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हिंदी हीरा है

हिंदी हीरा है
अनेक हिंदुस्तानियों, लेखकों, कवियों,
साहित्यकारों, बुद्धीजीवियों,
हिंदी प्रमियों ने
खूब तराशा, चमकाया है जिसे
हीरा यह सबके लिए
है एक जैसा कीमती
चाहे कोई हो मुस्लिम, पारसी
ईसाई, सिंधी, गुजराती  या मराठी
बंगाली, पंजाबी, मलयाली
तेलगू, तमिल या ऊडि़या वासी
पर कैसी है विडंबना
हीरे को छोड़ हम
कंकड़, पत्थर चुनने में लगे हैं
हीरे को कौडि़यों के दाम
तौलने में लगे हैं
पर हीरा तो हीरा है
अपनी चमक अवश्य दिखाएगा
एक दिन भारत माता के
मुकुट की शोभा बढा़एगा

- प्रभा मेहता
  नागपुर (महाराष्ट्र)
काव्य 1086013809373711457
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