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युवा पीढ़ी साहित्य से दूर होती जा रही है : प्राचार्य डॉ. शाहबुद्दीन शेख




नागपुर/पुणे। साहित्य मानवता का उन्नायक होते हुए वह वर्तमान को सामने रखकर भविष्य की रूप रेखा तैयार करता है, परंतु दुर्भाग्य है कि हमारी वर्तमान युवा पीढ़ी साहित्य से लगाव न रखते हुए उससे दूर होती जा रही है। इस आशय का प्रतिपादन नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली के कार्याध्यक्ष प्राचार्य डॉ.शहाबुद्दीन नियाज़ मोहम्मद शेख़, पुणे ने किया। 

आष्टी तालुका शिक्षण प्रसारक मंडल संचालित एडवोकेट बी. डी. हम्बर्डे महाविद्यालय हिंदी विभाग तथा अतंर्गत गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित "समकालीन परिप्रेक्ष्य में युवा और साहित्य"इस विषय पर आयोजित राष्ट्रीय आभासी गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में मंतव्य दे रहे थे। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.सोपान निंबोरे ने समारोह की अध्यक्षता की।

प्राचार्य डॉ. शहाबुद्दीन शेख ने आगे कहा कि सोशल मीडिया के अत्यधिक व अनावश्यक प्रभाव में आज की युवा पीढ़ी भविष्य की भयावह अनिश्चितता से गुजर रही है। दिग्भ्रमित इस युवा पीढ़ी को सही मार्गदर्शन की ज़रूरत है। हमारे आदर्श और प्रेरक भारतीय साहित्य के प्रति युवा पीढ़ी के मन में आस्था,श्रद्धा,लगाव और अभिरुचि निर्मिति की बहुत आवश्यकता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० युवा पीढ़ी में आशा की नई किरण जगाएंगी। 

जय भवानी महाविद्यालय, पाटोदा,(बीड) के प्राचार्य डॉ. सय्यद शौकत अली ने अपने उदघाटन भाषण में कहा कि आज का विषय मनन,चिंतन व मंथन का है, इसके लिए मै प्रा. जैनुल्लाखान पठान (संयोजक) का विशेष आभार प्रकट करता हूं। आज की युवा पीढ़ी की सोच बदल गई है, वह वर्तमान में गूगल पंडित हो गई है। अपने कमरे में कैद युवा पीढ़ी निराशा और नकारात्मकता की शिकार हो रहीं हैं। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सोपान निंबोरे  ने अध्यक्षीय समापन में कहा कि आधुनिक वैज्ञानिक व तकनीकी के इस युग में युवा पीढ़ी भारतीय साहित्य पढ़ने की अपेक्षा अश्लील और सारहीन साहित्य की ओर आकर्षित हो रहीं हैं। यह बड़ी चिंता का विषय है। भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए युवा पीढ़ी भारतीय साहित्य को समझे व आचरण में लाए।
       
गोष्ठी के प्रारंभ में महाविद्यालय के हिंदी विभाग प्रमुख प्रा. जैनुल्लाखान पठान ने गोष्ठी के विषय का  उद्देश्य स्पष्ट करते हुए कहा कि यह विषय बड़ा व्यापक हैं।आज के प्रतिस्पर्धा युग में हमारी युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति व साहित्य से कोई लेना देना नहीं, इसके प्रति युवा पीढ़ी का ध्यान आकर्षित करने के लिए ही इस विषय को तरजीह  देनी चाहिए। 

गूगल मीट वेब पटल पर सम्पन्न इस आभासी राष्ट्रीय संगोष्ठी में डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक,रायपुर(छ त्तीसगढ़)डॉ. रश्मि चौबे , गाज़ियाबाद (उत्तर प्रदेश) सहित विभिन्न राज्यों से डेढ़ सौ से अधिक प्रतिभागियों ने अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्शाई। गोष्ठी की सफलता में तकनीकी निर्देशक डॉ.रवि सातभाई सहित सभी प्राध्याप कों ने अपना सहयोग दिया।हिंदी विभाग की प्रा. शुभांगी खुडे के धन्यवाद् ज्ञापन के साथ गोष्ठी का समापन हुआ।
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