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सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 और बेनामी ईमेल, आर्थिक धोखाधड़ी सहित साइबर क्राइम




आधुनिक तकनीकी युग में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की उपयोगिता बड़ी - फिर भी नागरिकों को सावधानी की सलाह - एड किशन भावनानी


गोंदिया - भारत में अगर हम कुछ दशक पूर्व की बात करें तो पोस्ट ऑफिस, टेलीग्राम ऑफिस और टेलीफोन विभाग का सूचना प्रसारण में बहुत महत्व था और इन विभागों में लंबी कतारें भी हमने देखी। मुझे याद है कि 15 पैसे का एक पोस्ट कार्ड लेनेके लिए भी हम लाइन में लगते थे और यह भी दौर देखा कि किसी को कैसे उस पोस्टकार्ड के द्वारा धमकी, बेज्जती, फिरौती इत्यादि अपराध और खत आते थे तो संबंधित आदमी घबराते थे और रिपोर्ट करने थाने दौड़ पड़ते थे। 

समय का चक्र है, बड़ी तेजी से घूमता है पता ही नहीं चलता। जैसा वर्तमान समय में तकनीकी युग आया है ऐसे युग की हमारे बड़े बुजुर्गों को ने तो कल्पना भी नहीं की होगा। किसी ने सच ही कहा है कि जितनी सुख सुविधा का हम लाभ उठाते हैं, उसने पीछे कुछ विपरीत परिणाम भी भुगतने होते हैं। आज के युग में सूचना प्रौद्योगिकी की तकनीकी का जिस तेजी से विकास हुआ है, तो उसके कुछ विपरीत परिणाम या धोखाधड़ी भी बढ़ी है। 

अब पोस्टकार्ड को छोड़ लोग उल्टी-सीधी हरकतें धमकी बदनामी,झूठी शिकायतें, जलन खोरी, किसी की उन्नति को सहन नहीं कर सकते, इत्यादि अनेक बातों की दिल से भड़ास निकालने के लिए उसके नाम जाली झूठा बेनामी, प्लेन ईमेल उनसे संबंधित लोगों को कर उसकी बदनामी की साजिश रची जाती है। बात अगर हम आर्थिक लेनदेन की करें तो हमने कई बार प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पढ़ा व सुना होगा कि फलां आदमी के इतने हजार रुपए उसके अकाउंट से गायब हुए या फोन कॉल आया आधार नंबर अकाउंट नंबर, ओटीपी, आईडी इत्यादि अनेक प्रकार से जानकारी प्राप्त कर अकाउंट से पैसे उड़ा दिए जाते हैं। 

कई बार तो मालूम भी नहीं कैसे मोबाइल नंबर के आधार पर भी अकाउंट से पैसे उड़ते हैं। मीडिया के माध्यम से भी कई बार हम सुनते हैं कि अश्लीलता से जुड़े हुए कई मामले इस प्रौद्योगिकी के माध्यम से हुए हैं। इस संबंध में तो महिलाओं को निशाना बनानेके अनेक के सामने मीडिया के माध्यम से पढ़े व सुने हैं। कुल मिलाकर हमें आज अगर सूचना प्रौद्योगिकी के अनेकों लाभ जैसे फेसबुक टि्वटर टिक टॉक शेयरचैट जीमेल यूट्यूब सहित अनेकों सोशल मीडिया का लाभ हम ले रहे हैं तो इसके विपरीत अनेक हनिया भी है। 

इसलिए भारत की संसद ने 9 जून 2000 को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 लागू किया था और 17 अक्टूबर 2000 से यह कानून लागू हुआ। इसमें अनेक महत्वपूर्ण धाराओं को जोड़ा गया है परिस्थितियों के बदलते युग में कुछ नए नए संशोधन जोड़ते भी गए हैं और आज हम देखें तो केंद्र सरकार ने चीन के खिलाफ जो पहले 59 और फिर बाद में और अनेक चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगाया था वह इस सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 69 ए का परिणाम है, इसी का उपयोग कर सरकार नेप्रतिबंध लगाए थे। 

क्योंकि धारा 69 ए केंद्र सरकार को ऑनलाइन सामग्री को ब्लॉक करने और साइबर अपराधी को गिरफ्तार करने का अधिकार देती है। यह कानून भारत में साइबर अपराध को इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स के मुद्दे से निपटने के लिए प्राथमिक कानून है इसकी धारा 65 से 74 तक में कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है। इसके अलावा साइबर क्राइम करने वालों पर इंडियन पेनल कोड की धारा 379, 405, 406, 465, 420 सहित और भी अनेक धाराएं लगाई जा सकती है। इसके अलावा ऑफिसियल सीक्रेट एक 1923,भारतीय टेलीग्राम अधिनियम 1885 इत्यादि कुछ कानून लागू होते हैं जिसके कारण साइबर अपराधियों पर कानून का कुछ डर बना रहता है। 

3 दिन दिन पूर्व ही हमने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से समाचार सुने कि मुंबई के सीआरपीएफ कार्यालय में भारत के माननीय गृह मंत्री और यूपी के माननीय मुख्यमंत्री को धमकाने वाला एक ईमेल सीआरपीएफ मुख्यालय में आया है। ईमेल में माननीय दोनों की जान के खतरे की जानकारी दी गई है और सार्वजनिक जगहों मंदिर एयरपोर्ट पर ब्लास्ट की भी धमकी दी गई है यह ईमेल मीडिया में जानकारी आने के तीन चार दिन पूर्व सीआरपीएफ को मिला था अब एनआईए सहित तमाम एजेंसियां इस मेल की जांच में जुट गई है। 

उम्मीद है इस बेनामी ईमेल को आखिर किसने और कहां से किया है या जाली आईडी बनाकर किया है इन सब बातों का पता हमारे देश की सक्षम आधुनिक एजेंसियां आधुनिक सूचना तकनीकीयों के उपयोग से शीघ्र ही पता लगाने और दोषियों को सजा दिलाने में कामयाब होगी, यह हम उम्मीद करते हैं। 

अगर हम देखें तो इतने बड़े और पावरफुल व्यक्तित्व के नाम पर वह भी इस तरह के ईमेल करने की कोई हिम्मत करता है तो आज के युग में एक साधारण व्यक्तित्व को किस तरह ईमेल पर उसकी बदनामी धमकी फिरौती इत्यादि के रूप में उसके साथ एक खैला करने से लोग नहीं चूकते या फिर यूं कहें कि ऐसे लोग यह समझ लेते हैं कि ऐसे मामलों को ट्रेस करना मुश्किलों भरा होता है। 

परंतु हम जान लें कि आज के विकसित तकनीकी युग में सबकुछ संभव है किसी भी तकनीकी त्रुटि वह चालाकी को आसानी से पकड़ा जा सकता है भले ही वह बेनामी हो फेक आईडी हो या अन्य किसी भी प्रकार की चालाकी लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि कानून के हाथ लंबे होते हैं और हमारे देश की एजेंसियां इतनी सक्षम है और तकनीकी संपन्नता के आधार पर आसानी से ऐसे मामलों को सुलझा सकती है।


संकलनकर्ता - लेखक कर विशेषज्ञ 
- एडवोकेट किशन दास भावनानी 
गोंदिया (महाराष्ट्र)
लेख 6166553430896450390
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