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होल्यार कुटुंब उत्सव का आनलाईन आयोजन सफल रहा






राष्ट्रीय सर्वभाषीय ब्राह्मण संगठन एवं अखिल भारतीय युवा प्रतिनिधि मंच का उपक्रम


नागपुर। फागुन मास के अमृत्व उत्सव होली के रंगारंग व उत्साहवर्धक आनलाईन कार्यक्रम में होली की रंग से भरी बौछारों व मधुरम गीतों की बयार वह हंसी मज़ाको की फुहारों और नृत्यों की मस्ती के साथ गूगलमीट पर अत्यधिक सफल आयोजन किया गया। सभी पर फागुन के रंग सिर चढ़कर, झूमते से खिलखिला कर बोल रहे थे। सभी प्रेमरंग में लिप्त रहे, सचमुच विश्वव्यापी कोरोना की छाया तक इस कार्यक्रम में कहीं भी नजर नहीं आ रही थी। हां तालियों की गड़गड़ाहट की गूंज व फूलों की वर्षा व गुलाल के बादलों में ही सब लिपटे दुनियां से‌ दूर बेखबर थे। 

संचालन अध्यक्षा रति चौबे ने इन पंक्तियों के साथ किया 'ये फागुन की रंगीन बहारें, दिलों को रंग दूंगी मैं, ये बेखुदी का मौसम, राज सबके खोल दूंगी मैं, क्योंकि होली है। सभी को होली के रंगीन किताबों' से नवाजा गया, अध्यक्ष हरीश उपाध्याय संपादक, पत्रकार उत्कर्ष संस्थान लखनऊ को जब 'चित्तचोर, गुलाल की है बस्ती' से नवाजा गया तो नृत्य करते आता देख उनको सब तालियां बजा उठे, तभी मिडिया प्रमोटर, पत्रकार राजवीर रतन लखनऊ को भी 'ताथैय्या बीबी के रोगी' की उपाधि से सजाया तो वातावरण आनंदमय हो गया। 

फिर शुरू हुआ नृत्य व गीतों का दौर मय सभी कलाकारों के लिए तो वह लाजवाब रहा। पहले आई 'नटराज की सखी' की उपाधि के साथ नृत्य करती 'शिल्पा तिवारी' सब कह उठे वाह वाह तो भला हास्य कविता से माहौल को मुक्त कंठ से हंसाया 'नैनका चौबे' ने यह बोल 'होली आई' मैं बना रही थी गुजियां, सूंघ खुशबू चली आई सखियां उनको देख मटक गई मेरे पति की अंखियां, उपाधि मिली इनको 'विरहणी' ऋषिकेश से नंदिनी जोशी ले उपाधि 'योग सुंदरी' का नाच उठी एक उत्तराखंडी नृत्य होली जगे पर, लोकगायिका बन मधुबाला श्रीवास्तव चहकी, ठोलक, मंजीरे, हारमोनियम पर अवधपुरी में रघुबीर के साथ, तो 'आसामी गुडिंया बन कान्हा को कहती अरे जाते हैं नटखट' गाती नृत्य पर सबको कर बैठी सम्मोहित, तभी कुंह कुंहु कर 'स्वर कोकिला' उपाधि से नवाजी गई। 

भगवती पंत हैदराबाद से आ गई, फिर क्या था अब 'नखराली बहू' नाच उठी 'होलिया में उड़े ये गुलाल
ले सब झूमे, अब नाजुक लतिका बनी अंजली भांगे गा उठी 'मोहे रंग दे लाल' गाना सुन एक हो
'भोली बाला' जो दूर खड़ी शर्मा रही थी। पर वाह क्या धमाका कर दिया मीना तिवारी ने जोगी‌रे धीरै धीरे' गीत पर नृत्य कर सब कूद पड़े और बोले उठे जोगीजी वाह, वाह, अभी सब वाह वाह कर ही रहे थे कि 'बहारों की रानी' खिताब हासिल करके उपाध्यक्ष तनु खुल्बे एक जोरदार ठुमके के साथ 'मेरी बारी उमरिया मारो न कन्हैया पिचकारी' गीत पर नृत्य कर जो झूमी तो सब जोरदार तालियां बजा उठे तो छमक्क छल्लो बन फिर गुंजन तिवारी ने तो सबको नशीला बना दिया। 

विधा चौहान जिनके पास कार्यक्रम की लिंक थी बनी थी हमारी 'रिमोट कन्ट्रोलर' अपने गीत के साथ 'मैं अंखियां बिछाकर बैठी' सारा माहौल गीतमय हुआ तो उत्तराखंड से प्रमिला जौशी ने कहा फरीदाबाद से विधा तो मैं गा दिया एक सुमधुर गीत, माहौल पूरी तरह रंगीन हो रहा था तो लखनऊ से फिर  सतीश जोशी चंद्रा ने कमर कस ली और ले अपने भाई हरीश उपाध्याय को कूद पड़े तोनो होली नृत्य करने मचा दी। 

धूम उड़ा गुलाल और मठरी गुजिया खाकर फूलों की बारिश कर अध्यक्ष पूरे होली रंग में रहे तभी सभी लोग मंच पर थिरक उठे। मस्त गीत 'लेट्स पर्दे होली' पर करने धमाका और तनु खुल्वे ने रति चौबे को दे डाली एक उपाधी 'रंगीली नार'। कार्यक्रम की संयोजिका, संचालिका रही अध्यक्ष रति चौबे, सहयोगी हरीश उपाध्याय संस्थापक वो तनु खुल्वे, उपाध्यक्ष।
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