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पेट्रोल - डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के कयास - राज्य मसला उठाते हैं तो काउंसलिंग की अगली बैठक में चर्चा की उम्मीद



केंद्र और राज्य के खजाने पर असर और जनता को बहुत फायदा होगा - एड किशन भावनानी


गोंदिया - भारत में पिछले कई दिनों से हम देख रहे थे के पेट्रोल- डीजल के भाव में बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही थी। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कुछ शहरों की ग्राउंड रिकॉर्डिंग भी दिखाई गई कि पेट्रोल ₹100 प्रति लीटर के पार भी हो गया था। अभी पांच राज्यों में चुनाव चुनाव की घोषणा हो चुकी है जिसमें असम, बंगाल में दिनांक 27 मार्च 2021 से पहले चरण की शुरुआत हो जाएगी। 

अभी दो-चार दिनों से हम देख रहे हैं कि पेट्रोल-डीजल के भाव कम हो रहे हैं। अभी दो दिन से पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की चर्चाएं जोर शोर से चल रही है, इसी बीच मंगलवार दिनांक 23 मार्च 2021 को पेट्रोल-डीजल की ऊंची कर दरों को लेकर सदस्यों की चिंता के बीच वित्त मंत्री ने कहा जीएसटी की अगली बैठक में पेट्रोल डीजल को जीएसटी के के दायरे में लाने के सुझाव पर चर्चा करने को लेकर उन्हें प्रसन्नता होगी। 

यूं तो पेट्रोल-डीजल की लगातार बढ़तीकीमतों से राहत के लिए पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग लंबे समय से उठती रही है। हाल ही में वित्तमंत्री ने कहा था कि पेट्रोल व डीजल को जीएसटी की परिधि में लाने का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है। 

परंतु अभी 2 दिन पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अनुसार,वित्तमंत्री ने कहा है कि जीएसटी काउंसिल की आगामी बैठक में अगर राज्य पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का मसला उठाते हैं, तो वे चर्चा के लिए तैयार हैं।उन्हें इसमें कोई दिक्कत नहीं है मंगलवार को लोकसभा में वित्त विधेयक पर जवाब के दौरान वित्तमंत्री ने कहा कि सिर्फ केंद्र ही नहीं, राज्य भी पेट्रोल व डीजल पर टैक्स वसूलते हैं। 

इसलिए राज्यों को भी टैक्स घटाना होगा। हमें याद होगा कि,एक जुलाई 2017 को जब जीएसटी लागू हुआ था तो केंद्र व राज्य सरकारों ने अपने राजस्व के मद्देनजर कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोल, डीजल और एटीएफ को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा था। इसपर केंद्र सरकार व राज्य सरकारें अपने-अपने यहां अलग-अलग कर लगाती हैं और उससे आने वाला पैसा सरकारी खजाने में जाता है। 

वैसे तो,वित्त मंत्री पहले भी पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों पर बयान दे चुकी हैं और कहा था कि इस मुद्दे पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार को बैठकर बात करनी होगी क्योंकि तेल पर दोनों सरकारों द्वारा टैक्स वसूला जाता है। उन्होंने कहा कि जब केंद्र सरकार को पेट्रोलियम पर राजस्व प्राप्त होता है, तो इसका करीब 41 फीसदी हिस्सा राज्यों के पास जाता है।

वित्तमंत्री ने लोकसभा में वित्त विधेयक 2021 पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि पेट्रोल, डीजल पर केंद्र के साथ-साथ राज्यों में भी कर लगाया जाता है। वहीं केंद्र सरकार अपने कर संग्रह में से राज्यों को भी उनका हिस्सा देती है। उन्होंने कहा कि जीएसटी परिषद की अगली बैठक में यदि इस पर चर्चा होती है तो इसे एजेंडा में शामिल करने और इस पर चर्चा करने पर मुझे प्रसन्नता होगी। 

जीएसटी के मामले में जीएसटी परिषद सर्वोच्च नीति निर्णय लेने वाली संस्था है। वित्त मंत्री जीएसटी परिषद का नेतृत्व करतीं हैं जबकि राज्यों के वित्त मंत्री इसके सदस्य हैं। असल में देखा जाए तो, पेट्रोल-डीजल पर जीएसटी लागू होता है तो इसका असर केंद्र और राज्य दोनोंके खजाने पर पड़ेगा और इसका सीधा फायदा जनता को बहुत मात्रा में होगा।

क्योंकि जब पेट्रोल डीजल जीएसटी के दायरे में आ जाएगा तो केंद्र की तरफ से लगने वाले एक्साइज ड्यूटी और राज्यों की तरफसे अलग-अलग प्रतिशत के रूप में लगने वाला वैट टैक्स भी हट जाएगा। इसके बाद 28 परसेंट जीएसटी लगाया जाएगा जो कि स्लैब की अधिकतम दर है इसमें अगर हम माने तो 14 प्रतिशतकेंद्र और 14 प्रतिशत राज्य के खजाने में जाएगा। 

अभी केंद्र 1 लीटर पेट्रोल पर 32. 90और डीजल पर 31.80 एक्साइज ड्यूटी वसूलता है।लेकिन अगर जीएसटी के दायरे में आते हैं तो यह पेट्रोल पर  5.21और डीजल पर  5.28 ही रह जाने की संभावना है। वहीं अगर हम राज्य सरकार की बात करें तो कई राज्य सरकारें 30% से अधिक वैट वसूलते हैं जीएसटी के दायरे में आने के बाद में राज्यों का पेट्रोल-डीजल में होने वाली कमाई दोसौ परसेंट से भी अधिक कम हो जाएगी। 

अब हम पेट्रोल-डीजल पर टैक्स का गणित समझते हैं-पेट्रोल बेस्ट प्राइस 33.16, किराया₹0.28, एक्साइज ड्यूटी  32.90 डीजल कमीशन  3.69, वैट 21.04, कुल कीमत  91.17 उसी तरह डीजल बेस प्राइस ₹ 34.97, किराया  0.25 एक्साइज ड्यूटी 31.80, डीलर कमीशन ₹ 2.51 वैट 11.94, कुल कीमत 81.47 और अगर हम कच्चे तेल की 1 साल के अंदर की कीमत की बात करें तो 23 मार्च 2020 को $26 प्रति बैरल था जो 23 मार्च 2021 को $63 प्रति बैरल हो गया है। 

यह सभी आंकड़े ईपेपर सोर्सेस से उठाए गए हैं और अभी बजट 2021 में, वित्त विधेयक के जवाब के दौरान वित्तमंत्री ने लोकसभा में बताया कि बजट में जो एग्री इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट सेस लगाया गया है, उससे मिलने वाली पूरी राशि राज्यों को दी जाएगी। इससे फार्मयार्ड, मार्केटिंग यार्ड जैसे कृषि संबंधित बुनियादी ढांचों का विकास राज्यों में किया जाएगा। 

परंतु यह सब अभी समय के काल में समाया है कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जा रहा है कि नहीं, या फिर राज्य यह मसला जीएसटी काउंसलिंग की अगली बैठक में चर्चा के लिए उठाते हैं या नहीं यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

- संकलनकर्ता - कर विशेषज्ञ
एड किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया महाराष्ट्र

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