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अंतरिक्ष की सैर का सपना मानव ने हकीक़त में बदला


हम आदि जुगादि काल से ही अनेक वाक्यों और जुमलों को सुनते आ रहे हैं कि, आसमान से तारे तोड़कर ला दूंगा,आसमान को झुका दूंगा,चल गगन में उड़ चलें, पंछी बनूं उड़ती चलूं मस्त गगन में, आसमान मे माननीय कालोनियां बनेगी वहां प्लाट लेकर घर बनाएंगे, इत्यादि अनेक प्रकार की बातों को हम अपनी दिनचर्या में सुनते आ रहे हैं जो जुमलोंऔर सपना देखने के तुल्य है। परंतु आध्यात्मिकता में कहते हैं ना कि! ब्रह्मांड में 84 करोड़ जीवोंमें मानवही सबसे शक्तिमान और बुद्धिमान जीव है। 

आज सच साबित होने लगा है! क्योंकि आसमान पर पर्यटन की सच्चाई को तेजी से आगे बढ़ते हम देख रहे हैं। परंतु मानव कितना भी कर ले,कुदरत के आगे बौना ही रहेगा,यह सबसे साफ सुथरी सच्चाई है...। साथियों बात अगर हम अंतरिक्ष में भारत के जाने की करें तो, विंग कमांडर राकेश शर्मा वो पहले भारतीय हैं जिसने अंतरिक्ष में पैर रखा था। अप्रैल 1984 को जब वह अंतरिक्ष में पहुंचे तो उनके साथ ही भारत का नाम भी दुनिया के नक्‍शे में एक नई वजह से चमकने लगा था। विंग कमांडर राकेश का उस यात्रा को 37 साल पूरे हो गए हैं। 

अभी तकवो पहले भारतीय हैं जिनका रिकॉर्ड कोई नहीं तोड़ सका है। हालांकि भारतीय मूल के कुछ यात्री अंतरिक्ष जरूर पहुंचे हैं लेकिन वो भारतीय नागरिक नहीं थे। इसी कॉन्‍फ्रेंस के दौरान तत्‍कालीन भारतीय प्रधानमंत्री ने उनसे पूछा था, अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है? इसके जवाब में विंग कमांडर राकेश ने कहा था, सारे जहां से अच्‍छा हिन्‍दुस्‍तान हमारा,, वाह!!! क्या बात है! बहुत ही शानदार! उनका यह जवाब आज भी एक एतिहासिक जवाब माना जाता है...। 

साथियों बात अगर हम वर्तमान समय की करें तो, ज्यादातर लोगों के लिए अंतरिक्ष की सैर एक ऐसे सपने के जैसा है, जो कभी भी पूरा नहीं हो सकता। 28 अप्रैल 2001 को डेनिस टीटो को पहला अंतरिक्ष पर्यटक होने का गौरव हासिल हुआ। लेकिन अब दुनिया के दो बड़े कारोबारी आमेजन के जेफ बेजोस और प्राइवेट स्पेस एजेंसी वर्जिन गैलेक्टिक के संस्थापक सर रिचर्ड ब्रैनसन केबीच अंतरिक्ष पर्यटन को लेकर होड़ लग गई है...। 

साथियों बात अगर हम अंतरिक्ष में पर्यटन कीकरे तो जहां रिचर्ड ब्रैनसन की कंपनी वर्जिन गैलेक्टिक और जेफ बेज़ोस की स्पेस कंपनी ब्‍लू ऑरिजिनपर्यटकों को अंतरिक्ष के छोर तक का सफर कराना चाहती है, वहीं विलियम ई बोइंग द्वारा स्थापित कंपनी ‘बोइंग’ और इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स नासा के सहयोग से बनाए गए स्पेस कैप्सूलों में टूरिस्टोंको इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर ले जाना चाहती है। 2023 तक स्पेसएक्स पैसे लेकर लोगों को चाँद की सैर कराना चाहती है। नासा ने भी पर्यटन के उद्देश्य से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को 2021-22 तक खोलने का निर्णय किया है...। 

साथियों बात अगर हम भारतीय मूल के अंतरिक्ष में जाने की करें तो दिनांक 11 जुलाई 2021 को, सिरिशा अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाली भारतीय मूल की तीसरी और चौथी भारतवंशी होंगी जिन्होंने अंतरिक्ष में उड़ान भरी है। भारतीय मूल की एरोनॉटिकल इंजीनियर 34 वर्षीय सिरिशा बांदला ने अंतरिक्ष की उड़ान भरी है, न्यू मैक्सिको से अंतरिक्ष की यात्रा करने के लिए बांदला वर्जिन गैलेक्टिक के अंतरिक्ष यान टू यूनिटी में ब्रैनसन और चार अन्य लोगों के साथ रवाना हुईं थीं। आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में जन्मी बांदला अमेरिका के ह्यूस्टन में पलीं-बढ़ी हैं। 

न्यू मैक्सिको से अंतरिक्ष यान की उड़ान में ब्रैनसन (70) के साथ पांच और लोग करीब 53 मील की ऊंचाई (88 किलोमीटर) पर अंतरिक्ष के छोर पर पहुंचे। वहां तीन से चार मिनट तक भार हीनता महसूस करने और धरती का नजारा देखने के बाद वापस लौट आए जिसे हम सभ ने 11 जुलाई 2021 को सभी टीवी चैनलों पर देखें।कहा जा रहा है कि अगले साल तक वर्जिन की अमेरिका में कॉमर्शियल स्‍पेस ट्रैवल की शुरुआत करने की योजना है, जिसके तहत लोगों से पैसे लेकर अंतरिक्ष की सैर कराई जाएगी और यदि ऐसा होता है तो इस उपलब्धि को पाने के लिए अरबपति मुंहमांगा पैसा खर्च करने में कोई गुरेज नहीं करेंगे क्योंकि रोमांच के साथ ये उन लोगों के लिए एक ग्लोबल प्रतिष्ठा का सवाल है। अभी बेज़ोस की अंतरिक्ष यात्रा भी 20 जुलाई 2021 को प्रस्तावित है।

आर्टिकल में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और टीवी चैनलों का सहयोग लिया गया है...। साथियों बात अगर हम भारत की करें तो,पहले मानवरहित मिशन को दिसंबर 2020 और दूसरे मानवरहित मिशन को जून 2021 में भेजने की योजना बनाई गई थी। इसके बाद गगनयान के तहत दिसंबर 2021 में मानव को पहली बार अंतरिक्ष में भेजने की योजना बनाई गई थी लेकिन कोरोना संकट के चलते यह मिशन प्रभावित हुआ है। हम उम्मीद करते हैं कि 2022-23 में यह लक्ष्य जरूर हासिल कर लेंगे। 

अतः उपरोक्त पूरे विवरण का अगर हम अध्ययन कर का विश्लेषण करें तो हम देखेंगे के अंतरिक्ष पर्यटन धरती के पार अंतरिक्ष की सैर करने का सपना मानव ने हकीकत ने बदल दिया है और ब्रह्मांड की सृष्टि में मानव सबसे शक्तिमान जीव है परंतु कुदरत के आगे हमेशा बना ही रहेगा।


- संकलनकर्ता - कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र

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