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2021 का कोरोना 2020 से भारी - जंग की दूसरी पारी - इलेक्शन महंगाई डायन पर भारी - जनता मुसीबत की मारी





जनता 2020 से संभल नहीं पाई - महामारी फिर आई - लापरवाही छोड़, सबको मिलकर करनी होगी कोरोना से लड़ाई - एड किशन भावनानी



गोंदिया - विश्व सहित भारत की जनता ने 2020 की कोरोना महामारी की विभीषकता देखी और आर्थिक, शैक्षणिक सहित हर क्षेत्र में भारी नुकसान, कोरोना से लोग पीड़ित हुए और लाखों की मृत्यु हुई और अब वर्ष के अंत और नए वर्ष 2021 की शुरुआत से कुछ राहत की उम्मीद थी और दो वैक्सीन का आत्मनिर्भर भारत ने निर्माण कर उम्मीद की एक नई किरण जगा दी और ठीक ऐसा हुआ भी कि, हर क्षेत्र अपने अपने स्तर पर फिर से पुरानी स्थिति की ओर लौटने में स्पीड पकड़ी रहा था कि, फिर कोरोना महामारी ने विश्व सहित भारत पर भी हमला कर दिया है और अभी 8 राज्यों को अपनी जकड़ में लिया है, अन्य राज्यों की और बहुत तेजी से बढ़ रहा है। 

हर अगले दिन किस राज्य में क्या होगा महामारी का रिकॉर्ड यह कोई कह नहीं सकता 1 अप्रैल को दिल्ली में 2790 नए मामले आए और सरकार ने तुरंत एक्शन ले कर आठवीं कक्षा तक सभी स्कूल अगले आदेश तक बंद करने का निर्देश जारी किया। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा सहित कुछ शहरों में 3 दिन का लॉकडाउन लगा दिया गया है। सबसे अधिक केस महाराष्ट्र से आ रहे हैं। देश के दस सबसे अधिक पीड़ित जिलों में महाराष्ट्र के 8 जिले हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने हालत पर चर्चा के लिए शुक्रवार को आपात बैठक बुलाई हैं गुरुवार को भारत में पिछले छह माह में से सबसे अधिक केस आए हैं।

 देश के अनेक राज्यों के स्थानीय प्रशासन लेवल पर भी अनेक सख़्तियां लगा दी गई है। फिर भी महामारी बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है। सरकार ने जिला प्रशासन लेवल से ही टीकाकरण अभियान में भी तेजी लाई गई है 1 अप्रैल 2021 से 45 वर्ष के उपर सामान्य स्वास्थ्य वाले व्यक्तियों को भी टीकाकरण फुल स्पीड से लगाना शुरु हो गया है उधर हरिद्वार में भी कुंभ मेले की शुरुआत गुरुवार दिनांक 1 अप्रैल 2021 से हो गई जहां दूसरे राज्यों से श्रद्धालु पहुंचे हैं केंद्र सरकार की गाइडलाइंस अनुसार उत्तराखंड पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा, मोबाइल फोन में आरोग्य सेतु एप होना अनिवार्य है, और 72 घंटा पूर्व कराएं कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट अनिवार्य है, 

65 वर्ष के से अधिक वह 10 साल से कम उम्र के बच्चों व अधिसूचित बीमारी से पीड़ित मरीजों को इंट्री नहीं है। अगर हम अभी यह 2021 के 2 माह का विश्लेषण करें तो 2020 के इन उन दोनों माहों से अभी भारी दिखाई दे रहे हैं। यह महामारी से दूसरी जंग पहले से भारी दिखाई दे रही है। हालांकि अभी टीकाकरण उपलब्ध है, बस जरूरत है हम सबको मिलकर कोरोना महामारी से लड़ाई करने की हालांकि जनता भी बेचारी मुसीबतों की मारी है। कोरोना के करंट से रोजगार गया, जेब ढीली हुई, जमा पूंजी समाप्त हुई कमाई बहुत कम हो रही है, आर्थिक स्थिति ढीली पड़ गई है। 

फिर भी अपनी हिम्मत रूपी ब्रह्मास्त्र हमारे पास है, सबको मिलकर कोरोना से लड़ाई तो लड़नी ही पड़ेगी जिसके लिए फुलसावधानी बिना लापरवाही, पूरा मास्क, 2 गज की दूरीटीकाकरण जरूरी, शासकीय ने दिशानिर्देशों का पालन सब बहुत सख्ती से करना होगा। जबकि दूसरा एक पक्ष देखा जाए तो पांच राज्यों में इलेक्शन शुरु है वहां की जनसभाओं, रैलियो, चुनावी कैंपेन, में हम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा जो हाल देखते हैं तो दंग रह जाते हैं कि, जहां एक और सावधानी और लापरवाही नहीं करने की बातें चलती है तो दूसरी और वहां उन दिशानिर्देशों का खुलेआमउल्लंघन साफ दिखाई देता है। 

बस हर लीडर अपनी जनसभाओं में व्यस्त हैं जनता ही बस मुसीबतों की मारी है। पर हां..एक चुनावी सहयोग जनता को बहुत अच्छा मिल रहा है कि इन चुनावी मौसम में कुछ दिन महंगाई डायन चुनाव से डरती है और इलेक्शन महंगाई डायन पर भारी दिखाई पड़ रहा है। क्योंकि हमने देखे कि चुनाव से पहले पेट्रोल-डीजल जिस तरह तेजी से 15 बार बड़ा, लेकिन चुनाव के कारण अभी 3 बार उसके रेट कम हुए।सिलेंडर पर 10 कम हुआ और अभी हमने देखे के 31 मार्च 2021 को वित्त मंत्रालय ने स्माल सेविंग स्कीम पर ब्याज दरें घटाई थी,

लेकिन मात्र 13 घंटों के बाद ही वह आदेश वित्त मंत्री ने वापस ले लिया और जनता ने राहत की सांस ली। यह पब्लिक है, सब जानती है कि चुनावी माहौल को देखकर यह सब सहूलियतें हैं।और चुनाव रहते दी जाती है। हालांकि यह अपनी राजनीतिक नीति भी है परंतु सरकारें इस संकट की घड़ी में जनता के लिए अनेक राहतें और सहूलियत भी लाती है जो हमने 2020 के काल में फुल लॉकडाउन के समय देखे थे।परंतु हम देखें तो यह सब सुविधाऎं राहतें सभ, कुछ समय का ही  साथ है। अंत में तो जनता को अपने बल पर ही जिंदगी को आगे बढ़ाना है, मुसीबतों का सामना करना है। अतः हम जनता ही हैं जो 2020 की महामारी से संभल नहीं पाए हैं, और महामारी फिर वापिस 2021 में आई हैं अतः हम सबको लापरवाही छोड़ सावधानी से मिलकर करनी होगी कोरोना से लड़ाई।

- लेखक कर विशेषज्ञ 
एडवोकेट किशन सन्मुख दास भावनानी 
गोंदिया महाराष्ट्र
लेख 6321077138697999709
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