Loading...

विद्यार्थियों के भविष्य की नींव तैयार करने में 12 वीं कक्षा का अद्वितीय रोल


शिक्षा विशेषज्ञों, विद्यार्थियों, अभिभावकों के सुझावों पर विचार जरूरी - एड किशन भावनानी

गोंदिया। वर्तमान कोरोना काल में वैसे तो कोरोना महामारीने वैश्विक रूप से आर्थिक, स्वास्थ्य, व्यापारिक, व्यवसायिक, सहित शिक्षण जगत को भारी नुकसान पहुंचाया है और इसकी कमी पूरी करने में मेहनत, हौसला और संकल्प रखकर पूर्ण करने की आशा की जा सकती है।....बात अगर हम भारतीय शैक्षणिक जगत की करें तो इस क्षेत्र को भी कोरोना महामारीसे भारी नुकसान हुआ है और वर्ष 2020 से ही शिक्षा क्षेत्र डिस्टर्ब है। हालांकि, लंबे लॉकडाउन के बाद 18 जनवरी 2021 को स्कूल खोले गए, लेकिन कक्षा 9 से 12 तक की ही क्लास शुरू की गई. इस लंबी अवधि के दौरान बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास पर गहरा प्रभाव पड़ा। 

विद्यार्थियों के पालकों के अनुसार ऑनलाइन पढ़ाई उतनी कारगर साबित नहीं हो रही है, इससे ज्यादा नुकसान बच्चों को हो रहा है, बच्चे मोबाइल पर दूसरी चीजें देखने के आदी बन चुके हैं। बच्चों की मानसिक स्थिति पहले जैसी नहीं रही है और 8 फरवरी 2021 से राज्य सरकार की नई गाइडलाइन के अनुसार 6 से 12 वीं कक्षा तक स्कूल खोले गए। लेकिन 1 से 5 वी तक के विद्यार्थी घर पर ही रहे जो आज भी घर पर ही हैं। 

1 से 8 वीं तक की शिक्षा को बुनियादी माना जाता है, इस समय जो कुछ पढ़ा और समझा है, वह आगे भी काम आता है। लेकिन कोरोना ने बुनियादी शिक्षा पर ही आघात कर दिया है....बात अगर वर्तमान में 12 वीं कक्षा की स्टेट बोर्ड और केंद्रीय मध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की परीक्षा की करें तो, 14 अप्रैल को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 12वीं और 10वीं बोर्ड की परीक्षाएं रद्द करने का फैसला लिया गया था,यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुई बैठक में लिया गया था। जो कि 4 मई से 14 जून के बीच ये परीक्षाएं होनी थीं। 

क्योंकि कोरोना महामारी की दूसरी लहर की तीव्रता ने दस्तक दे दी और फरवरी माह के अंत से ही इस संबंध में कड़े कदम उठाना शुरू कर दिया गया अनेक राज्यों में लॉकडाउन शुरू कर दिया गया, जो बाद में पूरे राज्य स्तर पर लॉकडाउन को परिवर्तित कर दिया गया जो महाराष्ट्र सहित कुछ राज्यों में 31 मई 2021 तक लागू है, जिससे अन्य क्षेत्रों के साथ-साथ शिक्षा क्षेत्र भी प्रभावित हुआ...। बात अगर हम बारहवीं कक्षा के महत्वता की करें, तो यह विद्यार्थियों की भविष्य की नींव तैयार करने का एक पहिया है। 

क्योंकि हर विद्यार्थी के जिंदगी को शिक्षित आधार, और भविष्य में क्या बनना है डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, सीए, वकील, कलेक्टर, पुलिस, रक्षा अधिकारी, सहित अनेक रास्ते खुलते हैं जिसका मापदंड 12वीं कक्षा के रिजल्ट के उच्च मानदंडों पर अर्थात 12वीं में मिले अंक प्रतिशत पर आधारित होता है और फिर आगे एनईईटी, जेईई, एनडीए, सीए फाउंडेशन, एलईडी, इत्यादि अनेक प्रकार के प्रोफेशनल कोर्सेस की परीक्षा दी जाती है और उसके अंकों के आधार पर उस क्षेत्र के कोर्सेस में एडमिशन मिलता है और विद्यार्थियों का भविष्य बनता है या ने इसका पहिया 12वीं की परीक्षा की क्लास ही है जिसके आधार पर हर विद्यार्थी आगे बढ़ता है।

