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वर्षा जल संचयन अभियान का शुभारंभ - 22 मार्च से 30 नवंबर 2021 तक प्री - मानसून और मानसून अवधि के दौरान लागू किया जाएगा



जल संचयन के अनेक तरीके, बस इच्छाशक्ति और धरातल पर हर नागरिक के क्रियान्वयन की जरूरत - एड किशन भावनानी

गोंदिया - जल ही जीवन है, जल है तो कल है इत्यादि अनेक सच्चाई से जुड़े स्लोगन हमने बहुत सुने, पढ़े और देखे हैं परंतु इसकी हकीकत हमें अगर धरातल पर देखनी है तो हमें उन गांव व आंतरिक इलाकों में जाकर देखना होगा जहां एक घड़ा या बाल्टी पानी लाने के लिए दो चार किलोमीटर दूर या जिस तरह इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कल जल दिवस पर दिखाया गया कि, किस तरह बच्चे एक बाल्टी पानी के लिए काफी दूर से आकर और पहाड़ी से नीचे उतर कर एक छोटी सी बाल्टी में गिलास से पानी भरकर बाल्टी में डाल रहे हैं वह भी पीने का पानी! 

यह है आज की हकीकत, कुछ उन इलाकों की। इसलिए हम सबको इस सच्चाई के स्लोगन को हकीकत रूप में अपने जीवन में उतारना है...इसी कड़ी में माननीय प्रधानमंत्री महोदय ने सोमवार दिनांक 22 मार्च 2021 को वर्षा जल संचयन अभियान, 22 मार्च 2021 विश्व जल दिवस से लेकर 30 नवंबर 2021 तक प्री-मानसून और मानसून अवधि के दौरान लागू किया जाएगा। 

एक वर्चुअल मीटिंग में वर्षा जल संचरण अभियान का शुभारंभ किया, इस मौके पर अपने संबोधन में पीएम ने कहा कि आज भारत में पानी की समस्या के समाधान के लिए 'कैच द रैन' की शुरुआत के साथ ही केन बेतवा लिंक नहर के लिए भी बहुत बड़ा कदम उठाया गया है। उन्होंने कहा कि अटल जी ने उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के लाखों परिवारों के हित में जो सपना देखा था, उसे साकार करने के लिए ये समझौता अहम है। साथ ही हमारे देश में नदी जल के प्रबंधन पर भी दशकों से चर्चा होती रही है हमने देखा है कई जगहों पर डैम बने हैं परंतु जिमएंडिंग नहीं हुआ है 

इंजीनियरिंग के मार्गदर्शन में करना होगा, पानी ज्यादा रुकेगा स्वाभाविक रूप से ज्यादा रोकेगा तो ज्यादा चलेगा नदियां, चैनल सभी साधन हैं बस करने की जरूरत है देश को पानी के संकट से बचाने में सही दिशा में काम करना है यह हम सब की जिम्मेदारी है,कि आज जब हम जब तेज़ विकास के लिए प्रयास कर रहे हैं, तो ये जल सुरक्षा के बिना, प्रभावी जल प्रबंधन के बिना संभव ही नहीं है, भारत के विकास का विजन, भारत की आत्मनिर्भरता का विजन, हमारे जल स्रोतों पर निर्भर है, 

हमारी वॉटर कनेक्टिविटी वहीं 2021 में, कोरोना वायरस महामारी या कोविड -19 के चलते लोगों द्वारा हाथ धोने और स्वच्छता पर अतिरिक्त ध्यान दिया जा रहा है., इसके अलावा जल की कमी, जल प्रदूषण, अपर्याप्त जल आपूर्ति, स्वच्छता की कमी और जलवायु परिवर्तन का प्रभाव भी शामिल है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, दुनिया की चालीस प्रतिशत से अधिक आबादी उन क्षेत्रों में रहती है, जहां पानी तेजी से कम हो रहा है और इस आंकड़े के बढ़ने की संभावना है.। 

दूसरी तरफ प्रतिदिन, लगभग एक हज़ार बच्चे स्वच्छता से संबंधित बीमारियों से दम तोड़ देते हैं। वहीं दुनिया के कुछ ग़रीब देशों में सूखे की वजह से भूख और कुपोषण का ख़तरा पैदा होगया है हालांकि दुनिया में और कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है इसमें पानी की कमी की समस्या बहुत गंभीर समस्या है, बढ़ती हुई आबादी और संसाधनों के अधिक उपभोग के साथ-साथ पानी की कमी, एक प्रमुख समस्या के रूप में सामने आ रहा है।

भारत भी उन देशों में शामिल है जिसे आने वाले वर्षों में पानी की कमी से जूझना पड़ सकता है। रिपोर्टों के मुताबिक, चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका की तुलना में भारत अधिक भूजल का उपयोग कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र संगठन पानी की कमी के इस मुद्दे को उजागर करने के लिए प्रत्येक वर्ष 22 मार्च को 'विश्व जल दिवस' मनाता है और इसके हम अगर इतिहास को देखें तो 1992 में रियो डी जिनेरियो में पर्यावरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन हुआ। 

उसी वर्ष,संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव अपनाया, जिसके द्वारा प्रत्येक वर्ष के 22 मार्च को विश्व जल दिवस घोषित किया गया, इसे 1993 में शुरू किया गया।इसके बाद इसे अन्य समारोहों और आयोजनों से जोड़ा दिया गया। इसके तहत जल क्षेत्र में सहयोग का अंतरराष्ट्रीय वर्ष 2013, और सतत विकास के लिए पानी पर कार्रवाई के लिए वर्तमान अंतरराष्ट्रीय दशक 2018-2028 शामिल है। ये इस बात की पुष्टि करते हैं कि पानी और स्वच्छता के उपाय गरीबी में कमी, आर्थिक विकास और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए अहम हैं। 

पानी के संरक्षण के तरीके-पानी अनमोल और यह महत्वपूर्ण संसाधनों में से एक है और इसका उपयोग हममें से प्रत्येक की जिम्मेदारी है कि हम इसका विवेकपूर्ण इस्तेमाल करें, नहाते समय शॉवर की बजाय बाल्टी का उपयोग करें,वर्षा जल को संग्रहित करें, शुद्ध करें और उसका उपयोग करें, ब्रश करते समय, शेविंग करते समय नल को चालू न रखें, नल चलाने के बजाय एक कटोरी पानी में सब्जियों को धोएं, 

पानी की खपत को कम करने के लिए अपनी वाशिंग मशीन में हिसाब के मुताबिक पानी भरें अतः दूरदर्शिता और हमारे अपने, अगली पीढ़ी के लिए हर नागरिक को इसका ध्यान रखते हुए पानी के बचाव से के महत्व को समझना होगा यह हमने केवल 22 मार्च 2021 विश्व जल दिवस 2021 को एक दिन नहीं परंतु हर दिन पानी की बचत और जल संचयन अभियान की तरह पूरे वर्ष भर देखना है और एक दूसरे को जल बचाने और संचयन के लिए प्रोत्साहित करना है।

लेखक - कर विशेषज्ञ
- एड किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया महाराष्ट्र

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