहो मेरे तोते कहो. चीन पाकिस्तान के बॉर्डर पर जन्मी है तो अच्छी ही होगी.’ तोता ने अपनी चोंच को पेड़ की डाल से रगड़कर धार देते हुए कहा –‘ गधा गधा कहते हो, गफलत सहते हो, गधा गधा कहोगे तो मान बढ़ जाएगा। 

मूर्ख जो समझते हो, गधा उसे कहते हो, गधा को जो समझो तो ज्ञान बढ़ जाएगा। देखा मैंने जो नज़ारा, लगा वो तो प्यारा प्यारा, गधा को जो जान लो ईमान बढ़ जाएगा । चीन पाक दोस्ती में लग जाते चार चाँद, गधों के लेन देन से गुमान बढ़ जाएगा।....... कहो कैसी लगी कविता?’ मैना ने आँखें मटकाते हुए कहा –‘ चीन पाकिस्तान के बॉर्डर पर जाकर तोता गधा बन जाएगा, यह तो मैंने सोचा ही नहीं था,  ये तो गजब हो गया तोते गजब!’ तोता फड़क कर बोला –‘ मैं जानता था कि मेरी प्यारी प्यारी कविता सुनकर मुझे गधा ही कहोगी। अरे यह तो मेरा अहोभाग्य कि तुमने मुझे गधा कह दिया, लेकिन तुम भी यदि गधी बन जाओ तो बहुत फायदे में रहेंगे हम दोनों!’ मैना बोली –‘ हम दोनों के गधा गधी बनने से क्या फायदा होगा, जरा ये तो कहो. हम भी सुन लेते हैं.’ तोते ने चौंक कर कहा –‘ हम भी सुन लेते हैं का क्या मतलब? मैंने यह बात अभी किसी से नहीं कही है और तुम भी किसी से मत कहना.’ मैना ने चमक कर कहा –‘ तुम्हारी बात में ऐसी क्या बात है कि किसी से नहीं कहना? 

अरे जिसको भी यह बात बताएंगे वह तुम्हें तोता नहीं गधा समझेगा. बहुत मजा आएगा.’ तोता ने मैना को समझाते हुए कहा –‘ सुनो, तुम्हारी यह समझ सुनकर मेरी समझ में आ रहा है कि तुम्हारे अंदर गधी होने के गुण हैं और लक्षण तो साफ दिखाई देते हैं. बस अपनी तो बात बन गई मैना.’ मैना ने चिढ़कर कहा –‘ क्या बन गई बात? चीन पाकिस्तान के बॉर्डर से पागल होकर लौटे हो क्या?’ तोता ने रोमांटिक अंदाज बनाते हुए कहा –‘ दिल तो अपना पागल है लेकिन दिमाग तो मीठे जल की छागल है. मेरे दिमाग में स्टार्टअप का एक आइडिया आया है. मेक इन इंडिया के अंतर्गत इस आइडिया को साकार करेंगे तो आम के आम और गुठलियों के दाम कमाएंगे मैना..! हम अपने बगीचे में गधा प्रजनन पालन निर्यात कम्पनी खोलेंगे और चीन पाकिस्तान में धूम मचा देंगे.’ मैना ने तुनक कर कहा – ‘ गधा प्रजनन पालन हम अपने बगीचे में करेंगे तो चीन पाकिस्तान में कैसे धूम मचाएंगे?’ तोता ने मुस्कराते हुए कहा –‘ यही तो बात है, यही तो समझदारी है, सारी दुनिया कहेगी कि क्या खूब तोता मैना की यारी है.’ मैना ने कहा – ‘ तोता मैना की यारी को दुनिया जानती है, तुम्हें बताने की कोई जरूरत नहीं, तुम तो बस अपनी कहो, यह बेवकूफी का आइडिया तुम्हारे दिमाग में आया कैसे?’ 

तोता ने कहने के लिए अपनी चोंच को मैना की चोंच से सटाया और कोई सुन न ले इस लिए भुनभुनाया –‘  भारत में गधों पर राजनीतिक विवाद भले हो, भारत में कोई भले किसी को गधा कहकर किसी को मूर्ख साबित करता हो, लेकिन कंगाली के महासागर में डूबते पाकिस्तान को ड्रैगन का सहारा मिल गया है मैना. चीन में गधों का अकाल पड़ा है और वह पाकिस्तान से गधों का आयात करने जा रहा है. गधों की कमी से चीन के छोटे मंझोले कारोबारियों का कामकाज ठप हो गया है. छोटी पहाड़ियों के दुर्गम इलाकों में गधे ही सामान ढुलाई के सबसे बेहतर जरिया हैं लेकिन ये खोजे नहीं मिल रहे हैं. 

करीब 30 करोड़ किसान खेती करने, फसलों को ले जाने या अनाज की सफाई में गधों का इस्तेमाल करते हैं, खासकर गरीब किसान ट्रैक्टर और अन्य मशीनों की जगह गधों पर ही निर्भर हैं. चीन में 30 साल पहले गधों की आबादी 1.1 करोड़ थी जो अब घटकर 30 लाख रह गई है और गधों की आबादी बढ़ाने पर चीन सरकार ध्यान नहीं दे रही है. दरअसल चीन लम्बे समय से जानवरों की हड्डियों और खालों से दवा तैयार करता रहा है. गधों की खाल को उबालकर ईजियाओ नाम की दवा बड़े पैमाने पर बनाई जा रही है. अब ईजियाओ का उत्पादन रोकना मुश्किल है. इस दवा के निर्माताओं का कहना है कि वह तो किसानों और पशु पालकों को पुराने गधे बेचने का जरिया मुहैय्या करा रहे हैं. इस दवा के उत्पादन से तो ज्यादा गधों को पालने का प्रोत्साहन मिलता है. 

