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सीनियर सिटीज़न कालोनी का निर्माण करवाना आज की आवश्यकता


मोटीवेशनल स्पीच में तलरेजा का वक्तव्य

नागपुर। आज के दौर में हम हमारे बच्चों को पढ़ाई व जाब के लिए विभिन्न देशों में में भेजते हैं। फल:स्वरुप उन बच्चों के माता पिता अकेले हो जाते हैं, और कई वर्षों तक अकेले ही रहते हैं और दुख - सुख सहते हैं. इस विषम परिस्थिति में सीनियर सिटीज़न कालोनी का निर्माण करवाना आज की आवश्यकता है. इस कालोनी का निर्माण हर शहर के अंदर हो, कालोनी में कम से कम दो - तीन सौ 2 बेड रुम वाले फ्लैट बने, जहां पर पार्क हो, डिस्पेंसरी हो, ग्रोसरी की दुकान आदि हो। उन्होने बताया कि आज से पांच साल पूर्व नागपुर में  4300 परिवार अकेले रहते थे, अब तो यह संख्या हजारों में पहुंच चुकी हैं. 

इस आशय के विचार मोटीवेशनल स्पीकर दादा वाधनदास तलरेजा ने कहे, वे सिंधुड़ी यूथ विंग व सिंधुड़ी सहेली मंच व सुहिंणा सिंधी पूना की ओर से तुलसी सेतिया के संयोजन में फेसबुक पर आयोजित 'तुझको पुकारे देश तेरा' इस विषय पर मोटीवेशनल स्पीच में बोल रहे थे। 

इस अवसर पर मध्य प्रदेश के पूर्व डिस्ट्रिक्ट व सेशन जज एड. सुदेश हासवानी, टी. वी. आर्टिस्ट मीना शहदादपुरी अहमदाबाद, डा.पीतांबर पीटर ढलवानी, लेखक किशोर लालवानी व सौ. मंजू कुंगवानी प्रमुखता से उपस्थित थे. वाधनदास तलरेजा ने आगे कहा  कि माता पिता अपने बच्चों को पढ़ा लिखा कर विदेश भेजते हैं ताकि खूब धन कमाए, तरक्की करे और माता-पिता अकेले रह जाते हैं चूंकि उनका बेटा वहीं सेटल हो जाता है और कुछ पैसे भेज देता है, क्या पैसा ही सब कुछ है ? प्यार, समर्पण, नैतिकता, त्याग कुछ भी नहीं।

NIR अपनी कमाई का दसवां हिस्सा भारत देश को दें। तलरेजा ने कहा कि हम सबको चार ऋण चुकाने हैं : 1) माता पिता का, 2) परिवार का, 3) समाज का, 4)  देश का. हमारे देश में पिता की संपति पर बेटे का हक होता है लेकिन बेटे की कमाई में पिता का हक्क क्यों नहीं ?, यह निर्धारित होना चाहिए। विदेश में रहने वाले NRI  यदि अपनी कमाई का दसवां हिस्सा भारत देश को देते हैं तो शायद देश की  गरीबी मिट सकती है। माता पिता व पालकों के भरण पोषण की जवाबदारी बेटों की।

पूर्व डिस्ट्रिक्ट व सेशन जज एड. सुदेश हासवानी ने कहा कि कानून का उपयोग तब होता है जब कोई  स्वेच्छा से कार्य नहीं करना चाहता है। हम मिलकर यह प्रण करें कि अपने बच्चों को संस्कारित करेंगे, मारल वेल्यूज़ डेवलप करेंगे और जब हमारे बच्चे संस्कारित होंगे, तो वे इस बात को भी समझ जाएंगे कि जो सुख साथ रहे में है वह अलग रहने में नहीं है। उन्होने कहा कि कानून में यह प्रावधान है कि यदि माता पिता भरण पोषण करने में असमर्थ हैं तो वे अपने बालिग बच्चों से राशि प्राप्त कर सकते हैं। सुप्रिम कोर्ट के अनुसार यदि माता पिता सक्षम ना हों तो विवाहित बेटी से भी भरण पोषण की राशि मांग सकते हैं। 

इस अवसर पर डा. पीतांबर पीटर ढलवानी ने कहा कि वाधनदास तलरेजा  ने व एड.सुदेश हासवानी ने महत्वपूर्ण विषय पर विस्तार से NIR व अन्य विषयों पर सार्थक चर्चा की। लेखक किशोर लालवानी ने अतिथियों का स्वागत किया और विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम की प्रस्तावना व संचालन सिंधुड़ी सहेली मंच की अध्यक्षा कंचन जग्यासी ने किया आभार सिंधुड़ी सहेली मंच की महासचिव मंजू कुंगवनी ने माना। इस कार्यक्रम का प्रसारण पवन मटलानी व प्रेम मटलानी ने किया।
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