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भगवान महावीर सार्वकालिक व सार्वदेशिक हैं : डॉ. विमल कुमार जैन


नागपुर/पुणे। जैन धर्म के 24 वें और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर विश्व चिंतन के परिप्रेक्ष्य में सार्वकालिक व सार्वदेशिक है। ये विचार मुख्य अतिथि डॉ. विमल कुमार जैन ने व्यक्त किये। राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के तत्वावधान में राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के 20 वें स्थापना दिवस तथा भगवान महावीर जयंती समारोह के उपलक्ष्य में वे अपना उद्बबोधन दे रहे थे। 

आभासी अंतरराष्ट्रीय की अध्यक्षता राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के अध्यक्ष श्री ब्रजकिशोर शर्मा ने की। डॉ. विमल कुमार जैन ने आगे कहा कि महावीर जी का 2026 वाँ जन्म दिवस व राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना का 20 वाँ वर्ष महत्वपूर्ण हैं। तीनों लोक व तीनों कालों में भगवान महावीर का चिंतन बहुत उपयोगी है। उनका कर्म सिद्धांत था कि हर एक को कार्य के परिणाम भुगतने होगे। उन्होंने 'जीयो और जीने दो' का मंत्र दिया। भगवान महावीर हितोपदेशी, वितरागी तथा सर्वज्ञ थे। 

प्रास्तविक भाषण में राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के कार्यकारी अध्यक्ष प्राचार्य डॉ. शहाबुद्दीन नियाज मुहम्मद शेख, पुणे ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना अब एक वृक्ष का रूप धारण कर चुकी है उसे वटवृक्ष के रूप में परिवर्तित करने के लिए सभी सदस्य गण अपने उत्तरदायित्व का प्रामाणिकता से निर्वाह करें। उन्होंने भगवान महावीर के संबंध में कहा कि भगवान महावीर जी ने वैश्विक समाज को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाया। भगवान महावीर कहते थे कि जिसमें विश्व बंधुत्व की भावना हो, वही वास्तव में धर्म है। व्यक्ति की पहचान जन्म से नहीं, उसके कर्म से होती हैं। 

विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना की कार्यकारी अध्यक्ष श्रीमती सुवर्णा जाधव जी ने अपने उद्बबोधन मे कहा कि विश्व भर मे अनेक धर्मो में जैन धर्म का अपना महत्व है। महावीर जयंती को जनकल्याण के रूप में मनाते है। जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर ने सत्य और अहिंसा का पाठ पढा़या। सुख सुविधा को त्याग कर महावीर जनकल्याण के लिए जीये। 

विशिष्ट अतिथि श्री हरेराम बाजपेयी जी ने कहा कि कोरोना काल मे भारत इतना बदल गया है कि फिर भी समाज पर असर क्यों नहीं हो रहा है। भगवान महावीर द्वारा बताए गए  मार्ग पर चलना आवश्यक हैं। भगवान महावीर को जीवन व आचरण मे लायें।

मुख्य वक्ता प्रो. शैलेन्द्र शर्मा, विभागाध्यक्ष हिंदी, विक्रम वि.वि.उज्जैन ने अपने उद्बबोधन मे कहा कि जैन साहित्य को देखे तो जैन मुनियों ने विहार किया और उज्जैन के पास अतिमुक्तक के पास ध्यान सत् हुए थे।महावीर अद्भुत तरीक़े से महावीर बने थे। जब तक आत्म संयम,अहिंसा के पथ पर नहीं चलेंगे तब तक महावीर कोई नहीं बन सकता।इस विजय के लिए सम्यक ज्ञान, सम्यक चरित्र, सम्यक दर्शन, नैतिक सदाचारी जीवन की आवश्यकता हैं। महावीर ने सम्पूर्ण समाज मे एकात्म वाद लाया।

विशिष्ट वक्ता नेहा नाहटा, दिल्ली ने भगवान महावीर के बारे मे कहा अपनी बुराई को जीतना ही जैन धर्म है। तेरे चरणों में, शत् शत् नमन मैं करू। काम पल में बन जाते हैं। आरंभ में डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता, रायपुर ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। स्वागत उद्बबोधन श्रीमती लता जोशी, मुबंई ने किया। अतिथि परिचय राष्ट्रीय महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी जी ने दिया। 

आभासी संगोष्ठी मे डॉ. रश्मि चौबे, गाजियाबाद, डॉ. शिवा लोहारिया,जयपुर, श्री सुरेशचन्द्र, ओस्लो नार्वे, सुश्री गरिमा गर्ग, पंचकूला, संतोष शर्मा, धमतरी, बाला साहेब तोरस्कर सहित अनेक शिक्षाविद, साहित्य कार, गणमान्य उपस्थित थे। प्रा. श्रीमती रोहणी डावरे ने आभार व्यक्त किया तथा कार्यक्रम का संचालन श्रीमती पूर्णिमा कौशिक, महासचिव, रायपुर ने किया।
साहित्य 7781486671069638437
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