स्मृति शेष प्रो सरजू प्रसाद मिश्र श्रद्धांजलि सभा आयोजित
नागपुर। प्रख्यात हिन्दी सेवी साहित्यकार प्रो. सरजू प्रसाद मिश्र कोरोना महामारी से लड़ते हुए २२ मई को दिवंगत हो गए। वे हिन्दी के प्रसिद्ध आलोचक, व्यंग्यकार, कवि और कथाकार के रूप में जाने जाते थे। प्रो. मिश्र नागपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग से प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष के पद से सेवानिवृत्त हुए थे।
उन्होंने महाराष्ट्र के अनेक शासकीय महाविद्यालयों में हिन्दी प्राध्यापक के रूप में सेवाएं दी। उनकी आत्मा की शान्ति के लिए हिन्दी प्राध्यापक परिषद्, नागपुर विद्यापीठ और पूर्व छात्र संघ, हिन्दी विभाग, राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।
नगर के प्रतिष्ठित साहित्यकार डॉ. ओमप्रकाश मिश्रा की अध्यक्षता में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में बोलते हुए स्वर्गीय मिश्र जी के भतीजे वरिष्ठ चिकित्सक, श्रेष्ठ वक्ता डॉ. वेदप्रकाश मिश्र ने कहा कि मेरे चाचा जी सरलता, सहजता और अहंकारशून्यता की प्रतिमूर्ति थे। वे अत्यंत साधारण परिस्थितियों में असाधारण मुकाम हासिल करने वाले एक ऐसे प्रेरणास्रोत थे जिनकी कमी कोई पूरी नहीं कर सकता।
साहित्यकार डॉ. वंदना खुशलानी ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि मिश्र जी एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें स्वाभिमान और सद्भाव की मिसाल कहा जा सकता है। उनकी विद्वता और अध्ययनशीलता अनुकरणीय थी। उनके जाने से हम सबने एक श्रेष्ठ शिक्षक खो दिया है।
जाने-माने आयुर्वेदिक आचार्य और साहित्यकार डॉ. गोविन्द प्रसाद उपाध्याय ने उनकी कमी को साहित्य के लिए अपूरणीय क्षति बताया। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय मिश्र जी जितने बड़े विद्वान थे उतने ही बड़े सज्जन व्यक्ति भी थे। उनके सानिध्य में सदैव क्रियाशील बने रहने की प्रेरणा मिलती थी।
कार्यक्रम का संयोजन - संचालन करते हुए हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज पाण्डेय ने स्व.मिश्र जी को नागपुर की पहचान बताया। उन्होंने कहा कि पूरे देश में वे हिन्दी के प्रतिष्ठित साहित्यकार और प्राध्यापक के रूप में जाने जाते थे।
कोल्हापुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अर्जुन चव्हाण ने अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि वे ऐसे गुरु और छात्र-प्रिय प्राध्यापक थे जिनसे ज्ञान ही नहीं, व्यवहार भी सीखने की चीज थी। हर किसी के लिए सहज सुलभ और हर किसी की मदद के लिए सदैव तत्पर रहने वाले व्यक्ति थे। उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम उनके कार्यों और गुणों को आत्मसात करें, उसे आगे बढ़ाएं।
नागपुर विश्वविद्यालय की सेवानिवृत्त प्रो. डॉ. वीणा दाढे ने उनके साथ कार्य करने के दिनों की याद करते हुए कहा कि वे वास्तव में एक अभिभावक थे। वे सभी को साथ लेकर चलने वाले व्यक्ति थे।
प्रो. मिश्र की छात्रा रही कोल्हापुर की डॉ. माधवी जाधव ने उन्हें एक उदार और व्यापक दृष्टि रखने वाला गुरु बताया। डॉ. वसंत सुर्वे, कोल्हापुर ने कहा कि मैंने उनके जैसा छात्र मित्र प्राध्यापक नहीं देखा। मारिस कालेज की डॉ. रेणु बाली ने स्व. मिश्र जी को एक आदर्श शिक्षक बताया।
सभा की अध्यक्षता करते हुए डॉ. ओमप्रकाश मिश्र ने कहा कि स्वर्गीय मिश्र जी हमारे मित्र, सहकर्मी और शुभचिंतक थे। उन्होंने सदैव लोगों की मदद की। वे बड़े विद्याव्यसनी और साधक शिक्षाविद् थे। इस अवसर पर स्वर्गीय मिश्र जी की पुत्री वर्षा, पुत्र जगदीश और पप्पू ने भी अपना अनुभव साझा किया।
श्रद्धांजलि सभा में डॉ. मिथिलेश अवस्थी, डॉ. जयप्रकाश, डॉ. वारके, डॉ. हेमलता मिश्र मानवी, डॉ. सोनू जेसवानी, डॉ. सपना तिवारी, डॉ. सुमित सिंह सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित जुड़े थे। अंत में मिश्र जी के सुयोग्य छात्र रहे डॉ. राजेश पशीने ने सभी के प्रति आभार ज्ञापित करते हुए कहा कि स्व. मिश्र जी की अधूरी योजनाओं को पूर्ण करने का प्रयास किया जाएगा।