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कोरोना महामारी की लड़ाई में अमेरिका सहित अनेक देश भारत के साथ आए


कच्चे माल सहित संसाधनों की शीघ्र आपूर्ति

भारत में कोरोना के खिलाफ एक्शन प्लानों की बौछार - कोरोना रूपी तूफ़ान, सुनामी से हम जंग जरूर जीतेंगे - एड किशन भावनानी


गोंदिया - नए वर्ष 2021 की शुरुआत में ही कोरोना महामारी ने वैश्विक रूप से उग्र आघात कर एक तूफान और सुनामी लाकर सब कुछ तबाह करने की मंशा धारण कर अपने सिम्टम्स बदल -बदल कर चौतरफा हमला कर रही है।...बात अगर हम भारत की करें तोइस दूसरी वेव में भारत पर, इस महामारी का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता दिखाई दे रहा है, क्योंकि रोज भारी मात्रा में कोरोना पॉजिटिव का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है और यह महामारी अनेक स्वास्थ्य संयंत्रों, उपकरणों की आपूर्ति को ध्वस्त करके आगे बढ़ बढ़ती जा रही है, 

याने महामारी इतनी तेज़ी से भारत में फैल रही है जिससे स्वास्थ्य संसाधन कम पड़ गए हैं। हालांकि दिनांक 25 अप्रैल 2021 को कुछ सकारात्मक घोषणाएं की गई जिसमें प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा, पीएम केयर्स फंड से देश में 551 मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट लगाए जाएंगे जिसके लिए 201.58 करोड़ रुपए का एलोकेशन किया गया है। यह संयंत्र विभिन्न राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों में जिला मुख्यालय में चिन्हित सरकारी अस्पतालों में स्थापित किए जाएंगे। 

इसकी खरीदी स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के माध्यम से की जाएगी। जिसमें से 162 प्लांटों का काम पूर्वतः शुरू भी हैं। उधर यूपी सरकार ने भी घोषणा कि कोवैक्सीन और कोविशिल्ड वैक्सीन की 50-50 लाख याने एककरोड़ डोज केंद्र सरकार द्वारा मिले हुए डोज के अतिरिक्त खरीदेगी। महाराष्ट्र सहित अनेकों राज्यों ने 1 मई 2021 सेशुरू होने वाले वैक्सीनेशन को फ्री में लगाने की भी घोषणा की है। 

महाराष्ट्र यह वैक्सीनेशन ग्लोबल टेंडर निर्मित कर खरीदेगी ऐसी जानकारी मीडिया द्वारा दी गई है।... उधर बात हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दूसरे देशों की मदद के हाथ बढ़ाने की करें, तो ऑक्सीजन कंटेनर और अन्य सहायता भेजने के लिए रूस, फ्रांस, ब्रिटेन, सिंगापुर, जर्मनी, संयुक्त अरब अमीरात, दुबई आगे आए हैं। रूस ने ऑक्सीजन कंटेनर कंस्ट्रेटर और जरूरी दवाएं भेजने का प्रस्ताव दिया है। 

जर्मनी ने 23  मोबाइल ऑक्सीजन जनरेट एयरक्राफ्ट उपलब्ध कराया है। संयुक्त अरब अमीरात और सिंगापुर में भी भारी भरकम ऑक्सीजन कंटेनर उपलब्ध कराए हैं। फ्रांस और ब्रिटेन ने की ऑक्सीजन सहित जरूरी दवाओंंसहित अनेक मेडिकल इक्विपमेंट्स उपलब्ध कराने की चेष्ठा की हैं ...सबसे बड़ी और मानवता के नाते की बात करें तो पाकिस्तान और चीन ने भी स्वास्थ्य संबंधी सहायता उपलब्ध कराने का प्रस्ताव भरत को दिया है ऐसी जानकारी मीडिया के माध्यम से सामने आई है

 ....बात अगर हम अमेरिका की करें तो भारत और अमेरिका में 7 दशक पूर्व की स्वास्थ्य भागीदारी है। आज जब ऐसी मुश्किल हालात में  भारत ने, अमेरिका से अच्छे संबंधों और अपनी सुदृढ़ विदेश नीति के चलते अमेरिका की ओर रुख किया तो उसने सहयोग करने में कल तक नकारात्मक रुख अख्तियार किया था लेकिन अमेरिकी और भारतीय एनएसए जैक सोलविन और अजीत डोभाल के बीच फोन पर बातचीत में  सहमति बनी सलविन ने दिनांक 25 अप्रैल 2021 को रात्रि 10.10 पीएम बजे यह जानकारी अपने ट्विटर हैंडल से दी और कहा भारत ने हमारी मदद की थी। 

