विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान के साहित्यकारों ने प्रकट की संवेदना
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श्रेष्ठ साहित्यकार बुद्धिराजा माता पुत्री को जूम पटल पर दी श्रद्धांजलि
हिंदी साहित्य जगत की श्रेष्ठ लेखिका व आलोचक डॉ.राज बुद्धिराजा तथा उनकी विदुषी पुत्री लेखिका सुनीता बुद्धिराजा का बीते दिनों नई दिल्ली मे निधन हुआ। साहित्यकार माँ और पुत्री का एक ही दिन इस जगत् से चले जाना, हिंदी साहित्य जगत् पर बहुत बड़ा आघात है।
विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज, उ. प्र. के सचिव डॉ. गोकुलेश्वर कुमार द्धिवेदी ने कहा कि डॉ. राज बुद्धिराजा विश्व हिंदी साहित्य से 2000 से 2017 तक सक्रिय जुड़ी रही। वे संस्थान की संरक्षक थीं। विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान को विस्तार देने में उनका अतुलनीय योगदान रहा। विभिन्न प्रकार से वे संस्थान की सहायता करती रहीं। हिंदी के साथ जापानी भाषा पर भी उनका अधिकार था।
विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज, उ.प्र.के अध्यक्ष प्राचार्य डॉ. शहाबुद्दीन नियाज मुहम्मद शेख, पुणे ने कहा कि, 16 मार्च 1937 को लाहौर में जन्मी राज बुद्धिराजा बहुआयामी व्यक्तित्व की धनी थीं। साहित्य की लगभग सभी विधाओं में उन्होंने लेखन किया। लगभग 55 की संख्या में उनकी ग्रंथ संपदा हैं। भारत-जापान सांस्कृतिक परिषद् की वे अध्यक्ष थीं। केन्द्रीय हिंदी निदेशालय, नई दिल्ली के तत्वावधान में 3 नवंबर से 10 नवबंर 2000 की अवधि में शिरडी (महाराष्ट्र) में हुए हिंदी तर भाषी हिंदी नवलेखक शिविर में मार्गदर्शक साहित्यकार के रूप मे वे उपस्थित थीं। उस दौरान उन्होंने श्री क्षेत्र नेवासा, देवगढ़ तथा शनि शिंगणापुर की भी यात्रा की थीं।
नागरी लिपि परिषद्, नई दिल्ली के महामंत्री डॉ. हरिसिंह पाल ने अपने मंतव्य में कहा कि भारत और जापान के मध्य एक सांस्कृतिक सेतु के रूप में डॉ. राज बुद्धिराजा ने अहम भूमिका निभायी हैं। उनका जगत् से चले जाना अत्यंत दुखद है। माता- पुत्री का एक ही दिन चले जाना अत्यंत पीडा़दायक है।
राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी जी ने कहा कि कोरोना महामारी के प्रकोप से हम सभी विचित्र एवं दुखद स्थिति से गुजर रहे हैं। आज सुबह ही माँ पुत्री के निधन की वार्ता से अवगत होने से मन अत्यंत खिन्न व उदास हुआ।
डॉ. सुनीता यादव, औरंगाबाद, महाराष्ट्र ने कहा कि डॉ.राज बुद्धिराजा व उनकी पुत्री संगीत अध्येता सुनीता बुद्धिराजा के निधन से साहित्य औऱ संगीत की कड़ी टूट गई। डॉ. रश्मि चौबे, गाजियाबाद, उ. प्र.अपने खराब स्वास्थ्य के चलते उन्होंने भावभीनी श्रद्धांजलि व संवेदना प्रकट की।
डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक, हिंदी सांसद, विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, छत्तीसगढ़ इकाई ने शोकसभा का संचालन करते हुए कहा कि विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान की संरक्षक डॉ. राज बुद्धिराजा और उनकी पुत्री का निधन साहित्य संस्थान की क्षति है, जिसे कभी पूरा नहीं किया जा सकता। जीवन एक संयोग मात्र है, सुख और दुख क्रमवार आते हैं। अतः ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवगंत आत्मा को शांति और मोक्ष प्रदान करें।
अंत मे जूम पटल पर जुड़े सभी प्रतिभागियों ने दो मिनट का मौन धारण कर दिवंगतों के प्रति भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस शोक सभा में डॉ. सीमा वर्मा,लखनऊ, केरल प्रदेश की संस्थान प्रतिनिधि डॉ. प्रिया ए., मिर्जापुर से हिंदी सांसद डॉ.निगम प्रकाश कश्यप, डॉ. पूणिर्मा उमेश झंडे उपस्थित रहें। ज्ञात हो कि 19 अप्रैल 2021 को इन दोनों साहित्यकार माता-पुत्री का निधन हुआ है।