कोरोना का बुरा इफेक्ट - नींद नहीं आती परफेक्ट - यही वर्तमान का फैक्ट
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सभी इफेक्ट का एक ही इलाज, टीकाकरण, शासकीय दिशा निर्देशों का पालन, सावधानी और कोरोना चैन तोड़ना जरूरी - एड किशन भावनानी
गोंदिया। वैश्विक रूप से कोरोना महामारी से राहत की बस एक झलक भर मिली थी कि, नए साल 2021 की शुरुआत से ही कोरोना महामारी ने फिर अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है महामारी ने फिर वैश्विक स्तर पर असर दिखाना शुरू किया है। वहीं ब्राजील जिसने पिछले वर्ष सबसे पहले कोरोना मुक्त होने की घोषणा की थी, आज वही ब्राज़ील सबसे भयानक स्थिति में है हालांकि अन्य देशोंमें भी महामारी ने नए-नए रूप में घर कर लिया है।
बात अगर हम भारत की करें तो यहां भी कोरोना महामारी की दूसरी लहर बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है और लपेटे में आने वाले राज्यों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। राज्यों ने भी सख्त कदम उठाते हुए,आठवीं तक स्कूल बंद, मॉल, सिनेमा हॉल बंद अनेक शहरों में फुल अपडाउन अनेक शहरों में नाइट लॉकडाउन सहित अनेक उपाय किए हैं।
बीते दिनों महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री महोदय ने भी जनता के नाम संदेश में फुल लॉकडाउन की वार्निंग दी और कहा कि अभी भी जनता संभल जाए और मास्क, दो गज की दूरी, हाथ बार बार धोना, टीकाकरण सहित सभी दिशा निर्देशों का सख्ती से पालन करें अन्यथा फुल लॉकडाउन के सिवा कोई चारा नहीं रहेगा स्थिति हाथ से बाहर चली जाएगी,
वहीं रविवार दिनांक 4 अप्रैल 2021 को प्रधानमंत्री महोदय ने कोरोना को लेकर एक हाई लेवल मीटिंग उच्च अधिकारियों के साथ कर 6 से 14 अप्रैल 2021 तक एक विशेष अभियान चलाया जाएगा जिसमें मास्क दो गज की दूरी टेस्ट ट्रेडिंग टीकाकरण पर बल दिया वहीं मीडिया द्वारा महाराष्ट्र में शनिवार और रविवार को लॉकडाउन लगाने संबंधी दिशानिर्देश जारी करने की बात कही वहीं रविवार को नए दिशानिर्देश सहित यूपी, दिल्ली सहित कई मुख्यमंत्रीयों ने भी दिए हैं और नई गाइडलाइन जारी की है।
इसी बीच जनता भी हालांकि सावधानी बरत रही है,परंतु जनता के सामने अपनी रोजी-रोटी का भी सवाल खड़ा हो गया है,बच्चों का पालना पोषण, स्कूलफीस, लाइट पानी बिल मकान टैक्स,दुकान किराया, नजूल टैक्स, मोबाइल फोन बिल, जीवन चक्र चलाने घर के सामान, दवाइयां, पारिवारिक मेंबर को कोविड हुआ है या किसी के यहां निधन हुआ है उसकी जवाबदारी सहित अनेक समस्याएं नागरिकों के सामने खड़ी हो गई है जिसके कारण आज नागरिक कह रहा है कोरोना का बुरा इफेक्ट, नींद नहीं आती पर्फेक्ट,यही वर्तमान का है फैक्ट।
आज लोगों की नींद उड़ गई है हर समय बस टेंशन ही रहता है, उपरोक्त सभी जरूरी प्रक्रियाओं का हालांकि इसमें किसी का दोस्त नहीं है। भले ही हमें अब नींद परफेक्ट नहीं आती एक डर सा बना रहता है कि आगे क्या होगा अपने आर्थिक स्थिति, पारिवारिक स्थिति सभी की चिंता लगी रहती है और फिक्र केकारण अनेक लोगों की नींदें ही उड़ गई है यह कटु सत्य है इसी कमजोरी को लोग अपनों या दूसरों से शेयर नहीं कर पाते बस अपने में ही इसका हल ढूंढते रहते हैं यह भी है कटु सत्य है।
परंतु इसी में हमारी जीत सुनिश्चित होगी कि, सभ कुछ छोड़ हमें सबसे पहले अपनी जान बचाने के लिए तो संघर्ष करना ही होगा। जान है तो जहान है, बस वक्त है अभी सावधानी बरतने और महामारी को भगाने में एक दूसरे का सहयोग करने और सभीको मिलकर शासनप्रक्रिया में सहयोग कर अधिक से अधिक टीकाकरण अभियान को उसके निर्धारित लक्ष्य सेभी अधिक सार्थक बनाने की जिससे सरकार 45 वर्ष के उम्र से कम लोगों के लिए भी शीघ्रता से टीकाकरण की घोषणा कर सकें।
इसमें जनता को सरकार के इस चरणबद्ध टीकाकरण में बिना डरे आज आगे आके सहयोग करने की जरूरत है और जो टीकाकरण नहीं कराते या शासकीय नियमों का पालन नहीं करते उन्हें भी आगे आके समझाने की जरूरत भी संबंधित नागरिकों की हैं और वर्तमान समय में सभी सामाजिक संस्थाओं, एनजीओस सहितसभी सेवाभावी संस्थाओं, संगठनों की भी जवाबदारी, जिम्मेदारी बढ़ गई है, उन्हें भी स्वतःसंज्ञान लेकर सामने आना होगा और कोरोना महामारी से जंग में शामिल होकर नागरिकों को लापरवाही से बचाने, सावधानी के लिए प्रेरित करने टीकाकरण अभियान के तहत नागरिकों को टीकाकरण स्थल तक जाने के लिए जागृत करने सहित शासकीय दिशा निर्देशों का पालन कराने शासन को सहयोग देना होगा।
इसके लिए जिला प्रशासन से एक पास जारी होती है और लॉकडाउन कर्फ्यू इत्यादि नियमों में शर्तों के साथ छूट होती है, ताकि जनहित के कार्य व सेवा कर सके अतः दूरगामी अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए कष्ट सहनकर, नींद उड़ा कर भी हम अपनी तथा अपने वर्तमान और अगली पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित कर सकते हैं। सरकार भी अपने स्तर पर सभी प्रक्रियाएं, टीकाकरण राहत चिकित्सा उपाय सभी कर रही है परंतु यही कह सकते हैं कि, वही होता है जो मंजूरे खुदा होता है, फिर भी हमें अब स्वतःसंज्ञान लेकर खुद आगे आकर और लापरवाही नहीं कर, सावधानी बरतते हुए नियमों का कड़ाई से पालनकर हमें इस महामारी से मिलकर लड़ाई करनी होगी।
लेखक - कर विशेषज्ञ
- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया (महाराष्ट्र)