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शिकायतें भी बहुत हैं शरारतें भी बहुत है : डॉ. निक्की शर्मा


साहित्य सौरभ में हुआ उत्कृष्ट व्यक्तित्व का साक्षात्कार

नागपुर/मुंबई। धराधाम इंटरनेशनल की विशेष प्रस्तुति साहित्य सौरभ के ऑनलाइन एपिसोड में बिहार के पूर्व पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पाण्डेय के उपस्थिति में धरा अम्बेस्डर डॉ निक्की शर्मा द्वारा अपनी नई नई रचनाये सुनाकर लोंगो को मंत्रमुग्ध कर दिया। 

डॉ निक्की ने अपने कविता एवम रसमयी स्वर से सभी दर्शको को खूब वाहवाही बटोरी। वहीं इंटरनेट की सेवा की रुकावट से गुप्तेश्वर पाण्डेय का अपनी बात नही रख सके। लेकिन धराधाम इंटरनेशनल के प्रमुख सौहार्द शिरोमणी डॉ सौरभ पाण्डेय द्वारा गुप्तेश्वर पाण्डेय के बहुआयामी व्यक्तित्व पर काफी सारगर्भित प्रकाश डाला।

डॉ निक्की शर्मा की निम्नलिखित रचना काफी सराही गयी।
'देख न पाया मन भरा, बहुत मिली है हार।

जीवन क्या जीये भला, काल कि हुई पुकार।

जाने वाले जा रहे, भीड़ लगी शमशान।
तड़प रही है जिंदगी, निकल रहे हैं प्रान।

पियूष दायिनी है ये, करुणा के अवतार।

ममता स्नेहिल जिंदगी, माँ जीवन आधार।
नारी के सम्मान से, सुखी होता परिवार

नारी को भी है सभी,  नर जैसा अधिकार।
मैंने पूछा जिंदगी से कौन हो तुम

उसने कहा जो तू जी रहा है वही तो हूं मैं, तेरी सांसों में बसती हूं तेरे साथ ही तो चलती हूं।

और अंत मे डॉ निक्की ने जैसे ही यह कविता सुनाई काफी वाह वाही बटोरी।

'शिकायतें भी बहुत है शरारतें भी बहुत है कैसे कहुं हाँ तुमसे मौहब्बतें भी बहुत है। 

भुल जाऊँ ये मुमकिन नहीं इस दिल को तुम्हारी आदतें बहुत है।'

काव्य 867818458589635511
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