लेकिन रहस्य की बात सुनो मैना, दवाई बनाने के कारण चीन में गधों की कमी हो गई है और दवाई के लिए गधों की मांग दोगुना बढ़ गई है. कभी यह दवा अमीरों की ही पहुँच में थी क्यों कि एक गधे से केवल एक किलो ही ईजियाओ मिल पाती है. पाकिस्तान सरकार ने आर्थिक गलियारे के रास्ते चीन को हर साल 80 हजार गधों की आपूर्ति का प्रस्ताव दिया है. लेकिन यह ऊंट के मुंह में जीरा के बराबर है. इसलिए तो मेरे दिमाग में आइडिया आया कि क्यों न अपने यहाँ गधों का प्रजनन शुरू करके चीन को भेजें. इससे कई फायदे अपने आप हो जाएंगे. पहला फायदा तो यह होगा कि हम चीन पर एहसान करेंगे कि हमारे यहाँ के गधे तुम्हारे यहाँ काम कर रहे हैं और दूसरा फायदा यह कि इससे हमारे देश की जीडीपी गधों के कारण बढ़ जाएगी. तीसरा फायदा यह कि ऐसा करके हम पाकिस्तान को कड़ी टक्कर देंगे. 

हमारे गधे भी पाकिस्तान को मुंहतोड़ और दुलत्ती जवाब देंगे तो पाकिस्तान के गधों को कोई नहीं पूछेगा. चौथा यह कि कोई शिक्षक अब किसी विद्यार्थी को अपमानित करने के लिए गधा नहीं कहेगा. अब हर माँ – बाप अपने बच्चों को बताएंगे कि जब कुछ न बन सको तो गधा बन जाना. मतलब तब गधा होना सम्मान जनक हो जाएगा. इससे गधों का भी सम्मान बढ़ जाएगा. राजनीति में नेता एक दूसरे को गधा कहकर नहीं गरियाएंगे. बल्कि सभी दल वाले एक दूसरे को यह कह कर सताएंगे कि तुमसे अच्छे तो गधे हैं जो देश के काम आ रहे हैं. बहुत फायदे हैं मैना, यदि सब कुछ गिनाने लगें तो अच्छा खासा गधा पुराण हो जाएगा. वैसे भी पूर्वी उत्तर प्रदेश में गरूड़ पुराण को गध पुराण कहते हैं जिससे आदमी के लिए जीवन में गधे का महत्व सिद्ध होता है.

’मैना ने गधे को रोकते हुए कहा – ‘ लेकिन मेरे प्यारे तोते, गधों का प्रजनन इतना आसान भी नहीं है. जानते हो, गधों की कमी का एक कारण यह है कि गधों के प्रजनन में कोई रुचि नहीं लेता. दूसरा कारण है कि गधे की मादा चौदह माह में एक बच्चे को जन्म देती है. ऐसे में एक गधी को चौदह माह खिला – पिलाकर एक बच्चा पाना कहाँ से फायदे का सौदा बनता है, यह तो सोचकर देखो.’ तोता यह जानकर भी चहकते हुए बोला –‘ तुमको यह पता नहीं है मैना कि चीन में लगभग 2000 वर्षों से ईजियाओ दवा गधों की खाल से बनाई जा रही है. एक ग्राम दवा की कीमत 3200 रुपये से ज्यादा होती है, मतलब सोना से भी ज्यादा कीमती यह दवा है और उसी हिसाब से गधे भी सोना से ज्यादा कीमती साबित होते हैं. लोग सम्पत्ति के नाम पर सोना जोड़ते हैं लेकिन यह जानकर लोग अब सोना नहीं, सम्पत्ति के नाम पर गधा जोड़ेंगे.’ 

मैना अपनी एक टांग से अपना सिर खुजाती हुई बोली – ‘ बात तो तुम फायदे की बता रहे हो तोते, लेकिन यदि गधा पालन स्टार्टअप में मैं तुम्हारा साथ दूंगी तो मुझे क्या फायदा होगा?’ तोता चहकते हुए बोला –‘ गधों की खाल से बनने वाली ईजियाओ दवा महिलाओं की प्रजनन संबन्धी समस्याओं के लिए भी इस्तेमाल की जाती है. साथ ही डिमेंशिया, नपुंसकता और सांस संबन्धी समस्याओं के इलाज में यह अत्यन्त कारगर दवा है मैना.’ मैना ने गंभीर होकर कहा –‘ तब तो इस दवा के निर्माण के लिए हमें अपने प्रधानमंत्री से निवेदन करना चाहिए कि वह चीन सरकार को इस बात के लिए तैयार करें कि चीनी कम्पनियां भारत में आकर मेड इन इंडिया के अंतर्गत ईजियाओ दवा का उत्पादन करें और भरपूर लाभ कमाएं फिफ्टी फिफ्टी..’ तोता खुश होकर बोला – ‘ तो चलो दिल्ली....’ 

- परमात्मानंद पांडेय 'मतवाला'
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