डायलिसिस क्या होता है ?
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डायलिसिस रक्त शुद्धिकरण की प्रक्रिया है। गुर्दों की खराबी से शरीर में जहरीले पदार्थ जमा हो जाते हैं, यह जहरीले पदार्थ दिल, दिमाग, मांस - पेशियों पर, पाचन क्रिया पर और आंखों पर असर करते हैं। जीवित रहने के लिए यह आवश्यक है कि इन जहरीले रसायनों को शरीर से बाहर निकाला जाए। इस प्रक्रिया को डायलिसिस कहते हैं।
पेरीटोनियल डायलिसिस में रक्त शुद्धीकरण के लिए पेट में मौजूद झिल्ली का इस्तेमाल किया जाता है, पेट में झिल्ली होती है जिसे पेरीटोनियम कहते हैं, इसकी विशेषता यह है कि खून में जमे रसायन आसानी से इस झिल्ली के आर पार आ जा सकते हैं।
एक विशेष तरह का द्रव्य पेट में प्रविष्ट करते हैं और तीन से चार घंटे के बाद इसे निकाल लेते हैं। शरीर में जमे विषैले रसायन इसके साथ बाहर आ जाते हैं। पेरीटोनियल डायलिसिस द्वारा मरीजों के प्राणों की रक्षा की जा सकती है।
हीमोडायलिसिस
इस प्रक्रिया में आधुनिक कृत्रिम गुर्दों का इस्तेमाल रक्त शुद्धीकरण के लिए किया जाता है। शरीर से रक्त नालियों द्वारा कृत्रिम गुर्दे तक पहुंचाई जाती है जहां रक्त शुद्धीकरण होता है।
इसमें जहरीले तत्वों के अलावा शरीर में जमे अत्याधिक पानी और नमक भी कृत्रिम गुर्दों के द्वारा निकाल लिया जाता है। इस प्रक्रिया में 4 से 5 घंटे लगते हैं और यह प्रक्रिया हफ्ते में 3 दिन किया जाता है।
हमारी प्राकृतिक किडनी 24 घंटे हर पल काम करती है, इसके विपरीत कृत्रिम गुर्दा हफ्ते में केवल 12 से 15 घंटे काम करता है। कृत्रिम गुर्दा एरिथ्रोपायटिन नामक हार्मोन बना नहीं सकता, इसलिए मरीज को रक्तहीनता बनी रहती है और बीच - बीच में उसे यह इंजेक्शन देना पड़ता है ।
डायलिसिस की तैयारी
हिमो डायलिसिस के लिए हाथ में फिस्टुला बनाया जाता है। फिस्टुला में कलाई के धमनी और शिरा को जोड़ दिया जाता है। फिस्टुला करने से आसानी से रक्त शुद्धीकरण प्रक्रिया के लिए उपलब्ध होता है।
जब मरीज के किडनी की कार्य शक्ति 20 प्रतिशत से कम होने लगे तो फिस्टुला बनवा लेना चाहिए। फिस्टुला का इस्तेमाल करने के लिए 45 दिन से 60 दिन का समय लगता है। महिलाओं में और बुजुर्गों में और डायबिटीज के मरीजों में फिस्टुला को ठीक होने के लिए ज्यादा समय लगता है।
फिस्टूला वाले हाथ का केवल डायलिसिस के लिए ही उपयोग करें, इस हाथ पर कोई और इंजेक्शन ना चुभाएं, ना ही ब्लड निकालने के लिए इस हाथ के शिराओं का उपयोग करें।
डायलिसिस के पेशेंट को हेपेटाइटिस बी और निमोनिया का टीका जरूर लगवा लेना चाहिए।
- डॉ शिवनारायण आचार्य
नागपुर (महाराष्ट्र)