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पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मिला पालको का शिष्ट मंडल


शिक्षा के अधिकार का खुले आम हो रहा उल्ल्घन

नागपुर। पालको का एक शिष्ट मंडल विदर्भ पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संदीप अग्रवाल व जागरूक पालक समिति के अध्यक्ष नितिन नायडू के नेतृत्व में महाराष्ट के पूर्व मुख्यमंत्री व विरोधी पक्ष नेता देवेंद्र फडणवीस से मिलकर पालको को हो रही समस्याओ से अवगत कराया। 

संदीप अग्रवाल ने उन्हें बताया की पिछले डेड साल से नागपुर में नो स्कूल नो फीस की मुहीम शुरू है और सत्ताधारी पक्ष व प्रशासनिक अधिकारी और स्कूल संचालक किसी भी प्रकार का सहयोग नहीं कर रहे है। कोरोना के कारण सभी पालकों की आर्थिक हालत पूरी तरह बिगड़ चुकी है आर्थिक तंगहाली के बावजूद स्कूल फीस हेतु पालको पर दबाव निर्माण कर रहा है और डराकर धमका कर फीस वसूली में लगा है। 

स्कूलों द्वारा खुले आम कानून की धज्जिया उड़ाई जा रही है और शिक्षा के मौलिक अधिकारों से बच्चो को वंचित किया जा रहा है। प्रशासनिक अधिकारी व स्कूल संचालक दोनों साठ गाठ कर कर पालको के साथ अमानवीय व्यवहार कर रहे है। हाल ही में देश की सर्वोच्च न्यायलय ने भी स्कूलों को १५ प्रतिशत फीस ट्यूशन फीस में कटौती को कहा था साथ ही जो सुविधाएं बच्चो ने नहीं वापरी उसकी फीस पूरी तरह माफ़ करने को कहा था साथ ही स्कूलों को हिदायत दी थी की फीस हेतु किसी भी बच्चो का भविष्य ख़राब नहीं होना चाहिए जिसके विपरीत भी स्कूल वाले रंगदारी कर रहे है और खुले आम बच्चो के ऑनलाइन लिंक, रिजल्ट रोक रहे है और तो और कुछ स्कूले बच्चो को जबरन TC भेज रहे है। 

अग्रवाल ने कहा की कोरोना के दौरान अपने आप को और परिवार को इस महामारी से बचाने में हर नागरिक जदोजहद कर रहा है जिसके बावजूद स्कूल संचालक फ़ीस वसूली के लिए मनमानी कर रहे है। कई स्कूलों ने ऑनलाइन क्लासेस शुरू कर रखी है जो सिर्फ फ़ीस वसूली का एक बहाना है।बार बार शिक्षा विभाग में शिकायत के बावजूद अधिकारी कोई कार्यवाही नहीं कर रहे है। 

राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग ने भी कहा है की १८ साल से कम उम्र के बच्चो से कोई भेदभाव ना किया जाये साथ ही फीस न भरने का मसला पालको और स्कूल संचालक के बिच है इसमें बच्चो को ना घसीटा जाए अग्रवाल ने उन्हें बताया की  प्रदेश में निजी स्कूलों के लिए रेग्युलेशन ऑफ़ फ़ीस एक्ट २०११ कानून लागु है। परन्तु दुर्भाग्य से स्कूल इस कानून का पालन  नहीं कर रही है। 

महाराष्ट्र सरकार  में शिक्षा राज्यमंत्री बच्चूभाऊ कडु से मिल कर विदर्भ पेरेंट्स एसोसिएशन ने कुछ स्कूलों  का सरकारी ऑडिट करने की मांग की  थी जिसके बाद  मा मंत्री बच्चूभाऊ कडु ने नागपुर विभाग की कुछ चुनिंदा स्कूलों के दो वर्ष का ऑडिट कराने  के आदेश दिए थे। शिक्षा उपसंचालक, नागपुर द्वारा यह ऑडिट शुरू किया गया जिससे  यह बात सामने आई है की इन स्कूलों ने केवल दो वर्ष में ही तक़रीबन १०० करोड़ की गैर क़ानूनी उगाही  पालको  से  की है।  

महाराष्ट्र में फीस एक्ट २०११ लागु है और इसमें  में स्पष्ट प्रावधान है की सभी स्कूलों ने पैरेंट टीचर
एसोसिएशन (PTA)  का गठन करना चाहिए और गठन करने की पूरी प्रक्रिया भी इस कानून में लिखी  है परन्तु कोई भी स्कूल ने उस गठन की प्रक्रिया का पालन नहीं किया और मनमानी तरीके से अपनी पसंद के पालको को लेकर PTA  में  लेकर बोगस समिति बनाई।  

PTA बनाने की जानकारी स्कूल की वेबसाइड पर डालना, नोटिस बोर्ड पर लगाना तथा  सरकार को इसकी जानकारी देना अनिवार्य था साथ ही गठन की प्रक्रिया की विडिओग्राफी करना भी अनिवार्य था।  परन्तु किसी भी स्कूल ने सरकार के पास यह जमा नहीं कराया और शिक्षा विभाग ने भी उन स्कूलों पर ऐसा न करने हेतु कोई भी कार्यवाही  नहीं की।  यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।  

स्कूल द्वारा Miscellaneous  फीस के नाम पर भी गैरकानूनी वसूली की गयी। स्कूलों द्वारा कानून का पालन नहीं किया गया। सभी पालको ने स्कूलों ने जब जब जितने पैसे मांगे गए उन्होंने दिया पर स्कूलों ने कभी भी पालको के हितो का ध्यान नहीं रखा। और केवल पैसा कमाने है उनका उपदेश बन गया है।  सभी निजी स्कूले विभिन्न संस्थाओं द्वारा चलाई जाती है और ये सभी  संस्थाए चैरिटी  कमिश्नर के यहाँ पंजीकृत है और मुनाफा कमाना इनका उपदेश नहीं है ऐसा स्पष्ट प्रावधान है। 

प्रदेश की किसी भी निजी स्कूल ने इस कानून के प्रावधानों का पालन नहीं किया है। विभिन्न स्कूले फीस नहीं भरने वाले बच्चो को जबरन स्कूल से निकाल रही है और उन्हें TC दे रहे है जो की पूरी तरह गैरकानूनी है और शिक्षा के मौलिक अधिकारों का हनन है। जागरूक पालक समिति के अध्यक्ष नितिन नायडू ने बताया की पिछले १ साल से पालको को इधर उधर घुमाकर शिक्षण अधिकारी किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं कर रहा है और स्कूल संचालको का पक्ष ले रहा है। ऐसे अधिकारी को तुरंत बर्खास्त करना चाहिए।

श्री संजय शर्मा ने बताया की खुले आम सरकार द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों की धज्जिया उड़ाई जा रही है और सत्तापक्ष आँखे मूंद सब देख रहा है। श्री देवेंद्र फडणवीस ने पालको की सारी समस्या बड़ी गंभीरता से सुनी और समझी और आश्वासन दिया की पालको के साथ वे खड़े है। और किसी भी प्रकार का गैरकानूनी काम करने वाले को वे बख्शेंगे नहीं बहोत जल्द वे पालको की सारी समस्या सरकार के सामने रखकर पालको को न्याय दिलाने की मांग करेंगे। प्रतिनिधि मंडल में भवानी प्रसाद चौबे, अरुण वनकर, अनूप जैन एडवोकेट राधे अग्रवाल, अशोक जिंदल, जगदिश  शर्मा, पंकज कालबंधे इत्यादि बड़ी संख्या में पालक मौजूद थे।

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