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क्वाड शिखर सम्मेलन - भारत की प्रतिष्ठा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ी - विकसित महाशक्ति देशों से मंच साझा



अंतरराष्ट्रीय ख्याति में देश में निर्मित कोविड वैक्सीन व भारतीय विदेश नीति का अहम रोल - एड किशन भावनानी

गोंदिया - विश्व की महाशक्तियों के साथ भारत ने शुक्रवार दिनांक 12 मार्च 2021 को एक वर्चुअल क्वाड शिखर सम्मेलन साझा किया जो जलवायु परिवर्तन आर्थिक संकट तथा कोरोना के समय की चुनौतियों से संबंधित था।क्वाड का अर्थ क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग है, इसके अंतर्गत चार देश भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका आते हैं, इस क्वाड का मकसद एशिया - प्रशांत क्षेत्र में शांति और शक्ति की बहाली करना और संतुलन बनाए रखना है। 

गौरतलब है कि साल 2007 में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो अबे द्वारा क्वाड का प्रस्ताव पेश किया गया था। इस प्रस्ताव को समर्थन भारत, अमेरिका और आस्ट्रेलिया ने किया था, जिसके बाद साल 2019 में इन सभी देशों के विदेश मंत्रियों की पहली मीटिंग हुई थी उसके बाद अभी इन देशों के शीर्ष नेताओं का चतुष्पक्षीय गठबंधन या क्वाड गठबंधन ढांचे के तहत पहला शिखर सम्मेलन ऑनलाइन प्रारूप में आयोजित किया गया और इस में भारतीय प्रधानमंत्री, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन, और जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा शामिल हुए। 

इस सम्मेलन में क्षेत्रीय मुद्दों सहित कई मुद्दों पर चर्चा की गई। गौरतलब हैकि इस दौरान उपरोक्त तमाम विषयों पर शीर्ष नेताओं द्वारा अपने - अपने विचार व्यक्त किए। इसके साथ ही आगामी सम्मेलन ऐसे समय में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग को और बढ़ाने की दिशा में एक प्रमुखी कदम होगा जब चीन इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए प्रयासरत है। क्‍वाड क्‍या है? इस सवाल के जवाब में यह कहना नाकाफी होगा कि यह चार देशों का एक समूह है, जिसमें उपरोक्त चारों देश शामिल हैं। 

यहां गौर करने वाली बात है कि जो चार देश इस समूह में शामिल हैं, वे दुनिया की प्रमुख आर्थिक शक्तियां हैं। इनके रक्षात्‍मक हितोंमें हालांकि आपसी टकराव देखने को मिलता है,पर एक बात पर सब एक साथ नजर आते हैं, जो है चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकना, खासकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभुत्‍व ने कई देशों के लिए चिंताएं पैदा की हैं। ऐसे में क्‍वाड देशों के बीच आपसी सहयोग को खासा अहम माना जा रहा है। 

भारत के लद्दाख में हमारे 20 जवानों की शहादत का ख्याल मन में आते ही चीन के प्रति हर नागरिक गुस्से से लाल हो जाता है और उनके भारत के जवानों ने भी चीन को बहुत क्षति पहुंचाई प्रशासनिक स्तर पर भी अनेक चीनी वस्तुओं और सेवाओं पर प्रतिबंध लगाए गए हैं तथा तकनीकी क्षेत्र में भी अनेक चीनी ऐप बंद कर दिए गएहैं और यह कारवाही अभी भी शुरू है और भी कई कार्रवाई न करने पर काम चलरहा होगा हालांकि प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से हम पढ़ते और सुनते आ रहे हैं कि लद्दाख में चीनी सेना पीछे हट गई है और भारतीय सेना ने भी अपनी स्थिति यथावत कर दी है परंतु वैश्विक स्तर पर चीन समुद्री क्षेत्र में अपने जहाज उतार कर बड़े-बड़े देशों का ध्यान आकर्षित किया है और चीन की विस्तार वादी नीति से दूसरे विकसित देश भी परेशान हैं। 

भारत के संदर्भ में इसकी अहमियत और भी बढ़ जाती है। यहां यह बात गौर करने वाली है कि क्‍वाड की औपचारिक तौर पर स्‍थापना तो 2007 में ही हो गई थी, लेकिन अब तक इसने कोई बड़ी कामयाबी हासिल नहीं की है। साल 2017 में इसका पुनर्गठन किया गया, जिसके बाद अब 12 मार्च को इसका पहला शिखर सम्मेलन हुआ है। यह शिखर सम्‍मेलन ऐसे समय में हुआ है, जब बीते करीब एक साल से पूर्वी लद्दाख में तनाव के बीच भारत और चीन के रिश्‍तों में दरार बढ़ी है तो अमेरिका, जापान और ऑस्‍ट्रेलिया के साथ भी व्‍यापार, सुरक्षा सहित कई अन्‍य मसलों को लेकर विगत तीन-चार वर्षों में उसके रिश्‍ते खट्टे हुए हैं। क्‍या है मकसद? 

