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कोरोना का वार - लॉकडाउन की मार


टेस्टिंग, ट्रीटमेंट, वैक्सीनेशन, अंतिम संस्कार में कतार - शासन की तेज रफ्तार 

शासन-प्रशासन तेज रफ्तार से व्यवस्थाओं में जुटा - जांबाज नागरिकों का आपसी सहयोग जरूरी - एड किशन भावनानी


गोंदिया - वैश्विक महामारी कोरोना ने हर देश के शासन, प्रशासन नीति-आयोग विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों इत्यादि सभी बुद्धिजीवियों तक का को हिला कर रख दिया है। किसी को इस दूसरी लहर के इतनी तीव्रता से हमला करने का अंदेशा मेरे अनुमान से शायद नहीं था। आज हम देख रहे हैं कि बड़ी तेजी के साथ टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है लाखों टीके रोज लग रहे हैं और टीका लगाने के लिए लंबी कतारें भी लग रही है मैंने खुद दिनांक 15 अप्रैल 2021 को लंबी कतार में लगकर 45 वर्षसे अधिक पारिवारिक सदस्यों के साथ टीका लगवाया। 

साथियों, हम अपने नगरों और शहरों में तथा विभिन्न टीवी चैनलों के माध्यम से देख रहे हैं कि कोरोना टेस्टिंग के लिए किस तरह लोग लंबी कतारों में खड़े हैं और टेस्टिंग करवा रहे हैं, जो एक अच्छी पहल है कि लंबे समय तक कतारबद्घ धूप में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार कर टेस्टिंग करवा रहे हैं। यदि उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो डॉक्टरी सलाह अनुसार क्वॉरेंटाइन घर में, अस्पताल में, या अन्य स्थान पर या फिर तकलीफ अधिक है तो हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ रहा है जहां बेड की अब कमी है हो रही है ऑक्सीजन भी कहीं कहीं कमी की खबर सामने आ रही है उसके लिए भी कतारबद्ध होना पड़ रहा है। 

हमारे गोंदिया शहर में भी हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की आपूर्ति ठप हो गई थी और कुछ मरीजों की जान चली गई थी फिर रात्रि 3 बजे स्थानीय नेताओं, अधिकारियों के सहयोग से आपूर्ति बहाल हुई। ऑक्सीजन भी कतार से मिल रहे हैं। याने बेड पर ट्रीटमेंट में भी कतार है। सबसे दुखद क्षण हमारी जिंदगी का वह है जब हमारे परिवार या सगे संबंधियों की कोविड या साधारण रूप से मृत्यु हो रही है तो उसके अंतिम संस्कार में  भी अब कतार लग रही है, टोकन नंबर मिल रहे हैं, शव को अंतिम क्रिया के लिए 24 घंटे से अधिक समय लग रहा है और इन शव दहन करने पर भी कतार में लोग खड़े हैं बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो गई है। 

यह पूरा मामला हालांकि टीवी के हर चैनल पर दिखाया जा रहाहै परंतु आज करीब-करीब अनेक शहरों में नागरिक अपने शहर के श्मशान घाट पर देख रहे हैं। हमारे शहर में भी यही हाल है मैंने अपनी आंखों से देखा शव दहन के दूसरे दिन ही अस्थियां चुनने के लिए कहा गया जबकि प्रथा तीसरे दिन की है पर शासन प्रशासन की भी मजबूरी है इतने शवों का दाह संस्कार करवाना है तो उन प्रथाओंको हमें भी छोड़ना होगा। 

परंतु इस तरह से शव दहन में कतार इसके पहले हमने अपने जीवनमें कभी नहीं देखी हालांकि प्रशासन, शासन हाईलेवल पर इस त्रासदी को कम करने के उपाय ढूंढने प्रधानमंत्री लेवल पर बैठकों में समीक्षा बैठकें हो रही है इसलिए हम देख रहे हैं कि पिछले कुछ दिनों से शासन की काम करने की रफ्तार तेज हुई है। हमारे प्रधानमंत्री बड़े स्तर पर बैठक कर स्थिति का जायजा और समीक्षा बैठक ले रहे हैं। अभी कुछ दिनों पूर्व ही पीएम ने उपराष्ट्रपति के साथ सभी राज्यों के राज्यपालों और उपराज्यपाल के साथ बैठक कर कोरोना की स्थिति पर चर्चा की थी।

इसके पूर्व पीएम ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ दो बैठकें अभी-अभी कर चुके हैं और शनिवार दिनांक 17 अप्रैल 2021 को बड़े अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की तथा कहा कि टेस्टिंग, ट्रेसिंग और ट्रीटमेंट का कोई विकल्प नहीं है और कहा के पिछले साल भी भारत ने एकजुट होकर कोविड-19 को परास्त किया था और इस बार भी हम कोरोना को हरा सकते हैं, लेकिन उसके लिए हमें उन सिद्धांतों को तेजी से आगे आपसी सहयोग के साथ  अपनाना होगा। 

उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पूर्व दवाइयों, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, और वैक्सीन की कमी की बातें मीडिया के माध्यम से सामने आई थी जो विभिन्न शहरों से ग्राउंड रिपोर्टिंग के माध्यम से अनेक टीवी चैनलों पर दिखाई गई थी और अस्पष्ट सूत्रों और मीडिया के अनुसार पीएमओ से जारी बयान में कहा गया कि बैठक में ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, टीकाकरण दवाइयों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई और कहा कि जल्दी जांच कराना, और फिर संपर्क का पता लगाना, इसमें होने वाली मृत्यु में कमी लाने की कुंजी है।और लोगों की चिंताओं के प्रति स्थानीय प्रशासन का संवेदन शीलता से आगे बढ़कर सक्रियता दिखाना चाहिए जिससे जनता के इस दुख की घड़ी में उनके साथ का सहानुभूति का वातावरण बने।

 दिनांक 19 अप्रैल 2021 को मीडिया अनुसार रेलवे ऑक्सीजन एक्सप्रेस के द्वारा ऑक्सीजन पहुंचाएगा, उद्योगों को ऑक्सीजन नहीं मिलेगा, महाराष्ट्र सरकार को पंद्रह सौ मेट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति होगी। महाराष्ट्र के नंदूरबार में रेलवे कोचों के 1500 कोविड बेड के लिए दिए जाएंगे, इत्यादि अनेक जानकारी दी गई अतः मेरा यह निजी अनुमान है कि आज 100 वर्ष के अंदर का कोई ऐसा नागरिक नहीं होगा जिसको किसी बीमारी का ऐसा घातक वार देखा हो। जिसमें लॉकडाउन की मार हो, टेस्टिंग ट्रीटमेंट वैक्सीनेशन और खासकर के अंतिम संस्कार में इस तरह की कतार हो, और शासन की इतनी तेज गति से कार्य करने की रफ्तार हो। हालांकि मीडिया अनुसार 100 वर्ष पूर्व भी ऐसी बीमारी आई थी।


संकलनकर्ता - लेखक कर विशेषज्ञ 
- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी  
गोंदिया (महाराष्ट्र)
लेख 6424859321196344938
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