Loading...

हमारी भाषाएं और साहित्य कोविड़ - 19 से प्रभावित : प्राचार्य डॉ शहाबुद्दीन शेख़




नागपुर/पुणे। समाज का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं बचा है, जो कोविड - 19 की चपेट में न आया हो। परिणामत: हमारी भाषाएं और साहित्य भी निस्संदेह कोविड - 19 से प्रभावित है। इस प्रकार के विचार नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली के कार्याध्यक्ष प्राचार्य डॉ शहाबुद्दीन नियाज़ मुहम्मद शेख़, पुणे ने व्यक्त किए। शासकीय माता कर्मा कन्या महाविद्यालय, महासमुंद (छत्तीसगढ़) द्वारा 'भाषा व साहित्य पर कोविड़ - 19  का प्रभाव' विषय पर आयोजित राष्ट्रीय वेब गोष्ठी में प्रमुख वक्ता के रूप वे अपना उद्बोधन दे रहे थे।

महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ रमेश कुमार देवांगन ने गोष्ठी की अध्यक्षता की। डॉ शहाबुद्दीन शेख़ ने आगे कहा कि कोविड - 19 के साथ आई अंग्रेजी शब्दावली ने हमारे मध्य अपनी पैठ बनाई है। हिंदी सहित सभी भारतीय भाषाएं डिजिटल कृत हो चुकी है। वैश्विक महामारी ने कई नए शब्द निर्माण किए और पुराने शब्दों के अर्थ बदल डाले है। कोवीड - 19 महामारी से हमारा साहित्यिक क्षेत्र भी प्रभावित हुआ है। 

डॉक्टर अनुसुइया अग्रवाल प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष हिंदी शासकीय महाप्रभु वल्लभाचार्य  स्नातकोत्तर  महा विद्यालय महासमुंद (छत्तीसगढ़) ने कहा कि इस कोरोना काल में स्थिति बहुत ही भयावह हो गई थी। उस समय साहित्यकार ने अपनी कलम से दुनिया को फिर से जोड़े  रखने और खड़े रखने का कार्य किया है। 

इस समय भी गद्य और पद्य पर लेखनी बहुतायत में हो रही है । कलम के माध्यम से नैतिक और मानसिक क्षेत्र में लेखन कार्य हो रहा है। कोई गद्य लिख रहा है, तो कोई पद्य लिख रहा है। दोनों में लेखनी बहुतायत में हो रही है। वर्तमान में कविताएं सोशल मीडिया फेसबुक में भी लोग भेज रहे हैं जिस से श्रोता आपस में जुड़ रहे हैं। 'कलम के संग कोरोना से जंग' जैसे साहित्य सृजन किया जा रहा है। 

डॉक्टर राजेंद्र शाह, विश्वविद्यालय प्राचार्य एवं अध्यक्ष हिंदी विभाग ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय कामेश्वर नगर  दरभंगा, (बिहार )ने अपने वक्तव्य में कहा कोरोना की त्रासदी ने लोगों को घर के भीतर रोक दिया कोरोना अभिशाप के रूप में आया तो वरदान के रूप में भी साबित हुआ है ,क्योंकि इतना शांत एकांत समय साहित्यकारों को और कभी नहीं मिला क्योंकि लेखन सृजन ऐसे ही वातावरण में होता है।

राष्ट्रीय गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ रमेश कुमार देवांगन ने उद्बोधन में कहा कि कोरोना काल में भी साहित्यकारों ने अपने लेखन के माध्यम से सामाजिक वास्तविकता को परिलक्षित किया है। ऐसे समय में भी साहित्यकार सतत लेखन कार्य करते रहे हैं ,उनकी सराहना की। 

गोष्ठी की समन्वयक तथा  हिंदी विभागाध्यक्ष डॉक्टर सरस्वती वर्मा ने गोष्ठी का सफल संचालन करते हुए अतिथि परिचय प्रस्तुत किया। गोष्ठी की संयोजक डॉ स्वेतलाना नागल ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया। 

इस गोष्ठी में डॉक्टर गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी, प्रयागराज,डॉ. मुक्ता कौशिक रायपुर छत्तीसगढ़ डॉ रश्मि दुबे गाजियाबाद, डॉ शशिकांत सावंत अमलनेर महाराष्ट्र तथा श्रीमती पूर्णिमा कौशिक रायपुर सहित लगभग 100 से अधिक प्रतिभागियों ने अपनी सहभागिता दर्शाई। 

इस गोष्ठी की सफलता में आयोजन समिति के सदस्य डॉक्टर शीलभद्र कुमार ,अजय कुमार श्रीवास, श्री फलेश दीवान की सहभागिता रही।
साहित्य 2448793627599537723
मुख्यपृष्ठ item

ADS

Popular Posts

Random Posts

3/random/post-list

Flickr Photo

3/Sports/post-list