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शिव का दूसरा स्वरूप ही विश्वास है : संजय महाराज


अखिल विश्व सरयूपारीण ब्राह्मण महासभा की रामकथा जारी

नागपुर। शिव का दूसरा स्वरूप ही विश्वास है। यह उद्गार  विन्ध्यापीठाधीश्वर बालयोगी अंतरराष्ट्रीय संत संजय महाराज ने व्यक्त किए। अखिल विश्व सरयूपारीण ब्राह्मण महासभा की ओर से अमृत भवन, उत्तर अंबाझरी मार्ग में आयोजित श्रीरामकथा के द्वितीय दिन का पुष्प पिरोते हुए  संत संजय महाराज ने कहा कि -बिनु विश्वास भगति नहि, तेहु विनु द्रवहु न राम।

हमारे जीवन में जितने धार्मिक उपक्रम होते हैं, उनका परम लक्ष्य भक्ति प्राप्त करना है और उस भक्ति की प्राप्ति तब होगी जब हमारे जीवन में विश्वास होगा। विश्वास अर्थात शिव। भवानी शकरौ वन्दे श्रद्धा विश्वास रुपिणी।
अर्थात शिव और पार्वती श्रद्धा और विश्वास के स्वरूप है

महाराज श्री ने कहा कि जीवन में संशय नहीं करना चाहिए, क्योंकि स्वयं से व्यक्ति स्वयं का नाश कर लेता है- 'संशय आत्मा विनय आत्मा विनश्यति'।
श्री सद्गुरु के चरणो में विश्वास ही भक्ति एवं मोक्ष के मार्ग को प्रशस्त करता है।
कथा के मुख्य यजमान महासभा के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष रामनारायण मिश्र व सावित्री मिश्र, राजेश प्रसाद पांडेय व शशिकला पांडेय, रवींद्रकुमार पांडेय व अरुणा पांडेय है। सोमवार के यजमान ओमप्रकाश मिश्र तथा प्रेमशंकर चौबे थे। 

रामकथा का समय प्रतिदिन दोपहर 3 से शाम 7 बजे तक रहेगा। 8 नवंबर को शिव विवाह और नारद मोह प्रसंग, 9 नवंबर को श्रीराम जन्मोत्सव, 10 नवंबर को सिया पिया मिलन, 11 नवंबर को भरत मिलाप, 12 नवंबर को हनुमान चरित्र व सुंदरकांड होगा। 13 नवंबर को कथा में श्रीराम राज्याभिषेक के बाद शाम 5 बजे पूर्णाहुति, रात 8 बजे महाप्रसाद होगा। सफलतार्थ महामंत्री राजेश पांडेय, ओमप्रकाश मिश्र, प्रेमशंकर चौबे, रत्नेश्वर तिवारी, केशवकांत तिवारी, शैलेश पांडेय, ब्रजेश मिश्र, अजय त्रिपाठी, मनोज पांडेय, जयराम दुबे, जीवन शुक्ला आदि प्रयासरत है।
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