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हर - हर हिन्दी घर - घर हिन्दी

- डॉ सतीश कुमार शास्त्री 
अंतरराष्ट्रीय हिन्दी प्रचारक, हरिद्वार, उत्तराखण्ड

हिन्दी की सेवा में दुनियां भर से समर्पित हिन्दी प्रेमियों ने जगायी अलख। दो सप्ताह तक चले भव्य आयोजन। हिन्दी की विभिन्न विद्याओं में हुई अदभुत प्रस्तुतियां। यह अपने ढंग का अनोखा नवाचार रहा। 

जिसकी शुरुआत सितम्बर 1 को भारत और फीजी के साझे विचार - विमर्श से हुई और समापन 15 सितम्बर, 2020 को भारत - फीजी की उन्हीं साझेदारियों की प्रतिबद्धता के साथ हुआ कि 21वीं सदी में हिन्दी हम सबके साझे प्रयासों से ही परवान चढ़ेगी। जिसके लिए हम एक साथ है। 

हिन्दी विश्व में सम्मान पायेगी तो भारत, भारतीयता और भारतीय संस्कृति विश्व कल्याण में अपना सार्थक योगदान कर पायेगें। इसलिए हिन्दी सिर्फ भारत की मातृ - भाषा नहीं है बल्कि मानवता के संवाद की संस्कृति का संबल है। 

प्रथम दिवस की अध्यक्षता अवधूत मंडल आश्रम के महाराज स्वामी रुपेन्द्र प्रकाश जी ने की। फिजी सुवा से जुड़ी भारतीय उच्चायुक्त श्रीमति पदमजा जी ने फिजी में हिन्दी की विकास यात्रा पर विस्तार से व्याख्यान किया। 

वहीं भारत के दक्षिणी हिस्से में हिन्दी की बढ़ती हैसियत पर डॉ वासुदेवन शेष ने विशेष चर्चा की। भारत के मध्य क्षेत्र खण्डवा से जाने - माने हिन्दी सेवक डॉ. श्रीराम परिहार ने हिन्दी और मानस पर विस्तार से चर्चा की। राजस्थान के युवा आइकन डॉ. कुलदीप महुआ ने हिन्दी पट्टी के भाषायी चरित्र पर बात कर हिन्दी के गौरव को बढ़ाया। 

वर्चुअल पखवाड़े के दूसरे दिन को बाल कवि सम्मेलन रखा गया। भारत के मानसी चौधरी ने नेशनल कन्या इन्टर कालेज खानपुर, हरिद्वार का नाम विश्व पटल पर अंकित किया। 

उत्तराखण्ड के ही विशाल सालार ने हिन्दी का गौरव बढ़ाया। भारत के दक्षिणी प्रान्त अहिन्दी क्षेत्र, चेन्नई, तमिलनाडू से बाल कवि प्रणत धींग ने अपनी प्रस्तुतियों से सबका मन मोहया। 

फीजी के बाल कलाकारों में मानशिका, आशितोष, दर्शनी दर्शिका चन्द्र और आरुष अहलावत में हिन्दी के प्रति अपने समर्पण को अपनी दिव्य प्रस्तुतियां दी। संचालन फीजी के जाने - माने कवि अमित अहलावत जी ने किया। 

अंतर्राष्ट्रीय वर्चुअल पखवाडे का तीसरा दिन हिन्दी पर गंभीर विचार विमर्श 'हिन्दी के विकास में प्रवासी भारतीयों का योगदान' के साथ सम्पन्न हुआ। इस गंभीर विचार विमर्श में फीजी से जुड़े श्री विरेन्द्र लाल जी ने हिन्दी की सेवा में फीजी में बसे प्रवासी भारतीयों के योगदान पर विस्तार से चर्चा की। 

न्यूजीलैंड की डॉ. सुनीता नारायण ने हिन्दी के संरक्षण और संवर्द्धन पर विशेष व्याख्यान दिया। वहीं आस्टूलिया में प्रवासी भारतीयों का हिन्दी के प्रचार - प्रसार में अवदान पर डॉ. रेखा राजवंशी का व्याख्यान रहा। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे केन्द्रीय हिन्दी संस्थान के अध्यक्ष डॉ. अनिल जोशी जी ने प्रवासी भारतीयों के हिन्दी के संरक्षण और प्रचार-प्रसार में किए संघर्ष को बताया। कार्यक्रम का संचालन भारत के उभरते युवा समाजशात्री डॉ. राकेश राणा ने किया। 

