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सुंदरकांड पाठ का राष्ट्रीय बेविनार हुआ


राष्ट्रीय सर्वभाषी ब्राह्मण संगठन एवं अखिल भारतीय उत्तराखंड युवा प्रतिनिधि मंच का आयोजन

नागपुर। राष्ट्रीय बेविनार में बड़े मंगल पर सुंदरकांड पाठ जिसमें, सुमिरि पवनसुत पावन नामू। आपन बस करि राखे रामू।। के आवाह्न के साथ आज जेष्ठ मास के प्रथम मंगलवार को अखिल भारतीय उत्तराखंड युवा प्रतिनिधि मंच एवं राष्ट्रीय सर्वभाषी ब्राह्मण संगठन द्वारा आनलाइन सुंदरकांड पाठ का आयोजन कर सभी के मन में उत्साह व एकता का हर्षोलास भर दिया। 

गुगल मीट पर आयोजित राष्ट्रीय बेविनार 'सुंदरकांड पाठ' के प्रारम्भ में राष्ट्रीय अध्यक्ष हरीश उपाध्याय ने अपने उद्बोधन में कहा कि कोरौना जैसी महामारी के दूसरे चरण की भयंकर प्रादुर्भाव ने लोगों को अचंभित कर दिया है। महामारी के रूप में वैश्विक स्तर पर फैले  कोरोना की रोकथाम एवं बाखई के सदस्यों के कष्टों के निवारण, स्वास्थ्य लाभ की दृष्टि से हनुमान ही एकमात्र सहारा है। 

इस वेबीनार के माध्यम से सब संकटमोचक  कपि से विनती करते हैं कि वह सब को स्वस्थ रखें, कोरोना से इस विश्व को मुक्त करें। श्री उपाध्याय ने कहा कि सब भक्तों की ओर से शंकर जी के अंशावतार, शंकर सुवन केसरी नंदन, रघुवर कृपा के स्वर्ण धनुष, सीता मैया के लाडले, लक्ष्मण जी के प्राण रक्षक, अंजनी माता के दुलारे, केसरी जी के लाल रत्न, पवन देव के पुत्र, सूर्य देव के शिष्य, वैष्णो मां के अनुगामी, सुग्रीव के सखा, वानरों के अधिश्वर, राक्षसों के संहारक, 

शनि प्रभाव के मुक्तिदाता, तुलसीदास के आराध्य एवं अर्जुन रथ के ध्वज आभूषण, भूत प्रेत बाधा के नाशक, भक्तों के संकटमोचक। ऐसे महाबली हनुमान जी, रुद्रावतार महावीर स्वामी व बजरंगबली व रघुपति प्रिय भक्त, रामदूत, मारुति नंदन के चरण कमलों में कोरोना वायरस से वैश्विक स्तरीय मुक्ति व जन स्वास्थ्य, जन कल्याण, समस्त रोग मुक्ति के लिए सभी देवी - देवताओं का स्मरण ध्यान करते हुए शीश नवाकर हनुमान जी का स्तवन किया। 

शंख ध्वनि के साथ कार्यक्रम के शुरुआत में राष्ट्रीय अध्यक्ष रति चौबे ने सुंदर काण्ड की महत्ता से परिचित कराया। उन्होंने कहा कि एक वायरस ने सारी दुनिया में तबाही मचाई और इस समय मनुष्य में एकमात्र ईश्वर व सुंदरकांड पाठ ही आत्म विश्वास और इच्छाशक्ति उत्पन्न कर सकता है। क्योंकि वही सत्य  है, मानसिक शांति देता है, उर्जित करता है, सारी पैशाचिक शक्तियों को खत्म करता है। 

इस पाठ का नाम, सुंदरकांड क्यों पडा़ : सुंदर पर्वत पर स्थित अशोक वाटिका में हनुमान सीता से मिलते हैं उनको खोजते हुए, तभी से सुंदर कांड नाम पड़ा, क्योंकि यह एक प्रमुख घटना थी। आनलाइन सुंदरकांड का पाठ सस्वर रोचक रहा। अंत में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तनु खुल्बे ने उत्तर काण्ड की चौपाई - मो सम दीन न दीन हित तुम समान रघुबीर.. कामिहि नारि पिआरि जिमि लोभिहि प्रियजिमि दाम  व श्लोक : यतपूर्व प्रभुणा. संसार पतंग घोर.. पढ कर  धन्यवाद दिया। 

इस अवसर पर हैदराबाद से भगवती पंत की सुमधुर राम स्तुति रही, दिल्ली से मधुबाला ढोलकी पर सुंदर पाठ, बरेली से राजेश भट्ट का सस्वर पाठ, भावना का अल्मोढा से, कुसुमजोशी ऋषिकेश, प्रीति देहरादून, रति चौबे, शशीभार्गव एवं मीना तिवारी, ममता शर्मा, ममता, कविताएं परिहार, कृष्णकुमार भार्गव, रेखा पांडे, नैनिका नागपुर, हरीश उपाध्याय, सतीश जोशी, चंद्राजोशी, तनु खुल्वे, संजीव गर्ग ग्रंथि, राबबलीप्रसाद गुप्ता, देवकी नंदन, लखनऊ से, किरण हटवाया नागपुर, शिवाजी चौहान, हरियाणा आदि बड़ी तादाद में भक्तिभाव से सुंदर कांड के पाठ में आनलाइन उपस्थित रहे। अंत में शंखनाद के साथ रामायण आरती वो हनुमानजी की आरती है कार्यक्रम सुखद रूप से समाप्त हुआ।
 

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