अरविंदकुमार रतूड़ी ने मानव सेवा का आदर्श समाज के सामने रखा
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कोरोना से मरने वालों की अंत्येष्टि का निस्वार्थ उठाया बीड़ा
नागपुर। प्रसिद्ध तथा अद्भुत समाजसेवक अरविंदकुमार रतुडी ने सामाजिक भावनाओं के चलते कोरोना से मरने वालों की अंत्येष्टि का बीड़ा उठाकर मानव सेवा का आदर्श उदाहरण समाज के सामने रखा है। कोरोना काल के दौरान अरविंदकुमार रतुड़ी के इस निस्वार्थ सेवाकार्य का हर तरह से विरोध हुआ था, लेकिन इन्होंने हार नहीं मानी।
जीवन में अनेक घटनाएं ऐसी घट जाती है जिसे देखकर मन बहुत विचलित हो जाता है। ऐसी ही एक घटना अरविंदकुमार रतुडी के जीवन में भी घटित हुए हैं जिस वजह से इन्होंने यह सेवाकार्य को करने का मन बना लिया है। गरीब व मध्यमवर्ग के लोग विदर्भ ही नहीं, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से नागपुर के अस्पतालों में पहुंचते है। कई बार मरीज की मृत्यु हो जाती है।
गरीबी के कारण परिजनों के पास खाने के लिए पैसे नहीं होते. तो शव दहन केसे करेंगे यह सवाल खड़ा हो जाता है। अरविंदकुमार ऐसे जरूरतमंद लोगों के परिवार से संबंधित शवों का पूरे सम्मान के साथ परिजनों के सामने शहर के दहन घाटों पर अंत्येष्टि करते हैं। यह काम वे निःशुल्क करते हैं। इस दौरान सुरक्षा के साधनों का उपयोग भी स्वखर्च से करते हैं।
अरविंदकुमार कहते हैं कि ईश्वर ने उन्हें जो काम दिया है, वह कर रहे हैं। इसका बहीखाता भी ईश्वर ही रखेगा। उन्होंने बताया कि जब तक जान है तब तक ऐसी मानव सेवा शुरू रहेगी। इन्होंने अब तक लगभग 850 से अधिक कोरोना मृतकों की अंत्येष्टि की है। अरविंदकुमार रतूड़ी की सामाजिक भावनाओं को देखते हुए पूर्व मनपा आयुक्त तुकाराम मुंढे ने उन्हें इसकी अनुमति दी थी।
इनके इस निस्वार्थ कार्यों के लिए राज्यपाल, महापौर, आयुक्त समेत अनेक संगठनों ने उन्हें सम्मानित किया है। इनके काम को देखते हुए उनके मित्र तौफिक गुले, शेखर घटे, अमित कातुरे, राजू बाल सराफ. दिलीप कडू और जितेंद्र गजभिए भी उनकी टीम का हिस्सा बन गए हैं।
अरविंदकुमार रतूड़ी तन मन धन से लोगों की निस्वार्थ सेवा करते आ रहे हैं। इन्होंने निस्वार्थ सेवाकार्यों की भावनाओं के चलते अपना मकान तक बेच दिया है।