अंतर्राष्ट्रीय वर्चुअल पखवाडे का चौथा दिन भी हिन्दी पर गंभीर विचार विमर्श "हिन्दी के विकास में जनमानस का योगदान" के साथ सम्पन्न हुआ। 

भारत के विभिन्न हिन्दी प्रांतों राजस्थान, हरियाणा, बिहार और देश की राजधानी नई दिल्ली से सत्र की अध्यक्षता कर रहे डॉ. हरिश नवल ने हिन्दी के विकास में आम जन के योगदान पर महत्वपूर्ण विचार-विमर्श किया। 

हिन्दी सेवियों में मुख्य रुप से डॉ. रुप सिंह, डॉ. अशोक कुमार, डॉ. प्रशान्त कुमार और डॉ. विरेन्द्र सिंह चौहान सहित फीजी में हिन्दी की समन्वयक साउथ पैसिफिक विश्वविद्यालय की डॉ. इन्दु चन्द्रा रही। 

हिन्दी वर्चुअल पखवाड़े के पांचवे दिन का मंथन 'हिन्दी के विकास में सिनेमा के योगदान' पर रहा। जिसकी अध्यक्ष्ता श्री एस. आर. सिंघानिया जी द्वारा की गयी। 

इस मंथन में संजीव निगम, राजेश श्रीवास्तव, श्रीकृष्ण खदारिया, धीरज कुमार ओर संजीव चतुर्वेदी रहे। सभी ने सिनेमा में हिन्दी के योगदान पर विस्तार से विचार - विमर्श किया। 

अंतर्राष्ट्रीय वर्चुअल पखवाड़ें के छठवें दिन हिन्दी को समर्पित शिक्षकों का 'अंतर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन' रहा। जिसमें मुख्य रुप से सिंगापुर की पसिद्ध कवियत्री शार्दुला नोगजा, फिजी से प्रियंका देवी चंद और आशिका देवी चंद तथा रंजनी सविता राज रही। 

भारत की प्रमुख हस्तियों में डॉ. प्रकाश पंत, उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार एवं डॉ. नीरज नैथानी, राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय विजौली रहे। 

हिन्दी पखवाड़े सातवें दिन में 'विश्व में हिन्दी शिक्षा' पर विशेष सत्र रखा गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता फीजी के शिक्षा मंत्रालय में सीनियर एजुकेशन ऑफीसर श्री रमेश चन्द्र जी द्वारा की गई। इस विचार मंथन में फीजी शिक्षा मंत्रालय से जुड़ी श्रीमति मनीषा रामलक्खा रही। 

वहीं भारत के हिन्दी सेवियों में डॉ. आनन्द भारद्वाज, शिक्षा अधिकारी हरिद्वार और श्री सुनील भुटानी, राजभाषा अधिकारी, भारत सरकार तथा श्री पी. एन. सिंह, उननिदेशक, बेसिक शिक्षा, उ. प्र. रहे। 

अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी वर्चुअल पखवाड़े के आठवें दिन का कार्यक्रम 'अंतर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन' के रुप में सम्पन्न हुआ। जिसकी अध्यक्षता महामंडलेश्वर ब्रहमनिष्ठ कैलाशानन्द जी महाराज द्वारा की गई। 
विश्व भर से ख्यातिलब्ध कवि जुड़े। बेल्जियम से डॉ. कपिल कुमार और जर्मनी से श्रीमति योजना साह जैन तथा जापान से डॉ. रमा शर्मा ने काव्य पाठ किया। 

वहीं भारत के जाने - माने कवियों में श्री पंकज गर्ग उत्तराखण्ड और डॉ. अरविन्द नारायण मिश्र उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार से सहभागिता करने वालों में रहे। 

हिन्दी पखवाड़ें का नौवां दिन 'हिन्दी के विकास में आर्य समाज के योगदान' को जानने के लिए समर्पित रहा। जिसमें दुनियां भर के आर्य समाजी विद्वान जुड़ें। 

इस सत्र का आयोजन डॉ. यतीन्द्र कटारिया जी द्वारा किया गया। इस महत्पूर्ण परिचर्चा में अमेरिका से प्रसिद्ध आर्य समाजी डॉ सतीश प्रकाश जी जुडें जिन्होनें अमेरिका में हिन्दी प्रचार के गुरुकुल स्थापित किए। 

