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सिंधी नाटकों में अहम भूमिकाएं निभायी हैं गुरमुख मोटवानी ने


सितारा कला जा कार्यक्रम में कलाकारों का प्रतिपादन

नागपुर। सिंधी  रंगमंच के वरिष्ठ रंगकर्मी गुरमुख मोटवानी ने सिंधी नाटकों में अहम भूमिकाएं निभायीं हैं। आखिल भारतीय स्तर पर होने वाली प्रतियोगिताओं व सिंधी नाट्य महोत्सवों में अपनी बेहतरीन अदाकारी से दर्शकों पर छाप छोड़ी है। इस आश्य के विचार सिंधी कलाकारों की संस्था सिंधुड़ी यूथ विंग के रजत जयंती वर्ष के अंतर्गत सिंधुडी़ यूथ विंग व सुहिंणा सिंधी पूना के संयुक्त त्वावधान में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित दादा रोचलदास केवलरामानी की स्मृति में फेसबुक पर आयोजित "सितारा कला जा" इस कार्यक्रम में कलाकारों ने व्यक्त किये.

प्रस्तावना में प्रोग्राम डायरेक्टर तुलसी सेतिया ने बताया कि  सिंधी रंगमंच पर नाटकों का आरंभ मोटवानी ने सिंधी रंगमंच के भीष्म पितामह स्व. सुन्दर बुटाणी के निर्देशन  में किया।सिंधी रंगमंच पर 150 से नाटकों के शो में अभिनय करने का कीर्तीमान स्थापित किया है।मोटवानी ने सिधुड़ी नाट्य संस्था के अध्यक्ष पद पर रहकर अपनी सेवाएं दी हैं। 

स्व.सुंदर बुटाणी की स्मृति में नाट्य सौरभ अवार्ड से किशन आसूदानी द्वारा सम्मानित किया गया है। सत्कार मूर्ती गुरमुख मोटवानी ने कहा कि दादा सुन्दर बुटाणी के निर्देशन में "हुजेई नाणों त", "हीउ प्यासो मनु मुहिंजो"उल्टी गंगा, "हिकु अजीब दास्तान", हरीश माईदासानी के निर्देशन में "माउ 

मुरली पीउ तंबूरो", वतन जा वेरी"
"सजण देरि कयइ ईंदे ईंदे, तोभहं

तोभहं भगवान बचाए आदि। तुलसी सेतिया के निर्देशन में झूलेलाल, सिंधुड़ीअ जो सरताजु कंवरू, महाराजा डाहिरसेन, असां वड्नि जो कमु,डा. मीरा के निर्देशन में डाढी वारो दातार, वसे थो वसणशाह नाटकों अहम भूमिकाएं निभाने का अवसर मिला।दर्शकों का प्यार मिला, सिंधुड़ी की पूरी टीम का सहयोग प्राप्त हुआ‌। अभिनय का सिलसिला यूं ही चलता रहेगा। 

अपनी संस्कृति सभ्यता व बोली के विकास के लिए मैं प्रयारत रहूंगा।उनहोने अपने खट्टे मीठे अनुभव बताए। सिंधुडी़ नाट्य संस्था के अध्यक्ष व वरिष्ठ निर्देशक हरीश माईदासानी ने इस अवसर पर कहा कि हास्य नाटकों के अलावा सामजिक संदेश देने वाले गंभीर नाटकों के कैरेक्टर में अपने अभिनय से जान डालते हैं।

सुहिणा सिंधी पूना के अध्यक्ष पीतांबर पीटर ढलवानी ने कहा कि गुरमुख मोटवानी ‌जैसे सिंधी रंगमंच के लिए समर्पित  कलाकारों पर समाज को गर्व है।

महाराजा डाहिरसेन के नाटक की सीन मैने देखी उम्दा अभिनय  के लिए मोटवानी का मैं अभिनंदन करता हूं। सिंधी फिल्मों व नाटकों के लेखक किशोर लालवानी ने कहा कि शालेय जीवन है नाटकों के लिए समर्पित गुरमुख मोटवानी ने आवाजी कल्चर को बढ़ावा देने वाले सशक्त माध्यम सिंधी नाटकों हेतु अविस्मरणीय योगदान दिया है। कुछ रोल तो मैने गुरमुख मोटवानी को सेंटर कैरेक्टर के रुप रखकर लिखे हैं।मोहन सचदेव द्वारा प्रस्तुत "वांदो वासू" में अहम भूमिका निभायी। 

वरिष्ठ रंगकर्मी डा. विजय मदनानी ने उन्हे मंझा हुआ कलाकार बताया, डा. मीरा जारानी ने गुरमुख मोटवानी के अभिनय की सराहना की और हास्य नाटक के संवाद प्रस्तुत कर गुरमुख मोटवानी व मीरा जारानी ने दर्शकों का मनोरंजन किया। आभार किशोर लालवाणी ने माना। इस कार्यक्रम का लाइव प्रसारण पवन मटलानी व प्रेम मटलानी ने किया।
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