नवग्रह शांति विधान प्रभावना के साथ समापन
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नागपुर। प्रज्ञायोगी दिगंबर जैनाचार्य गुप्तिनंदी जी गुरुदेव ससंघ के सानिध्य में चल रहे श्री नवग्रह शांति विधान के अंतिम दिन संपूर्ण विश्व और प्राणी मात्र की शांति, विश्व से कोरोना महामारी के मुक्ति के लिए विश्व शांति महायज्ञ किया गया जिसमें सुबह श्री जिनेन्द्र भगवान के पंचामृताभिषेक के पश्चात चौसठ ऋद्धि लघु गणधर वलय विधान, यज्ञ में मंत्रोच्चार के साथ आहुतियां दी गई व शांति की कामना की गई.
इस यज्ञ में सौधर्म इंद्र रवींद्र, सुरेन्द्र, नीलेश, पंकज, पीयूष खड़कपुरकर, श्रीमती मिलन, अमित, सुनिधि, गुणी, तन्वी, दिशी, राजश्री जैन, नितिन, वैशाली, आनंद, अर्चना, संतोष, अर्चना, अंकुर, रांची, यश, श्रद्धा नखाते परिवार, विजय, प्रमोदिनी, सन्मति, चेरी, नमन, मयूर, सुरभि जैन, दिलीप, नीता घेवारे, अविनाश, संगीता, स्मृति जैन, वैशाली, सुभाष, सायली, सानिया, साहिल खोत, बालिकदेवी, शांतिलाल, सुरेखा, प्रशांत, ऐश्वर्या, सौंदर्या, नित्यम साहूजी परिवार, वसंतमाला, विनोद, पुष्पदंत, स्वतिश्री, अभिनंदन, प्रियंका, पराग, नव्या साहूजी परिवार, संगीता, भरत, सुमित, पायल, अध्याय साहूजी, जैन ग्रुप औरंगाबाद, राजश्री शशांक, दीपिका, रोहन, तेजल, अनिरूद्ध जिंतुरकर परिवार, शशि, अनिल, सुनीता, प्रतीक, नेहा, रोहित प्रिंसी छाबड़ा और घर बैठे हजारों इंद्र - इंद्राणियों ने हर्ष और उत्साह के साथ पूर्णाहुति दी.
गुरुदेव ने उदबोधन में कहा विधान में बैठनेवाले सभी इंद्र - इंद्राणी गण का धन धान्य और ऐश्वर्य वृद्धि हो यह विधान आपने बहुत उत्साह के साथ किया है. उत्साह के साथ कि गई जिन भक्ति जीवन के सर्वोच्च शिखर पर पहुँचाने वाली हैं.
इस विधान से आपके रोग, शोक, संकट और नवग्रह की सभी बाधाएँ निश्चित रुप से दूर होगी. जो वर्ष में एक बार यह विधान करेगा उसे फिर कही मिथ्यात्व में भटकना नहीं पड़ेगा.
विधान के अवसर पर हुई गलतियों के लिए सभी पूजनार्थी, इंद्र - इंद्राणीयों ने गुरुदेव के समक्ष क्षमायाचना कर प्रायचिश्त ग्रहण किया. श्री धर्मतीर्थ विकास समिति के प्रवक्ता नितिन नखाते ने सभी का आभार माना.