विदर्भ में पिछड़ गया मानव विकास सुचकांक
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नागपुर। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा जारी की गयी रिपोर्ट के अनुसार भारत वर्ष 2020 के मानव विकास सुचकांक में 189 देशों में अपने पिछले दो पायदान फिसलकर 131 वे स्थान पर आ गया है।
मानव विकास सुचकांक क्या है ? मानव विकास सुचकांक मानव विकास के तीन मुल मापदंडो यानी जीवन प्रत्याशा, शिक्षा, और प्रति व्यक्ती आय में देशों की औसत उपलब्धि को मापता है।
महाराष्ट्र राज्य के विदर्भ की नागपुर जिले की तहसीले मानव विकास सुचकांक के मामले में सावनेर और रामटेक पिछड चुकी है। इसी तरह विदर्भ में अकोला, अमरावती, यवतमाळ, भंडारा, बुलडाना, गोंदिया, गडचिरोली व चंद्रपूर जिलो की तहसीले भी मानव विकास सुचकांक मे पिछड चुकी है।
विदर्भ में वर्धा जिले को छोडकर उपरी सभी जिलों की 120 तहसीलो में से 60 तहसील सरकारी कामकाज की कामचोरी और प्रशासनिक लापरवाही के तहत मानव विकास सुचकांक का काम आगे बढ नही पाया।
इन्ही लापरवाही के चलते माननीय राज्यपाल माहोदय ने सन 2016 में मानव विकास सुचकांक के खाके सुधारने के काम करने के आदेश दिए गए थे। राज्य में विदर्भ के नागपुर, गोंदिया, यवतमाळ, वाशिम, बुलडाना और अमरावती इन जिलों ने मानव विकास सुचकांक के खाके बनाए गए थे और पेश भी किए गए थे। लेकीन आज की परिस्थीती में वे खाके अंतिम सांसे गिन रहे है।
राज्यपाल महोदय के आदेश की परवाह न करते हुए सरकारी महकमा कुछ भी काम न कर सका। 30 अप्रेल 2020 को जिस विदर्भ विकास मंडल की अवधी खत्म हुई उसी विदर्भ विकास मंडल की सहायता से मानव विकास सुचकांक के खाके तयार किए गये थे।
वर्तमान मे विदर्भ विकास मंडल बेअसर साबित हुवा है। विदर्भ विकास मंडल के अनुसार मानव विकास सुचकांक तैयार करने का काम राज्य सरकार या कानून मान्य संस्था द्वारा होना था।
विदर्भ विकास मंडल का समय समाप्त होते ही मानव विकास सुचकांक का काम बंद कर दिया गया। इस विषय मुद्दों के जानकारी के अनुसार विदर्भ विकास मंडल की अवधी बढाने के लिए अब सिर्फ माननीय राष्टपती महोदय सम्मती के अलावा काई विकल्प नहीं है।
यह जानकारी भारतीय भ्रष्टाचार निर्मूलन परिषद के अध्यक्ष राजेश रंगारी ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी।