डॉ. परमानंद पांचाल को नागरी लिपि परिषद् ने दी श्रद्धांजलि
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नागपुर/ पुणे। आचार्य विनोबा भावे की सद्प्रेरणा से स्थापित नागरी लिपि परिषद, राजघाट, नई दिल्ली के संरक्षक तथा पूर्व महामंत्री, अध्यक्ष डॉ. पपरमानंद पांचाल के लिए आभासी श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया था, जिसमें देश - विदेश के अनेक विद्ववत जनों ने भावभीनी विनम्र श्रद्बांजलि अर्पित की। प्रारंभ मे नागरी लिपि परिषद के महामंत्री डॉ. हरिसिंह पाल ने डॉ. पांचाल के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए परिषद के कार्यो में उनके योगदान को विशद किया।
डॉ. नारायण कुमार, मानद निदेशक अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद विदेश मंत्रालय, दिल्ली ने कहा कि डॉ. पांचाल ने दक्खिनी पर अनुपम कार्य किया है। उन्होंने जीवन को उत्सव की तरह जिया। डॉ. वी. पी. मुहम्मद कुंज मेहत्तर पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष, केरल वि. वि. त्रिवेंद्रम ने कहा कि डॉ. पांचाल नागरी लिपि के क्षेत्र में भाषाविद् व सक्रिय कार्यकर्ता रहे।
डॉ. राजलक्ष्मी कृष्णन, पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष, चेन्नई ने कहा कि डॉ. पांचाल जी ने अपना सारा जीवन देवनागरी लिपि के प्रचार - प्रसार मे लगाया। सुरेश चन्द्र शुक्ल, ओस्लो, नार्वे ने व्यक्त किया कि डॉ. पांचाल हिंदी व नागरी लिपि के सच्चे प्रेमी थे। डॉ. रंजना अरगडे़, पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष गुजरात विश्व विद्यालय, अहमदाबाद, गुजरात ने कहा कि डॉ. पांचाल में समर्पण भाव था। नागरी लिपि के क्षेत्र में मुझमें जो जागरूकता आयी उसका श्रेय डॉ. पांचाल को है।
डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज, छत्तीसगढ़ इकाई की हिंदी सांसद रायपुर ने कहा कि डॉ. पांचाल बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। उनका प्रेरणादायी कार्य सबको प्रेरणा देता रहेगा। डॉ. वीरेंद्र कुमार यादव, पटना ने कहा कि डॉ. पांचाल नागरी लिपि के सजग प्रहरी थे। वे हमारे लिए प्रेरणा स्त्रोत थे। उनकी वाणी मे जीवंतता, प्रखरता व व्यक्तित्व में कर्मठता थी। डॉ. रमेश आर्य, निदेशक, राजभाषा, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, दिल्ली ने कहा कि डॉ. पांचाल का व्यक्तित्व प्रभावी था।
डॉ. श्याम सुंदर कथूरिया, संयुक्त निदेशक, राजभाषा कर्मचारी राज्य बीमा निगम, श्रम मंत्रालय, भारत सरकार,दिल्ली ने कहा कि पांचाल ने अपनी वृद्धावस्था मे कम्प्यूटर को अपना मित्र बनाया था। उन्होंने परिषद को पुराने ढर्रे पर नहीं चलाया। बल्कि आधुनिकता को भी उसके साथ जोडा़ था। डॉ. अखिलेश आर्येंदु, मंत्री, आर्य लेखक परिषद ने कहा कि सकारात्मकता डॉ. पांचाल के जीवन के साथ आजीवन जुड़ी रही।
विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज के सचिव डॉ. गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी ने कहा कि डॉ. पांचाल का व्यक्तित्व विशाल था। नागरी लिपि के माध्यम से वे सभी क्षेत्रों मे जाने जाऐंगे। नागरी लिपि परिषद्, नई दिल्ली के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. शहाबुद्दीन नियाज़ मुहम्मद शेख, पुणे ने कहा कि पिछले छत्तीस वर्षों से डॉ. पांचाल के साथ घनिष्ठ संबंध रहा। वे राष्ट्रभाषा हिंदी और देवनागरी लिपि के हिमायती थे। सभी के साथ उनका व्यवहार आत्मीयता पूर्ण था। वे उत्तम वक्ता और लेखक थे।
नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली के अध्यक्ष, पूर्व कुलपति डॉ. प्रेमचंद पातंजलि ने अपने उद्बबोधन में कहा कि डॉ. पांचाल ने अथक परिश्रम, गहरी निष्ठा व लगन के साथ नागरी लिपि की सेवा की हैं। उनकी प्रेरणा निरंतर हमारे साथ जुडी़ रहेगी। वे अत्यंत उदारमना थे। श्रद्धांजलि के आरंभ में और अंत में आचार्य ओमप्रकाश रक्षामंत्रालय, भारत सरकार के पूर्व हिंदी अधिकारी ने शांति पाठ पढा़।
इस अवसर पर डॉ. पदम प्रिया पांडिचेरी, डॉ. जयशंकर यादव, पूर्व सहायक निदेशक, भारत सरकार, उमाकांत खुबालकर, डॉ. रश्मि चौबे, गाजियाबाद, डॉ. नाथूराम राठौर, पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष, दमोह म. प्र., सुधीर पांचाल (पांचाल जी के सुपुत्र) ने अपने विचारों को प्रस्तुति दी। आभासी श्रद्धांजलि सभा का गूगल मीट पर सफल आयोजन नागरी लिपि परिषद् के कार्यकर्ता नारायण तिवारी ने किया तथा डॉ. विनोद बब्बर, संयुक्त मंत्री, नागरी लिपि परिषद नई दिल्ली ने आयोजन का सफल संचालन किया।