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वर्तमान में कहानी लेखन एक चुनौती हैं : डॉ. सुधीर शर्मा


नागपुर/पुणे। हिन्दी गद्य विधा में कहानी सरल व लोकप्रिय विधा होने के बावजूद वर्तमान समय में कहानी लेखन एक चुनौती हैं। ये विचार डॉ. सुधीर शर्मा हिंदी विभागाध्यक्ष, कल्याण महाविद्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़ ने व्यक्त किये। 

विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश की छत्तीसगढ़ ईकाई के तत्वावधान में 'हिंदी कहानी लेखन के विविध पहलू' इस विषय पर आयोजित  आभासी गोष्ठी में वे मुख्य वक्ता के रुप में अपना मंतव्य दे रहे थें। विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शहाबुद्दीन नियाज मुहम्मद शेख, पुणे ने गोष्ठी की अध्यक्षता की। 

डॉ. शर्मा ने आगे कहा कि वर्तमान समाज अलग - अलग समस्याओं से जूझ रहा हैं।परिणामतः कहानी की कथावस्तु बदल रही हैं।कहानी के श्रोता और पाठक में भेद होने के कारण समय के सही मूल्यांकन के साथ कहानी लेखन की  आवश्यकता हैं। डॉ. सुनीता तिवारी, हिंदी विभाग मेट्स यूनिवर्सिटी, रायपुर, छत्तीसगढ़ ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कहानी प्राचीन काल से बहुपरिचित हैं। 

भाषा के विकास के साथ कहानी ने जन्म लेकर व विकसित होती गई आज सशक्त विधा के रूप में कहानी उभर चुकी हैं। आचार्य सूर्य प्रसाद शर्मा 'निशिहर' रायबरेली,उत्तर प्रदेश ने अपने मंतव्य में कहा कि समाज में बदलती हुई मान्यताओं, पंरपराओं तथा रीति रिवाजों के साथ कहानी परिवर्तित हो रही हैं। सरल शब्दों में लिखी कहानी पाठक पर अमिट प्रभाव छोड़ देती हैं। 

वंदना श्रीवास्तव "वान्या" हिंदी सांसद लखनऊ ने कहा कि मानव जीवन का खंडचित्र प्रस्तुत करने वाली कहानी गद्य साहित्य की सवाधिक रोचक विधा हैं। डॉ. सीमा वर्मा, लखनऊ ने कहा कि कहानी हमारा जीवन हैं। छोटी - छोटी घटनाओं को केंद्र बिंदु बनाकर उसकी संक्षिप्तता कहानी के कलेवर में स्तरीयता लाती हैं। 

गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए संस्थान के अध्यक्ष डॉ. शहाबुद्दीन नियाज मुहम्मद शेख, पुणे ने कहा कि आधुनिक हिंदी कहानी के पास सौ सवा सौ वषों  की ऐतिहासिक परंपरा हैं। साठोत्तरी काल में कहानी के कई आंदोलन हुए। वर्तमान में हिंदी कहानी के घटती पाठकों की संख्या को देखते हुए कहानी के विश्व को बदलने की जरूरत हैं।

हिंदी कहानी को अब समय के साथ चलना जरूरी हो गया हैं। प्रारंभ में पूर्णिमा कौशिक ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। डॉ. रश्मि चौबे, गाजियाबाद ने स्वागत उद्बोबोधन दिया। जूम पटल पर आयोजित इस आभासी गोष्ठी में विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान प्रयागराज के सचिव डॉ. गोकुलेश्वर कुमार दि्वेदी, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी, महिंदपुर, डां. संजय शर्मा,तलोदा, डां. शशिकांत सावन अमलनेर, डॉ. डी.पी पाटिल, भारती निकम् सहित लगभग सौ प्रतिभागियों ने अपनी सक्रियता दर्शायी। विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान की छत्तीसगढ़  ईकाई की आयोजक, संयोजक, हिंदी सांसद डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक ने गोष्ठी का सफल संचालन आनलाईन जूम पर कुशल नियंत्रण के साथ किया। आभार ज्ञापन प्राध्यापिका लता जोशी मुबंई ने किया।
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