भगवान महावीर के विचार आज भी प्रासंगिक : रिचा जैन
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अपने निवास पर ही प्रार्थना अभिषेक कर मनाई महावीर जयंती
नागपुर। समाजसेवी व दिगम्बर महासभा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमती रिचा जैन व राजू जैन ने अपने निवास में अभिषेक किया एवं खुशहाली की प्रार्थना कर सभी को शुभकामनाएं दी। अपने सभी रिश्तेदारों को विडियों कॉनफ्रेंसिंग के माध्यम से कहा कि भगवान महावीर के विचार आज भी प्रासंगिक है।
उन्होंने कहा कि आज से लगभग 2600 वर्ष पूर्व केवल भारत वर्ष में ही नहीं, अपितु विश्व में ऐसी स्थिति हो गई थी कि जिसके निराकरण के लिए किसी महापुरुष के अवतरित होने की आवश्यकता अनुभव हो रही थी। हमारी इस पुण्य भूमि की परिस्थिति को ही ले तो यहां की जनता में धार्मिक अन्धविश्वास, बौद्धिक दासता व्याप्त हो रही थी।
धर्म के स्थान पर केवल रुढ़ि के परिपालन पर तत्कालीन तथाकथित धार्मिक वर्ग जोर देता था। धर्म के हृदय व उसकी आत्मा का कहीं पता न था। यही नहीं अपितु धार्मिक प्रश्नों के बारे में शंका उत्पन्न करना या उसके समाधान की जिज्ञासा का सवाल ही नहीं था। वर्णाश्रम के नाम पर जातीय उच्च नीच का प्रश्न समाज में असमानता, विषमता, उत्पन्न कर रहा था।
नारी जाति की स्थिति पुरुष के समकक्ष न मानी जाकर उसको पुरुष की सम्पत्ति मान ली जाती थी। दास प्रथा का अस्तित्व था। यह सब अत्याचार, धर्म नाम पर चलाये जा रहे थे। ऐसे समय में वर्तमान के बिहार प्रान्त के ‘कुण्डलपुर' ग्राम में एक महापुरुष ने चैत्र शुक्ला त्रयोदशी को इस विश्व में पदार्पण किया। इस महापुरुष को वर्धमान के नाम से अभिषिक्त किया गया। किन्तु अत्यंत साहस पूर्ण कार्य के कारण वह महावीर के नाम से पहचाने गये।
महापुरुष का शैशवकाल बीत गया। पर यौवन काल में जैसे इस महापुरुष ने पैर रखा उसके हृदय में तत्कालीन सामाजिक, व्यवस्था, उससे उत्पन्न अन्याय, अत्याचार के प्रति विद्रोह की भावना जाग गई। मेरा अनुमान है कि उर्दू के एक कवि के शब्दों में व्यक्त विचार इस महापुच्य के अंतर्तम में हिलारे ले रहे थे। खंजर चल किसी पर तड़पता है मेरा दिला। कि सारे जहां का दर्द मेरे जिगर में है।।
वास्तव में यदि हम इस महापुरुष के जीवन पर दृष्टिगत करें तो हमको यह स्पष्ट आभास होगा कि उसने सारे संसार का दर्द अपने हृदय में समेटकर समस्त प्राणी जगत का कल्याण करने व कल्याण का मार्ग बताने का निश्चय किया था। वह सारी व्यवस्था में आमूल - चूल परिवर्तन चाहते थे ताकि समाज में व्याप्त अन्याय, अत्याचार का अंत हो सके।
भगवान महावीर का सम्पूर्ण जीवन त्याग, तपस्या, कष्टसहन व परोपकार की भावना से परिपूर्ण था। हम उनके जीवन से यह प्रेरणा प्राप्त कर सकते है कि - जीवन चरित्र महापुरुषों के हम नसीहत करते हैं। हम भी अपना जीवन उनसा स्वच्छ रम्य कर सकते हैं।
ऋचा जैन ने सभी को बताया कि क्या आज वर्तमान परिस्थिति में देश व समाज का नेतृत्व भगवान महावीर के जीवंत सिद्धांतों से यथा शक्ति शिक्षा प्राप्त करके स्वयं तथा देश व समाज की जनता को लाभान्वित करने की बात सोचेंगा तभी हमारा महावीर जयंती मनाना सार्थक होगा।