वहीं फीजी में आर्य समाजी विद्वान डॉ. भुवनदत्त की सक्रिय सहभगिता रही। भारत में आर्यसमाज का केन्द्र रहे गुरुकुल कांगडी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रुपकिशोर शास्त्री जी, महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय रोहतक से प्रो. सुरेन्द्र कुमार रहे। 

वहीं भारत के प्रतिष्ठित आर्य विद्वान डॉ. हरिगोपाल शास्त्री ओर डॉ. विनय विद्यालंकार तथा डॉ. स्नेह सुधा नवल रहे। 

अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी वर्चुअल पखवाड़े का दसवां दिन विश्व के लोक गीतों का समर्पित रहा। फीजी के लोक गीतों में फिजी - हिन्दी के माध्यम से सबका मन मोह लिया। 

लोक गीतो के इन कार्यक्रमों में फिजी से श्री शैलेन्द्र सिंह की प्रतियां सराहनीय रही। आस्ट्रेलिया की लोक गीतकार श्रीमति अर्चना श्रीवास्तव के लोकगीत अदभुत रहे। 

मुम्बई में जानीमानी कलाकार श्रीमति चन्द्रकला सिंह की प्रस्तुतिया दिव्य रही। दक्षिण भारत के लोक गीतों की प्रस्तुती पी दिव्या द्वारा की गई। भारत की जानी - मानी लोक कलाकार श्रीमति अर्चना सुहासिनी के लोक गीतों में शमां बांध दिया।  

हिन्दी पखवाड़े के ग्याहरवें दिन में 'हिन्दी के विकास में रेडियों की भूमिका' पर विशद चर्चा की। फिजी रेडियो से जुड़ा जाना - माना नाम श्रीमति नूरजहां ने विस्तृत व्याख्यान फिजी में हिन्दी विकास में रेडियों की भूमिका पर रहा। 

वहीं भारत में कई प्रतिष्ठित विद्वानों ने इस विषय पर विस्तार से अपनी बात रखीं जिनमें मुख्य रुप से कम्युनिटी रेडियों फेडरेशन, नई दिल्ली के निदेशक डॉ. डी. पी. सिंह रहे। 

वहीं आकाशवाणी के पूर्व अपर महानिदेशक राजीव कुमार शुक्ल, सी. सी. आर. टी. दिल्ली के पूर्व निदेशक गिरीश चन्द्र जोशी एवं समाचार याचिका नई दिल्ली से जुड़ी ममता किरण ने विस्तार से रेडियों की महती भूमिका पर विचार - विमर्श किया। 

हिन्दी वर्चुअल पखवाडा अपने 12 वें दिन में "हिन्दी और मानस" पर विचार विमर्श कर मनाया गया। नार्वे से स्पाइल - दर्पण के संपादक सुरेश चन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने मानस पर चर्चा की। 
फीजी के प्रतिष्ठित मानस मर्मज्ञ पं. विष्णु दत्त शास्त्री ने मानस के हिन्दी विकास में योगदान पर अपना व्याख्यान दिया। फीजी के प्रो. सुरेश चन्द्र पाण्डेय ने मानस पर विशद् चर्चा की। 

वहीं भारतीय विद्वानों में डॉ. नागेन्द्र शर्मा उत्तराखण्ड से और डॉ. राजेश श्रीवास्तव भोपाल से तथा डॉ. राहुल कुमार नई दिल्ली से चर्चा में शामिल रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता भारत के जाने - माने विद्वान डॉ. आशीष कांधवे जी द्वारा की गई। 

वर्चुअल हिन्दी पखवाड़े का तेहरवां दिवस 'भजन - गायन' के साथ सम्पन्न हुआ। जिसमें फिजी के प्रसिद्ध भजन गायक रवि सिंह ने सबका मन मोह लिया। 

आस्ट्रेलियां से प्रसिद्ध भजन गायक ललित मेहरा ने अदभुत प्रस्तुतियां दी। भारत के उत्तर - प्रदेश, कर्नाटक और हरियाणा से भजन गायकों ने सबका मन मोह लिया। 

जिनमें हरियाणा से अनारकली, उ. प्र. से बीना देवी, कर्नाटक से ज्योत्स्ना और राधिका की प्रस्तुतियां विशेष रही। 

