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गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानन्द जी महाराज

ज्ञान साधना : सोए मन को जगाने वाले दिव्य सूत्र
जग बेवफा न होता : संसार को कृतघ्न नहीं बल्कि अपना कृतज्ञ समझ, जिसने ऐसा व्यवहार करके तुझे सन्मार्ग की ओर प्रेरित किया। यदि संसार ऐसी कृतघ्नता न करता तो जन्म - जन्मांतरों तक तू इसी में उलझा रहता। 

अपने कल्याण और यथार्थ स्वरूप जीवन दाता भगवान की ओर कभी भूलकर भी तेरा मन न जाता। संसार को ही सब कुछ समझकर यहीं तक सीमित रह जाता। 

संसार की यह कृतघ्नता या बेवफाई वास्तव में तेरे प्रति संसार का महान उपकार है जो उसने अपने से उपराम करके तुझे अवसर दिया- मोक्ष प्रदाता श्री हरि की ओर जाने का, उनकी शरण ग्रहण करने का । 

संसार से दुख मिलने भी इसीलिए हैं कि जीव विपरीत दिशा को छोड़कर सीधी दिशा की ओर चलता हुआ अपनी मंजिल तक पहुंच सके। 

अतः संसार से मिलने वाले दुख वास्तव में  गुरु का कार्य करते हैं जो उसके उलझे हुए मन को संसार से निकालकर सुख - सार जगदाधार परमपिता परमात्मा की ओर प्रेरित करते हैं, उसे सही मार्ग का ज्ञान कराते हैं और सोचने के लिए विवश कर देते हैं - जग बेवफा न होता तो प्रभु याद भी न आता, मन इस कदर जहां में उलझ के ही रह जाता। 

दुखों से शिक्षा पाकर प्रभु की ओर दौड़ा, जग को समझ के अपना, प्रभु से था मुंह को मोड़ा। 
पं.पु. महामण्डलेश्वर,वृंदावन  (साभार ज्ञान साधना)

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