रामटेक कालिदास स्मारक फिर जगमगाया
https://www.zeromilepress.com/2020/10/blog-post_36.html
नानाभाऊ की पहल व इच्छाशक्ति से हुआ साकार
रामटेक। महाकवि कालिदास की स्मृति में कभी अपनी अनोखी पहचान बने गढमंदिर स्थित कालिदास स्मारक की हालत दिन ब दिन बद से बदतर हो गई थी।
शासन, प्रशासन, नगरपरिषद रामटेक, पर्यटन विभाग से इसके सुधार को लेकर सारी उम्मीदे टूट चूंकी थी। सामान्य नगरवासी, पर्यटकों के कोसने के सिवाय अन्य कोई इलाज नहीं था।
ऐसे में यहां रोज योग, कसरत करने आनेवाले तथा किट्स अभियांत्रिकी महाविद्यालय, रामटेक में सामान्य पद पर कार्यरत नाना नागपुरे ने अपनी श्रम और इच्छा शक्ति के भरोसे गंदगी से पटे, अंधेरे में डुबे इस परिसर को फिर से साफ कर पुराने वृक्ष, पौधे की आकर्षक छंटनी कर तथा नए आकर्षक पौधे लगाए।
तथा स्वयं का पैसा और जनवर्गणी से रंगबिरंगी लाईट्स लगाकर जगमगा दिया हैं। अब यहां आनेवाले प्रत्येक पर्यटक, नगरवासी के मुंह से निकल रहा है, वाह बहुत खुब।
गडमंदिर पर स्थित महाकवी कालिदास स्मारक परिसर में निर्मित ओम नामक उद्यान में ओम की प्रतिकृति, हराभरा लॉन, आकर्षक रंगबिरंगे दिए, डिजे के संगीत पर संचालित म्युजिकल फांऊटेन हुआ करता था।
गजब के साऊंड सिस्टम पर म्युजिकल फाऊंटेन का नजारा विलोभनीय था। लेकिन एक दो वर्षों में परिसर बगैर मेंटनंन्स के विरान हो गया था। यह देखकर कुछ प्रकृति मित्र अस्वस्थ हुए।
सिर्फ कोसते रहने से अच्छा इसको सुधारने का संकल्प लेनेवालों में किट्स कॉलेज के एक कर्मचारी नानाभाऊ नागपुरे सामने आए।
लाॅकडाउन के चलते काॅलेज बंद होने से शाम को गढ पर प्रतिदिन घूमने आनेवाले इस सामान्य आदमी ने यहां की दूर व्यवस्था बदलने का निर्णय लिया। अकेले ही सफाई अभियान शुरु किया। फिर मित्र परिवार का सहयोग मिलना शुरु हुआ।
नगराध्यक्ष दिलीप देशमुख,शुभम बीसमोगरे,अतुल पोटभरे, रामरतन सुनवाणी आदी लोगों ने मदद की। किसी ने लाईट, वायर की व्यवस्था की। किसी ने निः शुल्क लाईट फिटिंग कर दी।
नानाभाऊ की इच्छा, श्रम और नियोजन से कालिदास स्मारक उद्यान फिर जगमगाया हैं। नागरिक, परिवार, पर्यटकों को अब यहां ठहरने में आनंद आ रहा हैं। प्रत्येक के मुंह से 'वाह' ही निकल रहा हैं।
केवल स्वयं की प्रेरणा, अंत: प्रेरणा से नानाभाऊ नागपुरे और सहयोगी मित्र परिवार ने कोरोना लाॅकडाऊन का सकारात्मक लाभ उठाते हुए कुछ कर दिखाया हैं।
नानाभाऊ अभी भी रोज सुबह 6 से 10 और शाम को 4 से 9 बजे तक इस परिसर को और अधिक सुंदर कैसे किया जाए, इस विचार को हकिकत में बदलते हुए श्रमदान करते हुए दिखाई देते हैं।
इससे प्रेरणा लेकर जल्द हीं म्युजिकल फाॅंऊंटेन भी शुरु किए जाने की उम्मीद अब रामटेकवासी, पर्यटक, प्रकृति प्रेमी, कलाप्रेमी जता रहें हैं।