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कोरोना से घबराये नहीं, णमोकार महामंत्र का पाठ करें : आचार्यश्री डॉ. प्रणामसागरजी गुरुदेव





नागपुर। कोरोना से घबराये नहीं, घर में णमोकार पाठ परिवार के साथ करें यह उदबोधन भक्तामरवाले बाबा आचार्यश्री डॉ. प्रणामसागरजी गुरुदेव ने विश्व शांति अमृत वर्धमानोत्सव के अंतर्गत श्री. तपोभूमि धर्मतीर्थ क्षेत्र द्वारा आयोजित ऑनलाइन समारोह में दिया.
    
आचार्यश्री डॉ. प्रणामसागरजी गुरुदेव ने संबोधन में कहा वर्तमान समय वर्धमान का हैं. भगवान महावीर ने अपने काल में 'जियो और जीने दो' का संदेश दिया. आज मास्क लगाकर खड़े होते हैं, हम भी जीना चाहते हैं, हमारे प्रभाव से जीत सके, जीवन में प्रभू महावीर की आराधना कर सके.  महावीर के पांच नाम वीर, अतिवीर, सन्मति, वर्धमान, महावीर. पंचम काल में साधक होनेवाले नाम हैं. 

पंचम काल में भगवान महावीर का शासन काल चल रहा हैं. आचार्यश्री गुप्तिनंदीजी गुरूदेव ने भगवान महावीर का शासन पर्व एक दिन का नहीं, एक माह का मनाने का निर्णय लिया हैं. भगवान महावीर कहते हैं व्यापार बढ़ाना आसान हैं. इस समय संयम को बढ़ा सकते हैं. इस ऑनलाइन कार्यक्रम के माध्यम से पूरा परिवार एकसाथ बैठा हैं. चलते फिरते आज बच्चों को महावीर का रूप दे सकते हैं. वर्धमान उत्सव मना सकते हैं. णमोकार की भावना भा सकते हैं. 

महावीर स्वामी हमारे नयनों में विश्राम कीजिये. मुंह पर ताला, नाक पर मास्क लगाया हैं, आंखों के माध्यम से देखते हैं. महावीर स्वामी मेरे नयनों में आ बसों. जब तक आपकी दृष्टि पड़े तो दोषों को ना पढ़े, गुणों को पढ़े. गुण पाने के लिये महान होने के भाव पैदा होना चाहिये. भगवान महावीर का वर्धमान मंत्र प्रभावशाली हैं. आचार्यश्री गुप्तिनंदीजी के भक्त भाग्यशाली हैं. रोज आपको उनके मुखारबिंद से शांतिमंत्र सुनने मिल रहा हैं. 

आपके मन को मंदिर बनाने का मौका मिला हैं. आपके घर मंदिर बनाने का मौका मिला हैं.  गणाधिपति भारत गौरव आचार्यश्री कुंथुसागरजी गुरूदेव के शिष्य आचार्यश्री देवनंदीजी गुरुदेव, आचार्यश्री गुप्तिनंदीजी गुरूदेव, आचार्यश्री गुणधरनंदीजी गुरुदेव करुणावान हैं, संकट खड़ा हो जाता हैं भक्तों के मार्गदर्शन को आ जाते हैं, मंत्र देते हैं. मंत्रों की दीवारे खड़ी हो जायेंगी, वैमनस्य की दीवारे, कटुता की दीवारे  अपने आप टूट जायेगी. वर्धमान का अर्थ जैन कुल में पैदा होनेवाला भिखारी नहीं होता, गरीब हो सकता हैं. कभी किसी के सामने कटोरा लेकर नहीं जायेगा. 

संयम के मार्ग में बढ़ रहे हैं. सन्मति का अर्थ बुद्धि हैं. जितने संत समाज में ज्ञानवान है, प्रज्ञावान हैं, पंडित, श्रावक विद्वान हैं उनके पास सन्मति हैं. लोग जैनों से सलाह लेते हैं, पूछते है नाम सार्थक ही है सन्मति. तीसरा नाम वीर हैं, लोग कोरोना काल में विधान कर रहें हैं, वीर को याद कर रहे हैं. चौथा नाम अतिवीर, आत्मविश्वास कम हो जाता हैं, जी पाऊंगा या नहीं, सांस ले पाऊंगा या नहीं उस समय णमोकार महामंत्र को याद करें. आचार्यश्री गुप्तिनंदीजी विधानों के मास्टर हैं, कितने सारे विधान लिखे हैं, स्वर अच्छा हैं, बहुत अच्छे गाते हैं. जो साधु संत कर सकते हैं वह दुनिया में कोई नहीं कर सकता. दिगंबर संत महावीर बनकर भक्तों के बीच आते हैं. 

जिंदगी में चुनौतियां हर किसी के हिस्से में नहीं आती- आचार्यश्री गुप्तिनंदीजी
    
जीवन में धर्म करने आनंद आयेगा उस समय संकट नष्ट हो जायेगा. जिंदगी में चुनौतिया हर किसी के हिस्से में नहीं आती. किस्मत भी किस्मतवालों को आजमाती हैं. सरकार के आदेश निर्देशों का पालन करें, बिना काम घर से बाहर नहीं निकले. दो गज दूरी, मास्क जरूरी. आप स्वस्थ होंगे, परिवार स्वस्थ होगा. आप अपने परिवार का ध्यान रखे. सार्वजनिक रूप से मिलने से बचें क्योकि आप अमूल्य धरोहर हैं. आपसे मिलना जरूरी नहीं, आपका होना जरूरी हैं. घरों से बाहर नहीं निकले. 

साधु तीन गज दूरी से दर्शन करें. धर्म के साथ जिये. गणधराचार्य पुष्पदंतसागरजी गुरूदेव पुष्प में हैं और उनके नवरत्न हैं. मुनि तरुणसागरजी, आचार्यश्री प्रसन्नसागरजी, आचार्यश्री पुलकसागरजी, आचार्यश्री प्रमुखसागरजी, आचार्यश्री डॉ. प्रणामसागरजी, आचार्यश्री प्रज्ञासागरजी, मुनि अरुणसागरजी, मुनि सौरभसागरजी एक से बढ़कर एक आचार्यश्री पुष्पदंतसागरजी के शिष्य हैं. 

यह संत समाज की प्रभावना कर रहे हैं, अपने आप में बेमिसाल हैं. उसी में एक आचार्य डॉ. प्रणामसागरजी हैं, बहुत व्यवहार कुशल हैं' विनम्र हैं, साधक हैं. धर्मसभा का संचालन गणिनी आर्यिका स्वरकोकिला आस्थाश्री माताजी ने किया.
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