अंतर्राष्ट्रीय वर्चुअल हिन्दी पखवाड़े का 14 वां दिन अत्यंत महत्पूर्ण आयोजन 'हिन्दी दिवस के रुप में मनाया गया। जिसमें देश - विदेश से हिन्दी के जाने - माने नामचीन विद्वान जुड़े। 

भारत के वरिष्ट साहित्यकार श्री राजकुमार अवस्थी जी ने हिन्दी की स्थिति पर अपना अध्यक्षीय उद्बोधन दिया। पोलैंड से जुडे डॉ. सुधांशु शुक्ला ने विदेशों में हिन्दी पर विस्तार से बातचीत रखी। 

फीजी के सुवा में जनजातीय समुदाय के महान विद्वान नेमानी बेनिवालु ने विदेश में हिन्दी की दुर्दशा पर चिंता जतायी। न्यूजीलैंड से प्रकाशित प्रतिष्ठित पत्रिका 'भारत - दर्शन' के सम्पादक रोहित कुमार 'हैप्पी' ने विदेश में हिन्दी के प्रचार - प्रसार में हिन्दी पत्र - पत्रिकाओं के महत्व पर प्रकाश डाला। 

केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय, भारत की सहायक निदेशका डा. नूतन पाण्डेय ने हिन्दी की विकास के लिए संगठित प्रयासों की जरुरत बतायी। उत्तराखण्ड से चर्चा में सहभागिता कर रहे डॉ. अनिल कुमार त्रिपाठी ने हिन्दी के विकास और संरक्षण को विश्व कल्याण के लिए जरुरी बताया। 
अंतर्राष्ट्रीय वर्चुअल पखवाडा अपने सफल समापन की दिशा में 15 वें दिन 'समापन दिवस' के रुप में मनाया गया। जिसकी अध्यक्षता उत्तराखण्ड हरिद्वार के महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद जी महाराज द्वारा की गयी। 

जिसमें भारत, फीजी और मॉरीशस के हिन्दी सेवी जुड़े। फीजी के स्वामी विवेकानन्द सांस्कृतिक केन्द्र के निदेशक श्री संतोष कुमार मिश्र ने हिन्दी की बढ़ती ताकत का अहसास अपने व्यवख्यान में कराया। 

मॉरीशस से जुडी हिन्दी की प्रतिष्ठित विद्वान डॉ. सुरीति हरनाम ने प्रवासी भारतीयों के लिए हिन्दी की महत्ता को बताया। वहीं भारतीय विद्वानों में डॉ. दीपक पाण्डेय, सहायक निदेशक, केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के डॉ. कामराज सिंधु एवं मदरहुड विश्वविद्यालय रुड़की के डीन डॉ. वी. के. शर्मा तथा प्राचीन श्री अवधूत मंडल आश्रम से जुड़े डॉ. विपुल विद्यावाचस्पति ने हिन्दी के महत्व पर विचार रखे। 
अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी पखवाडें के सभी कार्यक्रम विश्व प्रसिद्ध हिन्दी प्रचारक डॉ. सतीश शास्त्री द्वारा सफल ढंग से संचालित किए गए। देश - विदेश के प्रतिष्ठित विद्वानों से गत छ: महीनों से वर्चुअल हिन्दी पखवाडें की योजना पर श्री शास्त्री जी सक्रिय रुप से काम कर रहे थे। 

उनका जीवन संकल्प "हर - हर हिन्दी घर - घर हिन्दी" राष्ट्र का संकल्प बने और विश्व में हिन्दी की प्रष्तिठा स्थापित हो। इसी जीवन मिशन के कम में यह पन्द्रह दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वर्चुअल हिन्दी पखवाड़ा सतीश शास्त्री जी के अभिन्न प्रयासों से सफलतम् ढंग से समपन्न हो सका। 

इस हिन्दी वर्चुअल पखवाड़े का आयोजन भारतीय संस्कृति सेवार्थ न्यास, हरिद्वार और कम्युनिटी रेडियों फेडरेशन, नई दिल्ली की साझी पहल से संभव हो सका। जो 1 से 15 सितम्बर, 2020 तक हिन्दी विमर्श के विविध स्वरुपों संग भारत व फिजी के समर्पित हिन्दी प्रेमियों के साझे समर्पण से अपनी पूर्णता में सम्पन्न हुआ।  

लेखक पिछले कई वर्षों से हिन्दी के प्रचार - प्रसार में संलग्न है!


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