नेत्रहीन गायकों ने दिखाई प्रतिभा की झलक
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अखियों के झरोकों से....
नागपुर। संपूर्ण जीवन अंधकारमय रहने के बावजूद, नेत्रहीन कलाकारों ने अपनी प्रतिभा से उनके जीवन में प्रकाश लाया है, ऐसे ही कुछ कलाकारो ने अपनी प्रतिभा की एक झलक पेश की।
देश के महान नेत्रहिन संगीतकार, गायक और संगीत निदेशक पद्मश्री डॉ. रवींद्र जैन की पांचवी वर्षगांठ के उपलक्ष में हार्मोनी इवेंट्स और मिलान ग्रुप, एनएमसी, नागपुर ने संयुक्त रूप से शुक्रवार को नेत्रहिन गायकों के टॅलेंट शो का आयोजन किया था।
चेतन सेवांकूर ग्रुप द्वारा यह 'नजर आती नहीं मंजिल...' संगीत कार्यक्रम फेसबुक लाइव के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। दशरथ जोगदंड और सह - कलाकारों ने गणेश वंदना, तुच सुखकर्ता की प्रस्तुति देकर कार्यक्रम की शुरुआत की।
बहुत लोकप्रिय श्रृंखला रामायण के लिए रवींद्र जैन द्वारा रचित शीर्षक गीत मंगल भवन को अमंगल दशरथ द्वारा प्रस्तुत किया गया और पुरानी यादों को ताजा किया। विकास गडेकर ने अपने सह - कलाकारों के साथ गीत गाता चल हो साथी यह गीत प्रस्तुत किया,
जबकि अश्विनी पवार ने अखियों कि झरोखों से इस गीत का प्रदर्शन किया। विजय खडसे के 'आई तुझ्या मूर्तीवाणी' प्रस्तुती के बाद उन्होने अपनी मिमिक्री से दर्शकों का मनोरंजन किया।
कोमल खांडेकर और दशरथ ने प्रितीचे झुळू झुळू पाणी इस मराठी गीत की प्रस्तुति दी। विकास ने डॉयलॉग व मिडले सॉंग प्रस्तुत किया। विजय खड़से ने राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन किया।
गायकों को की बोर्ड पर चेतन उचितकर, तबलेपर पर कैलाश पानबुडे, ढोलक पर विकास खडसे और ऑक्टोपॅड पर अमोल जोगदंड ने साथ दि।
इस बहुत ही सुंदर कार्यक्रम का निदेशन राजेश समर्थ द्वारा किया गया और श्वेता शेलगांवकर और हरीश खेडकर द्वारा उसका शानदार संचालन किया गया।
कार्यक्रम की सफलता के लिए मनोज पिदडी, हर्षल पराते और सुनील बोम्बाले ने भी योगदान दिया। कार्यक्रम मे माजी क्रीडा सभापती (नामप) नागेश सहारे, सुनील गजभिये, शिव राज इनकी उपस्थिति थी।