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भारत में तेज़ी से बढ़ता कोरोना संक्रमण - पांच राज्यों में चुनाव - खेला होबें की गूंज




बढ़ते कोरोना संक्रमण और चुनाव प्रक्रिया में सामंजस बैठाना एक चुनौती - एड किशन भावनानी


गोंदिया - अभी हाल ही में माननीय प्रधानमंत्री महोदय ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक लेकर बढ़ते कोरोना संक्रमण पर गहरी चिंता जाहिर कर दवाई और कढ़ाई, 3 डी टेस्टिंग, माइक्रो टेस्टिंग, रैपिड एंटीजन टेस्टिंग वैक्सीन वेस्टेज रोकना, रिटन टेस्ट इत्यादि कई मंत्र दिए और इशारा किया कि नियमों का कड़ाई से पालन और सतर्कता नहीं बरती गई और यहीं नहीं रोका गयातो देशव्यापी आउटब्रेक की स्थिति बन सकती है। 

इस गंभीरता को देखते हुए स्थिति के आकलन का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है और कुछ राज्यों में तो स्थिति गंभीर हुई है कुछ क्षेत्रों,शहरों, नगरों में तो स्थिति भयंकर गंभीर होती जा रही है और कुछ क्षेत्रों, शहरों, नगरों में एक सप्ताह के लिए लॉक डाउन का निर्णय कर लागू किया जा चुका है केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भी स्थिति पर कड़ाई से निगरानी रखे हुए हैं और उसे प्रेस वार्ता कर पूरी समीक्षा की जानकारी दी जा रही है वहीं दूसरी ओर कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप में केंद्रीय चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल सहित पांच राज्यों के लिए विधानसभा चुनावों की तारीखों का एलान कर दिया है। 

अलग-अलग चरणों एवं तारीखों में होने वाले मतदान की गणना एक ही दिन दो मई को होगी। दो मई को तय हो जाएगा कि बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी की जनता ने किस दल को सत्ता की चाबी सौंपी है। मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने प्रेसवार्ता में बताया कि कोरोना को ध्यान में रखते हुए चुनाव होंगे। अतः राज्यों मैं चुनाव का बिगुल बज चुका है और राजनीतिक पार्टियां वहां रैलियां, रोडशोज ढोल पताशे, जुलूस द्वारा अपने अपनी शक्तियों का प्रदर्शन करना चालू है शासन-प्रशासन और चुनाव आयोग की जिम्मेदारी बहुत बढ़ गई है। 

हम रोज इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के बहुतएक चैनलों पर यह चुनावी धमाल देख रहे हैं, जिसमें दिखाई दे रहा है कि कोविड महामारी के दिशा निर्देशों का सख्ती से पालन नहीं किया जा रहा है जिस तरह रोडशो हो रहे हैं और जनसभाएं हो रही हैं वहां दिशा निर्देशों का पालन नहीं दिखाई दे रहा है जो एक दुख की बात है। असल में कोरोना महामारी के इस पार्ट- टू के प्रकोप और राज्यों में जारी चुनावी हलचल केबीच सामंजस्य बिठाना चुनाव आयोग और शासकीय रणनीतिकारों के लिए बहुत ही अनिवार्य है। हालांकि अवधि समाप्त होने के कारण यह चुनावी प्रक्रिया भी जरूरी है, नहीं तो संवैधानिक संकट खड़ा होने की स्थिति बन जाएगी। 

परंतु इस कोविड महामारी के तीव्र गतिसे बढ़ते प्रकोप को देखते हुए महामारी और चुनाव प्रक्रिया में सामंजस्य बिठाना अति अनिवार्य है, अन्यथा भारी परेशानी में हम पढ़ सकते हैं.. बात अगर हम बंगाल विधानसभा चुनाव की करें तो वहां दीदी ने बुधवार दिनांक 17 मार्च 2021 को अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया और सबसे बड़ा वादा हरघर अनाज पहुंचाने सहित और अनेक वादे किए हैं और अन्य सत्ताधारी पार्टी द्वारा रविवार दिनांक 21 मार्च 2021 को अपना घोषणापत्र जारी करने की सूचना मीडिया द्वारा प्राप्त हुई है और राजनैतिक विश्लेषण कर चार कदम आगे अपना घोषणापत्र जारी करेंगे ऐसी उम्मीद है, 

परंतु यह अलग बात है कि उन घोषणाओं पर सभी राजनीतिक पार्टियां कितना अमल करती है यह किसी से छुपा नहीं है, उसके ऊपर दो पार्टियों में- खेला होबे,,, खेला होबे,, - इस स्लोगन की गूंज और उसके जवाब में,, विकास होबे,, की गूंज इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में जोर-शोर से दिखाई दे रही है रुपहले पर्दे के हीरो, हीरोइन, बड़े बड़े नामी नेतागण, जनता को अपने-अपने वादों, संकल्पों, विचारधारा और विकास की ओर पग बढ़ानेखातिर रिझाने में लगे हैं। 

जनता कोविड- 19 के दिशा निर्देशों का उल्लंघन करते हुए मीडिया में साफ दिखाई दे रहीहै और नेताओं अभिनेताओं की सभाओं,रोड शो में भारी भीड़ उमड़ पढ़ती इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से दिखाई दे रही है और यह सब देख कर ऐसा लगता है कि भारत में कोरोना महामारी का नामोनिशान नहीं है। साथियों, यह अत्यंत ही गंभीर, सोचनीय व दुर्भाग्यपूर्ण बात है। 

कोरोना महामारी पर नियंत्रण, रोकथाम कढ़ाई, दवाई इत्यादि संबंधी मुख्यमंत्रियों की मीटिंग में जताई गई थी और मीटिंग में कौन मुख्यमंत्री उपस्थित हुए और कौन नहीं हुए यह जनता ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से देखा हालांकि उनके अनुपस्थिति की भी कुछ मजबूरी रही होगी परंतु नेता, अभिनेता कुछ भी करें, कहें, लेकिन कोरोना महामारी पर अगर नियंत्रण और दिशा निर्देशों का क्रियान्वयन करना है तो वह जनता के ही हाथ में है जनता को खुद ही क्रियान्वयन करना होगा, जब हम चुनावी प्रक्रिय, महामारी से छुटकारा पाने के प्रभावी उपायों और दिशानिर्देशों के बीच कुछल संतुलन, तालमेल कर खुद अपने आप को बचा सकते हैं।

लेखक - कर विशेषज्ञ 
- एड किशन सनमुखदास भावनानी 
गोंदिया, महाराष्ट्र
लेख 3096216756397736410
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