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भटकती राहें...

- प्रभा मेहता, नागपुर, महाराष्ट्र

मम्मा... ओ मम्मा। ..वो है ना.. वो वरुण भैया उन्हें है ना अभी पुलिस पकड़ कर ले गई। 
चुप कर। क्या बोलता जा रहा है ,कुछ पता भी है तुझे ? ऐसी बातें नहीं किया करते। चल अब फ्रेश हो जा और अपना होम वर्क कर तो जरा।

पर मम्मा सुनो तो .. मैं झूठ नहीं बोल रहा। आप चाहो तो रवि भैया से भी  पूछ लो। पुलिस जब उन्हें पकड़ कर ले जा रही थी न, ववो वैन में बैठाकर, तब हम सब वहीं खेल रहे थे।

अच्छा पूछ लूंगी शाम को, कहकर मम्मा ने सोनू को चुप तो करवा दिया, पर उसका मस्तिष्क बोलने लगा। प्रश्नों की झडी़ लग गई। ऐसा कैसे हो सकता है ? वरुण तो अच्छे घर का लड़का है।
घर में सभी पढे़ लिखे है, तो फिर ऐसा क्योंकर हुआ होगा ? 

कहीं वह बुरी संगत में तो नहीं पड़ गया ? ऐसे कई सवाल उसे परेशान करने लगे।
 उसके मन में उठते प्रश्न व सोनू की सब बातें सही निकली जब संध्या समय रवि ने आकर बताया कि वास्तव में वरुण कुछ गलत लड़कों की संगत में पड़ गया है। 

कुछ चार पांच लड़कों की गेंग है जो कभी किसी घर से पैसों पर हाथ साफ करते हैं, तो कभी कोई कीमती वस्तु पर। यही ट्रिक भीड़भाड़ भरी दुकानों पर भी करते है, तो कभी पार्किंग में खडी़ गाड़ियों पर। और अब तो हद पार कर दी। 

अपने घर से ही गहने, पैसे चुरा कर ले गया।
रवि की बातें सुन शालिनी बेचैन हो गई। विचलित। विश्वास नहीं हो रहा था उसे। पर क्यों ? क्यों करते हें वे सब ऐसा ?
अत्यंत चिंतित होकर उसने पूछा।

आंटी हैं तो अभी ये सब बस तेरह, चौदह वर्ष के  पर इन्हे बडी़ बुरी लतें लग गई हैं, इन्हें अभी से मंहगे मोबाईल, बाईक, पार्टी, घूमने फिरने के शौक लग गये हैं  यहां तक कि....
 
और क्या ? आंटी अब बात काफी बिगड़ चुकी है और इन सबके लिए ही ये सब करते हैं। 
तो क्या इतना सब हो गया और घर में किसी को पता तक नहीं ? 

पता चला पर अब पानी सिर के उपर से जा रहा था। कल अचानक पुलिस ने इन्हें एक दुकान से  कुछ वस्तुएं चुराते हुए पकडा़। खूब पिटाई की, डराया धमकाया। तो सब कबूल किया।

रवि की बाते बडी़ भयानक, डरावनी थी। कहां जा रही है यह नई पीढी़ ? वह अत्यंत  चिंतित, व्यथित थी। सोच में पड़ गई।

ज्ञान के मंदिरों को छोड़ मोज मस्ती की भटकती, कटीली राहें कहां ले जाएगी इस नई पीढी़ को ?


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