क्‍वाड के पहले शिखर सम्‍मेलन के बाद हालांकि कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन चारों देशों के नेताओं ने हिंद प्रशांत क्षेत्रमें आपसी सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया है। इसमें कोरोना वैक्सीन के उत्पादन और वितरण के लिए संसाधन जुटाने पर भी सहमति बनी। क्वाड की बैठक का असर भी दिखा 2022 के अंत तक 100 करोड़ वैक्सीन बनाने का लक्ष्य यूएन के सहयोग से है। ऐसे में भारत के लिए इसकी अहमियत साफ समझी जासकती है। 

क्‍वाड शिखर सम्‍मेलन के जरिये हिंद-प्रशांत क्षेत्र की चारों प्रमुख आर्थिक शक्तियों-भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने चीन को यह संदेश देने की कोशिश भी की है कि क्षेत्र में उसके दबदबे के स्‍वीकार नहीं किया जाएगा और उसे कोई भी कदम अंतरराष्‍ट्रीय कानून के अनुसार उठाना होगा। क्‍वाड देशों के नेताओं ने भविष्‍य में क्षेत्र में समान हित साझा करने वाले देशों को भी इस मुहिम से जोड़ने के संकेत दिए हैं। अगर ऐसा होता है तो चीन के लिए और भी मुश्किलें और भी बढ़ेंगी। 

भारतीय प्रधानमंत्री ने क्वाड सम्मेलन में कहा, हम सब लोकतांत्रिक मूल्यों के कारण एकजुट हैं। हम लोग एक आज़ाद, खुले हुए और समावेशी भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिएप्रतिबद्ध हैं, सभी प्रधानमंत्रियों के साथ क्वाड देशों के पहले वर्चुअल सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे उन्होंने कहा कि वैक्सीन, जलवायु परिवर्तन और उभरती हुई टेक्नोलॉजी पर आधारित आज का हमारा एजेंडा क्वाड को वैश्विक बेहतरी के लिए एक शक्तिशाली प्लेटफ़ॉर्म बनाता है। 

इस मौक़े पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि भारत प्रशांत क्षेत्र में आपसी सहयोग के लिए क्वाड एक महत्वपूर्ण रंग भूमिक होने जा रहा है।व्हाइट हाउस में नया राष्ट्रपति आने के बाद बाइडन के साथ यह भारतीय प्रधानमंत्री की पहली मुलाक़ात है। सम्मेलन शुरू होने से पहले भारत के विदेश मंत्रालय की एक प्रेस रिलीज़ में कहा गया था, नेता साझा हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगे और एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी भारत- प्रशांत क्षेत्र को बनाए रखने की दिशा में सहयोग के व्यावहारिक क्षेत्रों पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे। 

क्वाड सिक्योरिटी डायलॉग के चार सदस्य देश, क्षेत्र में बढ़ते चीन के असर को रोकने के लिए एक मंच पर साथ आये हैं दूसरी तरफ़ भारत एक ऐसे मंच में काफ़ी सक्रिय है जिसमें भारत और चीन अहम भूमिका निभाते हैं। ये मंच है ब्रिक्स का जिसमें भारत और चीन के अलावा रूस,ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका भी सदस्य हैं। दिलचस्प बात ये है कि इस साल भारत को ब्रिक्स की अध्यक्षता मिली हुई है और भारत साल के मध्य में या इसके तुरंत बाद ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेज़बानी करने वाला है जिसमें चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के शामिल होने की पूरी संभावना है। 

अगर ऐसा हुआ तो ये साल की एक बड़ी घटना होगी क्योंकि पिछले साल भारत और चीन के बीच सीमा पर हुई झड़प के बाद दोनों देशों के आपसी रिश्ते खटाई में हैं। सवाल ये है कि भारत एक तरफ़ चीन विरोधी मंच में शामिल है और दूसरी तरफ़ चीन के साथ मिलकर एक दूसरे मंच में भी साथ है।

संकलनकर्ता कर विशेषज्ञ
- एड किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया महाराष्ट्र

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