...बात अगर हम वर्तमान 2021 में होने वाली 12 वीं की स्टेट बोर्ड ओर सीबीएसई की परीक्षाओं की करेंतो अधिकतम राज्यों ने 12वीं की परीक्षाएं अभी सीधे परीक्षा केंद्रों पर फिजिकल रूप में करानें का निर्णय लिया है और कुछ राज्यों ने इस का रोडमैप, योजना बनाकर घोषित भी कर दी है। बात...अगर हम केंद्रीय मध्यमिक शिक्षण बोर्ड (सीबीएसई) की करें तो रविवार दिनांक 23 मई 2021 रविवार को रक्षामंत्री कीअध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद, MoE ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को सीबीएसई द्वारा बोर्ड परीक्षा आयोजित करने के लिए रखे गए दो प्रस्तावों पर मंगलवार 25 मई 2021 तक विस्तृत सुझाव देने को कहा था। 

बता दें कि सीबीएसई ने दो विकल्पप्रस्तावित किए हैं–नॉटिफाइड सेंटर्स पर 19 प्रमुख विषयों के लिए रेग्यूलर परीक्षा आयोजित करना या संबंधित स्कूलों में छोटी अवधि की ऑब्जेक्टिव टाइप की परीक्षा आयोजित करना। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अनुसार अधिकांश राज्यों ने 19 प्रमुख विषयों के लिए एक शॉर्ट परीक्षा आयोजित करने का ऑप्शन चुना है। वहीं कुछ ने परीक्षा से पहले छात्रों और शिक्षकों के वैक्सीनेशन पर जोर दिया है जबकि दिल्ली सरकार ने टीकाकरण या रद्दीकरण के अपने रुख को दोहराया है। इधर मीडिया के अनुसार 300 से अधिक छात्रों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश, को परीक्षा के फिजिकल संचालन के प्रस्ताव को रद्द करने और पिछले साल की तरह एक वैकल्पिक मूल्यांकन योजना प्रदान करने के लिए एक पत्र लिखा है। 

हालांकि MoE के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि, अब तक मिले फीडबैक के आधार पर आम सहमति यह है कि परीक्षा आयोजित की जानी चाहिए। जैसा कि शिक्षा मंत्री ने कहा है, एक जून तक 12 वीं की परीक्षा को लेकर अंतिम फैसले की घोषणा की जाएगी। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की 12वीं की बोर्ड परीक्षा रद्द करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। केरल के एक शिक्षक ने अपनी याचिका में कहा कि परीक्षा रद्द करना छात्रों के लिए एकअनुचित निर्णय होगा याचिका में कहा गया, कक्षा 12 की परीक्षा एक छात्र के जीवन का एक अभिन्न अंग है और उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए महत्वपूर्ण है। 

अतः उपरोक्त पूरे विवरण का अगर हम अध्ययन कर विश्लेषण करें तो 12वीं की स्टेट बोर्ड ओर सीबीएसई की परीक्षाएं विद्यार्थियों को भविष्य की नींव तैयार करने में 12वीं परीक्षा का अद्वितीय रोल है और कोरोना काल में सुरक्षित रणनीतिक रोडमैप बनाना जरूरी है। वहीं 12वीं की परीक्षा विद्यार्थियों को डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक सहित अन्य प्रोफेशनल बनने की नींव है। अतः शिक्षा विशेषज्ञों, विद्यार्थियों, अभिभावकों के सुझाव पर विचार करना जरूरी है। 


- संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास दास भावनानी, गोंदिया महाराष्ट्र
लेख 109774110954568253
मुख्यपृष्ठ item

ADS

Popular Posts

Random Posts

3/random/post-list

Flickr Photo

3/Sports/post-list