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सिंधी संस्कृति, साहित्य व रंगमंच के विकास में समर्पित हैं तुलसी सेतिया


सितारा कला जा कार्यक्रम में कहा वक्ताओं ने

नागपुर। सिंधी संस्कृति, साहित्य, कला, रंगमंच के विकास व सामाजिक क्षेत्र में समर्पित हैं तुलसी सेतिया.. इस आश्य‌ के विचार नागपुर के सिंधी कलाकारों की संस्था सिंधुड़ी यूथ विंग के रजत जयंती वर्ष के अंतर्गत सिंधुडी़ यूथ विंग व सुहिंणा सिंधी पूना के संयुक्त तत्वाधान में  राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित दादा रोचलदास केवलरामानी की स्मृति में फेसबुक पर आयोजित "सितारा कला जा" इस कार्यक्रम में कलाकारों व वक्ताओं ने व्यक्त किये.  

प्रस्तावना व अतिथियों का परिचय प्रीति केवलरामानी ने दिया। भारतीय सिंधू सभा सांस्कृतिक मंच के राष्ट्रीय सहसंयोजक किशोर लालवानी ने  कहा कि सिंधी नाटकों के निर्देशक तुलसी सेतिया ने सिंधी रंगमंच को नईं दिशाएं दीं हैं,  मेरे द्वारा लिखित इष्टदेव झूलेलाल, संत कंवरराम,संत राजाराम, संत चांदूराम साहिब तथा महाराजा डाहिरसेन के जीवन पर आधारित महानाटकों का निर्देशन किया और हजारों दर्शकों ने सराहा है. 

लालवानी ने आगे कहा कि सिंध पाकिस्तान में संत युधिष्टरलाल जी की रहनुमाई में,तुलसी सेतिया के निर्देशन में चार शहरों में नाटकों  का सफल मंचन किया गया। सिंधी संस्कृति, साहित्य व कला क्षेत्र में  दिए योगदान हेतु अखिल भारत सिंधी साहित्य सभा द्वारा इंटरनेशनल अवार्ड से सम्मानित किया था। इनके द्वारा लिखित पुस्तक 'रंग रंगीलो रंगकर्मी' पर महाराष्ट्र राज्य सिंधी साहित्य अकादमी द्वारा साहित्य पुरस्कार से नवाजा़ गया। स्व. सुन्दर बुटाणी तथा हरीश माइदसानी के निर्देशन में सिंधी नाटक, महेश शर्मा के निर्देशन में नागपुर आकाशवाणी पर हिंदी नाटक उसी दौरान इनके साथ राजकुमार हीरानी ने 'चंदा गले का फंदा' में काम किया था।

नागपुर के प्रसिद्ध रिकार्डिस्ट पवन तिवारी ने कहा कि नाटकों के लिए उनका क्रिएशन, व्हीज़न कुछ अलग करने का जुनुन मैने देखा है। कलाकरों की प्रतिभा को उभारने का हर संभव प्रयास करते रहते हैं। इनके द्वारा 'वसे थो वसणशाह' इस नाटक में की गई अदाकारी अविस्मरणीय है। संस्कार भारती नागपुर की अध्यक्षा कांचन गडकरी ने शुभकामना संदेश में कहा कि संस्कार भारती के उपाध्यक्ष पद पर व उत्तर विभाग के अध्यक्ष पद पर रहकर तुलसी ने सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया। 

अंकुर संस्था के अध्यक्ष व वरिष्ठ रंगकर्मी हरभगवान नागपाल ने कहा कि  टैलेंट कान्टेस्ट में बेस्ट एक्टिंग का अवार्ड पाने वाले तुलसी सेतिया ने अ.भा. सिंधी नाट्य प्रतियोगिता में वतन जा वेरी नाटक में अभिनय का पुरस्कार जीता। एक सुलझे हुए आर्गनाईज़र के रुप मे बड़े बड़े आयोजन किए, स्व.सुंदर बुटाणी की स्मृति में  किशन आसूदानी द्वारा प्रदत "नाट्य सौरभ अवार्ड से नवाज़ा गया। 

प्रो.पी.डी.केवलरामानी ने कहा कि समाज सेवा इन्हे विरासत में में मिली तुलसी के पिताजी अंगनामल नामामल सेतिया समाज सेवा में सक्रिय थे। इनके बड़े भाई सन्मुखदास पिछले 50 वर्षों से सिंधी छेज नृत्य में व चंद्रभान सेतिया मैरेज ब्योरो में सेवाएं दे रहे हैं। सेतिया परिवार सेवा कार्यों सदैव तत्पर रहता है।

जी.कुमार आरोग्य धाम के डा.गुरमुख ममतानी ने तुलसी सेतिया को समर्पित समाज सेवी बताया.  उनको श्री कलगीधर सत्संग मंडल के सलाहकारों में से एक बताया। सिंधी भाषा के प्रोत्साहन हेतु  सिंधी विषय में सर्वाधिक अंक अर्जित करने विद्यार्थियों सिंधुड़ी की ओर हमारी माताजी लक्ष्मीदेवी माधवदास ममतानी स्मृति में पुरस्कार प्रदान करते हैं सिंधुड़ी यूथ विंग के अध्यक्ष राकेश मोटवानी ने  कहा कि युवा पीढ़ी सिंधी संस्कृति, कला व भाषा के विकास में आगे आए इसलिए  तुलसी सेतिया व लक्ष्मण थावानी ने सिंधुड़ी यूथ विंग  की स्थापना की। 

मोटवानी ने कहा कि तुलसी सेतिया के मार्गदर्शन में अभी तक नाटकों के 127 शो में अभिनय किया है। भारतीय सिंधू सभा अमरावती के महासचिव  पंडित दीपक शर्मा ने कहा कि भारतीय सिंधू सभा अमरावती व भारतीय सिंधू सभा महिला मंच अमरावती की स्थापना तुलसी सेतिया द्वारा प्रतिदिन अखबार के संपादक नानक आहूजा व डा. एस. के. पुंशी के मार्गदर्शन में की। अमरावती में सांस्कृतिक गतिविधियों को और अधिक बढ़ावा मिला। वे संत कंवरराम धाम से भी जुडे़ हुए हैं। 

सिंधुड़ी सहेली मंच की अध्यक्षा कंचन जग्यासी ने कहा कि  किसी भी समाज की संस्कृति, सभ्यता,भाषा व कला का विकास  महिलाओं के योगदान के सिवाय नहीं हो सकता इसी उद्देश्य को लेकर संस्थापक तुलसी सेतिया ने किशोर लालवानी के सहयोग से सिंधुड़ी सहेली मंच की स्थापना की। अब इस संस्था में 200 महिलाएं कार्य कर रही हैं। 

नाटकों में लाइट इफेक्ट्स देने वाले उल्हासनगर के राकेश काररा ने तुलसी सेतिया के निर्देशन व्हीज़न बारे में विचार रखे। संचालन प्रीति केवलरामानी ने व आभार प्रदर्शन किशोर लालवानी ने किया।कार्यक्रम के समापन में कोरोना महामारी से संपूर्ण विश्व को छुटकारा मिले तद्हेतु इष्टदेवता झूलेलाल जी से पल्लव प्रार्थना की गई।
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