Loading...

चुनाव पूर्व रात...


कैसी ग़ज़ब है
ये कत्ल की रात,
ओह,  काटे ना कटती, 
आज की रात।।

रुमाली रोटी,
मटन के साथ,
देश के खातिर
देशी की बात।।

अमावस में हो रही
पूर्णिमा की बात, 
चांदी के खनकते, 
सिक्कों की बात।।

रोजगार की छोड़ो,
करें उगाही की बात ,
मस्जिद से निकले 
फतवों की बात।।

बस्ती में घुमते
ठेकेदारों की बात, 
सरे आम बिकते,
ज़ज्बातों की बात।।

नीलाम में शामिल 
धर्म-गुरुओं की बात, 
थोक में बिकते 
इंसानों की बात।।

चुनाव में तबाह 
गणतंत्र की बात, 
कहीं दफन हुए
भरोसों की बात।।

लोकतंत्र का जामा पहने
ढकोसलों की रात, 
जन गण को बांटती
कैसी भयंकर रात।।

मासुम गरीबों के
तबाही की रात
गिरगिट भी शर्माए
ऐसे नेताओं की बात।

कैसे गुल खिलाती 
चुनाव पूर्व रात ।।


- डॉ. शिवनारायण आचार्य

नागपुर (महाराष्ट्र)

काव्य 8471795836515148217
मुख्यपृष्ठ item

ADS

Popular Posts

Random Posts

3/random/post-list

Flickr Photo

3/Sports/post-list