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कबिरजी की पर्यावरण पूरक वाणी में सराबोर होकर होली खेलो : महंत संजयदास




नागपुर। कबीरजी की वाणी में पर्यावरण का स्रोत है. कबीर वाणी प्रकृति में सराबोर होकर हमे पर्यावरण रक्षण हेतू सजग करती है. यह प्रकृती के अमित रंग में रंगने की प्रेरणा देती है. आंतरिक पर्यावरण में मानव कल्याण निहित है. 

अत: प्रकृती को उन्नत बनाना हमारा कर्तव्य है तथा प्रभू के भक्तीरंग में रंगकर होली मनाना जरुरी है. इस वर्ष घर में रहकर आंतरिक साधना करे व पर्यावरण पूरक होली मनाये. नागपूर के 200 वर्ष पुरातन कबीर मठ में होली निमित्त वार्षिक सद्गुरू कबीर ज्ञान यज्ञ में महंत संजयदास बोल रहे थे. 
          
इस 110 वे पारंपरिक ज्ञान यज्ञ में महंत संजयदास के करकमलो से कबीरजी के श्रीमुर्ती का अभिषेक, श्वेत निशाण चढावा, बीजक ग्रंथ पारायण समाप्ती, गोपाल काला व पान प्रसाद किया गया. इस अवसर पर महंत संजय एस. बर्वे लिखित कबीर आणि पर्यावरण पुस्तक का विमोचन किया गया जो की लेखक ने पिछले लॉक डाऊन की विपरीत परिस्थिती में लिखी है. 

कोविड को ध्यान में रखकर चुनिंदा लोगो में यज्ञ संपन्न हुआ. यज्ञ की यशस्वीता के लिए गीता बर्वे, ऋषीदास गोखे, जगदीश बारापात्रे, प्रशांत बारापात्रे, स्मिता खानझोडे ने परिश्रम किया.
सांस्कृतिक 5517255940995986848
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