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सिंधियत जी सुरहाण कार्यक्रम हुआ संपन्न



सिंधी कौन्सिल ऑफ इंडिया के नागपुर लेडीज चेप्टर का सफल उपक्रम


नागपुर। सिंधी कौन्सिल ऑफ इंडिया नागपुर लेडीज चेप्टर की तरफ से १० अप्रैल की शाम को सिंधी भाषा दिवस, चेटीचंड व संत कवरराम का जन्मोत्सव 'सिंधियत जी सुरहाण' फेसबुक पर संपन्न हुआ। 

कार्यक्रम में संस्थापक अध्यक्ष श्रीमती शोभा भागीया, अध्यक्ष श्रीमती जया खत्री, पेट्रन श्रीमती लक्ष्मी वाधवानी, श्रीमती सोनल लालवानी, श्रीमती रेश्मा रोहरा, उपाध्यक्ष श्रीमती रश्मी कौरानी, श्रीमती निशा मेठवानी, श्रीमती लीना रुघवानी, सचिव श्रीमती भारती आसुदानी, कोशाध्यक्ष श्रीमती रश्मी हरीरामानी, सह - कोशाध्यक्ष श्रीमती प्रतिभा आसुदानी, सहसचिव श्रीमती स्वाती रुचन्दानी, कार्यकारिणी सदस्य श्रीमती दिव्या गुरबानी, श्रीमती अन्नू खत्री, श्रीमती नीतू पेशवानी, श्रीमती रोमा बजाज, श्रीमती रीता जेसवानी व जन संपर्क अधिकारी श्रीमती नीलम जयसिंघानी मुख्य रूप से उपस्थित थे। 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथी झुलेलाल मंदिर के महंत श्री मोहनदास ठाकुर व कनाडा के सुप्रसिद्ध व्यापारी अर्जुन जसुजा थे | कार्यक्रम की शुरुआत इष्टदेव झुलेलाल जी की प्रतिमा को माल्यार्पण तथा दीप प्रज्वलन द्वारा की गयी। सर्वप्रथम संस्थापक अध्यक्ष श्रीमती शोभा भागीया ने उपाध्यक्ष स्व. श्रीमती दीपा लालवानी जी को श्रद्धांजली अर्पित करते हुये संस्था के कार्यों के बारे में जानकारी दी। 

अध्यक्ष श्रीमती जया खत्री ने श्री अर्जुन जसुजा जी का स्वागत पुष्प गुच्छ देकर किया व अपनी टीम के सदस्यो का परिचय करवाया। मुख्य अतिथी श्री अर्जुन जसुजा जी ने इष्टदेव झुलेलाल जी का "तेरा शुक्रिया है" गीत गाकर सभी दर्शको का मन मोहित कर लिया। उसके पश्चात नागपुर की कोकिला मंजुश्री आसुदानी तेजवानी के द्वारा गाये गये सिंधी गीते ने समा बांध दिया। 

नागपुर की उभरती कलाकार श्रीमती उषा अमेसर का सम्मान महंत श्री मोहनदास ठाकूर द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती कविता इसरानी के द्वारा किया गया। आभार प्रदर्शन श्रीमती कौरानी के द्वारा किया गया तथा 'पल्लव' के द्वारा कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। 

श्रीमती नीलम जयसिंघानी ने सभी सिंधी भाई बहनो, विशेषकर युवा वर्ग, से अपील की है की सिंधी कौन्सिल ऑफ इंडिया के यूट्यूब चैनल पर, जिसमे बहराणे साहिब व चालीये का महत्व महंत मोहनदास ठाकूर जी के द्वारा समझाया गया है, वह भी अवश्य देखे तथा सिंधी समाज की प्राचीन संस्कृती को जाने इस कार्यक्रम को जनता के द्वारा सराहा गया।
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