ग्रामायण ज्ञानगाथा श्रृंखला का 20 वां आयोजन
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स्वास्थ्य व स्वच्छता के प्रति जागरूक बीआईएस
नागपुर। भारतीय मानक संस्था यानी बीआईएस उद्योगों को प्रमाणित करने का कार्य करती है. राज्य सरकार, उद्योग, तकनीकी संस्थान, ग्राहक संस्था इत्यादि के साथ समन्वय का कार्य बीआईएस के माध्यम से होता है.
कोरोना काल में जन स्वास्थ्य के महत्व को ध्यान में रखते हुए बीआईएस अपने मापदंडों और मानकों को नियमित रूप से अपडे़ट करता रहता है. साथ ही इनके कड़ाई से पालन के लिए भी अधिकारी प्रयासरत रहते हैं.
बीआईएस के अधिकारियों ने यह जानकारी दी. ग्रामायण ज्ञानगाथा श्रृंखला के माध्यम से, ग्रामायण प्रतिष्ठान नागपुर की ओर से फेसबुक लाइव कार्यक्रम उद्यम गाथा का नियमित आयोजन किया जाता है.
इसी श्रृंखला में शनिवार 24 अक्टूबर को स्वास्थ्य संबंधी जनजागृति करनेवाले कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. कार्यक्रम का विषय स्वच्छता, हॉलमार्किंग और स्वास्थ्य संबंधी मापदंड था.
इस ऑनलाइन कार्यक्रम में बीआईएस के विजय नितनवरे, अनुसंधानकर्ता सर्वेश त्रिवेदी, विभागीय अधिकारी गणेश कोहाड, अनुसंधानकर्ता पीयूष वासेकर ने उपस्थितों का मार्गदर्शन किया.
बीआईएस के विजय नितनवरे ने अपने संबोधन में बीआईएएस के विभिन्न उपक्रमों की विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने स्पष्ट किया कि विशेष पंजीयन क्रमांक लिए बिना कोई भी उत्पाद बाजार में बिक्री अथवा संग्रह के लिए उपलब्ध नहीं कराया जा सकेगा.
बीआईएस की ओर से 500 से अधिक प्रयोगशालाओं को मान्यता दी गई है. बीआईएस इनके माध्यम से उत्पाद की जांच कराती है. ऑनलाइन अथवा व्यक्तिगत रूप से शिकायत दर्ज कराई जा सकती है.
उन्होंने ग्राहक संरक्षण कानून पर अभ्यासपूर्ण मार्गदर्शन किया. उन्होंने बताया कि अब तक देश में 37,080 प्रमाणपत्र दिए जा चुके हैं. पीयूष वासेकर ने मेडिकल उपकरणों के प्रमाणीकरण से संबंधित मार्गदर्शन किया.
कृत्रिम अवयव, प्रयोगशाला सामग्री, दंत चिकित्सकों के उपकरण, फर्स्ट ऐड किट, एंडोस्कोपी उपकरण, कान-नाक-गला संबंधित उपकरण एवं जानवरों पर उपचार के लिए ल गने वाले उपकरणों तथा सामग्रियों से संबंधित मानकों की जानकारी दी.
कोरोना काल में आंखों व चेहरे के लिए उपयोग में लाई जाने वाली शील्ड के साथ ही मुखाच्छादन के लिए नए सिरे से किए गए प्रावधानों की जानकारी उन्होंने दी. गणेश कोहाड ने बताया कि हॉलमार्क शुद्धता का प्रतीक है.
रजिस्टर्ड स्वर्णकारों को बीआईएस से अनुमति मिलने के बाद उनके आभूषणों पर हॉलमार्क लगाया जा सकता है. 2004 से यह नियम ऐच्छिक स्तर पर लागू है. वहीं सर्वेश त्रिवेदी ने स्वच्छता संबंधी बीआईएस के प्रमाणित मानकों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि जन स्वास्थ्य से जुड़े इस विषय में पीने का साफ पानी व घनकचरा व्यवस्थापन दो मूलभूत घटक हैं.
कचरे पर 3 प्रकार की प्रक्रिया की जाती है, इसे जमा करना, उसका वर्गाकरण व निपटान. कचरे के 4 प्रकार हैं-सूखा कचरा, जैव विघटनशील कचरा, वैद्यकीय कचरा, हानिकारक कचरा. उन्होंने स्पष्ट किया कि इन्हें एकत्र नहीं किया जाना चाहिए.
शौचालयों की व्यवस्था, अशुद्ध जल निर्मूलन, पीने का साफ पानी आदि मूलभूत आवश्यकताओं को लेकर भारतीय मानक में किए गए प्रावधानों के बारे में भी उन्होंने समझाया. उन्होंने बताया कि अशुद्ध जल स्वच्छता करने वाले श्रमिकों की सुरक्षा के लिए समय-समय पर मानकों में आवश्यक बदलाव किए जाते हैं.