नवग्रह शांति विधान से तीर्थंकरों की अर्चना
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प्रज्ञायोगी दिगंबर जैनाचार्य गुप्तिनंदी गुरुदेव
नागपुर। नवग्रह शांति विधान से तीर्थंकरों की अर्चना होती है तथा ग्रहों की शांति हेतु एक - एक तीर्थंकर की पूजा होती है यह उदबोधन प्रज्ञायोगी दिगंबर जैनाचार्य गुप्तिनंदी जी गुरुदेव ने धर्मतीर्थ पर ऑनलाइन श्री नवग्रह शांति विधान में दिया.
गुरुदेव ने कहा जैन आगम में नवग्रहों की शांति हेतु नवग्रह शांति स्तोत्र पाठ, पूजन विधान आदि करने की परंपरा रही इस युग के अंतिम श्रुत केवली मुनिराज भद्रबाहु के द्वारा रचित नवग्रह शांति स्तोत्र में नौ ग्रहों की शांति हेतु 24 तीर्थंकरों का क्रम बताया है.
सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु इन ग्रहों के अधिपति देवता पूर्व जन्म के वैर या मित्रतावश या इस जन्म में मात्र क्रीड़ा आदि के निमित्त लोगों को सुख, दुख पहुचाते है.
उच्च स्थान वाले ग्रह प्राणियों को उच्च पद, यश, धन, आरोग्यता की प्राप्ति कराते है एवं निम्नस्थान में पड़े ग्रह अप यश, आर्थिक हानि, शारीरिक, मानसिक व्याधियां उत्पन्न करते है.
इसलिए संसारी मानव इनके शांति का उपाय करते है. नितिन नखाते ने बताया सोमवार को चंद्रग्रह अरिष्ठ निवारक श्री चंद्रप्रभु विधान होगा.
इसके पूर्व रविवार की सुबह राहु ग्रह अरिष्ट निवारक श्री नेमीनाथ भगवान का पूजन, संगीतमय पंचामृतभिषेक, महाशांति मंत्र सौधर्म इंद्र रवींद्र, सुरेन्द्र, नीलेश, पंकज, पीयूष, खड़कपुरकर, श्रीमती मिलन,अमित, सुनिधि, गुणी, तन्वी, दिशी, राजश्री, जैन, नितिन, वैशाली, आनंद, अर्चना, संतोष, अर्चना, अंकुर, रांची, यश, श्रद्धा नखाते, विजय, प्रमोदिनी, सन्मति, चेरी, नमन, मयूर, सुरभी जैन, दिलीप, नीता घेवारे, अविनाश, संगीता, स्मृति जैन, वैशाली, सुभाष, सायली, सानिया, साहिल खोत, बालिकदेवी, शांतिलाल, सुरेखा, प्रशांत, ऐश्वर्या, सौंदर्या, नित्यम साहू, वसंतमाला, विनोद, पुष्पदंत, स्वतिश्री, अभिनंदन, प्रियंका, पराग, नव्या साहू, संगीता, भरत, सुमित, पायल, अध्याय साहू, जैन ग्रुप औरंगाबाद, राजश्री, शशांक, दीपिका, रोहन, तेजल, अनिरुद्ध जिंतुरकर, शशि, अनिल, सुनीता, प्रतीक, नेहा, रोहित, प्रिंसी छाबड़ा, श्रीमती मंजू, सूरजमल जैन परिवार, प्रतिभा एवं नरेश पाटनी, ललेश साहू ने किया.