उल्लेखनीय है कि बाइडेन की भी आलोचना हो रही थी। हालांकि अमेरिका भारत को अपना दोस्त मानता है जो हम सब ट्रंप के समय टीवी चैनलों पर दोनों देशों के नेताओं की दोस्ती को देख चुके हैं। अमेरिका ने भारत को वैक्सीन के कच्चे माल की आपूर्ति पर पाबंदी हटाने में नकारात्मक रुख अपनाया था लेकिनअब तुरंत आपूर्ति शुरू कर देगा। 

हालांकि कुछ दिन पहले कोविशील्ड वैक्सीन के सीईओ द्वारा भी ट्विटर द्वारा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से अपील की थी कि कच्चे माल की आपूर्ति वैक्सीन निर्माताओं को की जाए।हम सबको याद होगा कि पिछले साल कोरोना महामारी में सबसे अधिक पीड़ित देश अमेरिका था और उसकी मदद के लिए भारत आगे आया था और अनेक दवाइयों सहित हाइड्रोक्सीक्लोरो क्वीन पर पाबंदी भी हटाकर भारत ने अमेरिका को इसका निर्यात कर आपूर्ति में काफी मदद की थी जो आज अमेरिकी एनएसए जैक सेल्विन ने मानी है। 

आज भारत को वैक्सीन और ऑक्सीजन की बहुत जरूरत है और वैक्सीन में कच्चे माल की सबसे अधिक जरूरत है जिसकी आपूर्ति अमेरिका द्वारा करके सहयोग किया जाएगा और सामानों की पहली खेप मंगलवार दिनांक 27 अप्रैल 2021 को पहुंच जाएगी। हालांकि पहले अमेरिका द्वारा नकारात्मक रुख अपनाया गया था। जबकि अमेरिका के एक भारतवंशी सांसद रो खन्ना ने अमेरिका की एक मशहूर यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर डॉ के इस ट्वीट पर कि वैक्सीन के करोड़ों डोज़ भारत को उधार देने के लिए सुझाव दिया गया था कि, वहां संघर्ष की स्थिति है और हमारे यहां इतने डोज़ हैं कि जिनका इस्तेमाल नहीं होगा।

इस पर संसद ने ट्वीट करते हुए कहा था भारत की स्थिति चिंताजनक है और भारत में टीकाकरण में मुश्किलें हो रही है। हालांकि कई मौकों पर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन भारत की तारीफ कर चुके हैं। राष्ट्रपति चुनने के बाद जो बाइडेन ने कहा था वह साझा वैश्विक चुनौतीयों में भारत के साथ साझा काम करने के लिए उत्सुक हैं। खासकर इंडोपेसिफिक क्षेत्र और कोविड -19 में भारत की भूमिका अहम होगी। भारत ने 2020 में और भी अनेक देशों की मदद की थी 2021 में जब भारत की स्थिति इतनी गंभीर नहीं थी तो अनेक देशों को वैक्सीन भी उपलब्ध कराई थी।

वैक्सीन को लेकर भारत जब दुनिया में कई देशों की मदद कर रहा था तब बाइडेन ने भारत को सच्चा दोस्त बताते हुए कोविड टीके की आपूर्ति के लिए भारत की बहुत तारीफ की थी।पर जब बाइडेन राष्ट्रपति नहीं थे तब भी वे भारत को मित्र देश मानतेथे और ट्रंप की एक टिप्पणी पर बाईडेन ने लिखा था कि इस तरह से दोस्तों से बात नहीं की जाती।

हालांकि पिछले हफ्ते भारतीय विदेश मंत्री और अमेरिकी विदेश मंत्री के बीच कोविड और स्वास्थ्य सहयोग को लेकर चर्चा भी हुई थी। जिसके बाद उम्मीद की जा रही थी कि अमेरिका वैक्सिंन के कच्चे माल पर बंदिश हटाकर भारत को निर्यात करना शुरू कर देगा परंतु वर्तमान में अमेरिका का इस तरह का रुख आश्चर्यजनक था पर देर आए दुरुस्त आए अब दोनों देश मिलकर महामारी से लड़ेंगे और अति शीघ्र जंग जीतने में आसानी होगी। 

मेरा यह मानना है कि कोविड हमारी संपूर्ण मानवता का अजातशत्रु है, जिसका मुकाबला करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी देशों को एक साथ आकर इस महामारी से एकजुटता और पारस्परिक सहयोग और स्वास्थ्य क्षेत्रों में नई तकनीकों, वैक्सीन, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर इत्यादि हर जरूरी अस्त्रों की आपूर्ति कर सहयोग करने की आवश्यकता है। 

ताकि इस महामारी को वैश्विक स्तर पर हराया जा सके और मानवता की जीत हो। हालांकि भारत में एक्शन प्लानों की बौछार हो गई है और हमें विश्वास है कोविड महामारी की तूफ़ान और सुनामी रूपी जंग से हम भारतीय जरूर जीतेंगे। हम होंगे कामयाब, हम होंगे कामयाब एक दिन, मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास, हम होंगे कामयाब एक दिन।

संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ 
- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी 
गोंदिया, महाराष्ट्र
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